yogendra upadhyay

विधायक ने नकली समाजसेवियों को धिक्कारा, कहा- शिक्षकों ने सुधारी है राजनीति की दशा और दिशा

PRESS RELEASE REGIONAL

स्व. दाऊ दयाल शर्मा की पुण्यतिथि पर आधुनिक दौर में आदर्श शिक्षक’ की भूमिका विषय पर संगोष्ठी

सेंट विसेंट कन्या उ.मा.विद्यालय, घटिया में  जुटे शिक्षाविद, डॉ. भोजकुमार शर्मा ने शिक्षकों को दी सीख

Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे स्व. दाऊदयाल शर्मा को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर भावपूर्ण स्मरण किया गया। ‘आधुनिक दौर में आदर्श शिक्षक’ की भूमिका विषयक विचार गोष्ठी में शिक्षकों को सर्वोपरि बताया गया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि, भाजपा विधायक एवं विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा- आगरा में गंगाजल लाना और एसएन मेडिकल कॉलेज को एम्स का दर्जा दिलाना दाऊदयाल शर्मा जैसे शिक्षकों की सीख के कारण संभव हो सका है। चुनाव में दाऊदयाल शर्मा ने मुझसे कहा था- अच्छे लोगों की राजनीति में जरूरत है, इसलिए मेरा बेटा तुम्हारे लिए काम करेगा। समाज को दाऊदयाल शर्मा जैसे आदर्श शिक्षकों की जरूरत है। राजनीति की दशा और दिशा शिक्षकों ने सुधारी है। चाणक्य जैसे शिक्षक ने राष्ट्र को एकसूत्र में पिरो दिया।

सेंट विसेंट कन्या उ.मा.विद्यालय, घटिया में हुई गोष्ठी का आयोजन स्व. श्री दाऊदयाल शिक्षक एकता समिति ने किया था। संचालन किया उनके पुत्र उ.प्र माध्यमिक शिक्षक संघ युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के जिला संयोजक डॉ. भोजकुमार शर्मा ने। योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि चार साल पहले एसएन में कोई जाना पसंद नहीं करता था लेकिन कोरोना काल में 100 में 80 लोग एसएन मेडिकल कॉलेज में बेड चाहते थे। नेत्र विभाग उत्तर भारत में सबसे अच्छा है। डायलिस की 12 मशीनें लगवाई हैं और गरीब लोग भी इलाज करा रहे हैं, तब मुझे लगा कि मेरा विधायक बनना सफल हो गया। आज लोग मुझे भागीरथ और विश्वकर्मा कह रहे हैं। दाऊदयाल शर्मा जसे शिक्षकों का महत्व समाज में रहा है और रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने नकली समाजसेवा करने वालों को धिक्कारा। इशारों-इशारों में कुछ राजनीतिक बातें भी कहीं।

पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद बाएं से डॉ. भानु प्रताप सिंह, डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदीस डॉ. भोज कुमार शर्मा, विधायक योगेन्द्र उपाध्याय, डॉ. बीना शर्मा, डॉ. देवी सिंह नरवार।

विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की निदेशक डॉ. बीना शर्मा, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार, अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी, उ.प्र. प्रधानाचार्य परिषद के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र लवानिया, पंजाब कौर आदि ने पुष्पांजलि अर्पित की। रत्नमुनि जैन गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य नीलम का सम्मान किया गया। डॉ. भोजराज ने सीख दी कि स्व. दाऊदयाल शर्मा की तरह शिक्षक सेवक बनें, शिक्षक नेता तो बहुत हैं।

डॉ. बीना शर्मा ने शिक्षक ने चाणक्य और विवेकानंद का निर्माण किया है। शिक्षक देश का भविष्य निर्माता है। विद्या को ग्रहण करके सामने वाले में स्थापित करने की शक्ति शिक्षकों के पास है। जो बच्चा घर में नहीं सुधरता उसे शिक्षक को सौंपा जाता है। शिक्षक अपने दिल पर हाथ रखकर सोचें कि वे क्या कर रहे हैं?

डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी ने कहा कि दाऊदयाल शर्मा गुरु की प्रतिमूर्ति थे। डॉ. देवी सिंह नरवार ने कहा कि दाऊदयाल शर्मा शांति और क्रांति के प्रतीक थे। उन्होंने जीवन मूल्यों को जीवन भर निभाया। उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र लवानिया ने बताया क दाऊदयाल शर्मा किसी के बारे में विपरीत बात सुनते थे तो उसके घर बताने जाते थे।

संगोष्ठी में उपस्थिति शिक्षकवृंद।

डॉ. भोज कुमार शर्मा ने कहा कि जब वेतन 80 रुपये था तब शिक्षक अपने कर्तव्य के बारे में सोचता था। शिक्षकों ने लाठियां खाईं तब इतना वेतन मिलता है कि निजी स्कूल के पांच शिक्षक पल सकते हैं। आज हम अधिकारों की बात करते हैं लेकिन कर्तव्य की नहीं। स्व. दाऊदयाल शर्मा जब तांतपुर इंटर कॉलेज में पहुंचे तो वहां की बाउंड्री और कमरों का निर्णाण बेलदार की तरह करवाया। रिटायर होने के बाद भी विद्यालय में जाते थे। शिक्षक अपना गौरव बनाए रखना चाहता है तो कर्तव्य के बारे में सोचना चाहिए। सरकार से हमें जितना मिल रहा है, उसके अनुसार छवि सुधारें। कोरोना काल में हर कोई काम कर रहा था लेकिन विद्यालय शुरू हुए तो विरोध किया।

प्रारंभ में विद्यालय की प्रधानाचार्या सिस्टर एंटोनिया लाकरा ने स्व. दाऊदयाल शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर एस सैमसन, नवीन पुषांग, आशीष पांडे, डॉ. अरुण कुमार गौतम, डॉ.योगेंद्र पाल सिंह, चूरामणि सिंह, मुकेश सिकरवार, सतीश चंद शर्मा,  महेश चंद शर्मा, सुरेश चंद शर्मा, रविंद्र कुमार शर्मा, महेंद्र प्रसाद, विवेक पाराशर आदि उपस्थित रहे।

स्व. दाऊदयाल शर्मा की प्रथम पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित करते उनके पुत्र डॉ. भोजकुमार शर्मा एवं डॉ. बीना शर्मा, साथ में हैं योगेन्द्र सिंह, नरेन्द्र लवानिया, डॉ. देवी सिंह नरवार और डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी।

मेरे पिता स्व. दाऊ दयाल शर्मा

उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा की किरावली तहसील के ग्राम जाजऊ में प्रतिष्ठित एवं समाजसेवी पं. श्री शिवचरण लाल शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में 15 जुलाई 1945 को श्री दाऊ दयाल शर्मा जी का जन्म हुआ। इनकी मां का नाम श्रीमती विद्या देवी था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में ही हुई। उच्च प्राथमिक शिक्षा अरहेरा में हुई। कक्षा 9-12 तक की शिक्षा शिवप्रसाद राष्ट्रीय इंटर कॉलेज अछनेरा में हुई। पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं और इंटर का रिजल्ट घोषित ही हुआ था कि अरहेरा में ही इन्होंने शिक्षक बनने का निश्चय किया। अध्यापक के रूप में इन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए दिन रात परिश्रम किया और अपनी आगे की शिक्षा को भी जारी रखा। बी टी सी प्रशिक्षण के लिए एत्मादपुर में प्रवेश लिया और सर्वाधिक अंक लाकर सबको चकित कर दिया। इन अंकों से प्रभावित होकर तांतपुर इंटर कॉलेज आगरा के प्रबंधक ने इन्हें अपने यहां पर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया। आगे की शिक्षा भी जारी रखकर उन्होंने कई विषयों में स्नातकोत्तर किया। यह विद्यालय अभी तक ग्रांट पर नहीं था अतः विद्यालय के विकास में सहयोगी बनते हुए इसके निर्माण और इसे ग्रांट पर लाने में भी सफल हुए।

उनकी भेंट उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के उन शिक्षक नेताओं से हुई शिक्षकों के अधिकार के लिए संघर्षरत थे। शिक्षक हित में वह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ में शामिल हुए और जिला आगरा के जिला उपाध्यक्ष से 1978 में शिक्षक समाज की सेवा का बीड़ा उन्होंने उठाया। इस दौरान वह कई बार जेल भी गए।

सेंट विसेंट कन्या उ.मा.विद्यालय, घटियाप्रधानाचार्या सिस्टर एंटोनिया लाकरा ने स्व. दाऊदयाल शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण किया। साथ में डॉ. भोज कुमार शर्मा।

वह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ आगरा के कई वर्षों तक अध्यक्ष भी रहे। संघ ने उन्हें प्रदेश मंत्री व प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया। वह प्रायः अधिकारियों से कहा करते थे कि गलत कार्य के लिए आएंगे नहीं और सही काम करा कर रहेंगे। उनके पहनावे से ही उनकी सादगी  को समझा जा सकता था । शिक्षकों से पहले से ही अपनी मुस्कुराहट के साथ मिलना और उनकी समस्याओं से अवगत होना और निराकरण कराकर उन्हें अवगत कराना उनकी जीवनशैली में शामिल था। शिक्षक हित में कभी-कभी शिक्षाधिकारियों से तीखी नोक-झोंक अक्सर होती रहती थी जिसका सभी को पता रहता था।

वर्ष 2006 में वह सेवानिवृत्त हुए, परन्तु वर्ष 2020 तक लगातार सक्रिय रहते हुए शिक्षकों की फ़िक्र करते थे। सुबह-सुबह शिक्षकों का घर पर आना उन्हें खुशनुमा अहसास कराता था। उनकी समस्या चाय पीते हुए सुनना और तुरंत ही संबंधित अधिकारी से बात करना उनकी आदत में शामिल था। “परेशान मत होइए सब ठीक हो जाएगा” कहकर वह मुस्कुराहट दिलाने की कोशिश करते थे। शिक्षक की परेशानी के समाधान के लिए नियमावली का अध्ययन करते और समाधान खोज लेते।

सेवानिवृत्त होने के पश्चात वह अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा से जुड़े और प्रदेश मंत्री का दायित्व भी निभाते रहे। गरीब कन्याओं के विवाह में सदैव गुप्त सहयोग करते हुए उन्होंने कभी भी किसी से इसका जिक्र तक नहीं किया। गरीब छात्रों की फीस अपने वेतन से देना उनके स्वभाव में शामिल था। 16 अक्टूबर 2020 को काल के क्रूर हाथों ने ऐसी परमआत्मा को हमेशा के लिए हमसे छीन लिया। कम तनख्वाह और खुद को जवाबदेही ज्यादा का दौर जिन्होंने देखा, ऐसी विचारधारा से निकल कर बने शिक्षक नेता।

-डॉ. भोज कुमार शर्मा

प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (युवा प्रकोष्ठ)

Dr. Bhanu Pratap Singh