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मन की धुलाई के लिए भक्ति में डूबना पड़ता हैः रामप्रपन्नाचार्य

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से पूज्य संत स्वामी श्री रामप्रपन्नाचार्य ने सुखदेव आगमन, वाराह अवतार, कपिल अवतार, शिव सति चरित्र आदि कथाओं को मार्मिक प्रसंगों से सुनाया तो श्रोता भक्ति में डूब गये।

श्रीकृष्ण की सच्ची भक्ति से कल्याण

संत रामप्रपन्नाचार्य ने कहा सच्चे मन से भागवत सुनने से पांच विकार (काम, क्रोध, मोह, लोभ व अहंकार) दूर होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भागवत जैसे सद्ग्रंथों के श्रवण से मानव को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। जैसे पुष्प में शहद पृथक है, जैसे दूध में घी पृथक है, वैसे ही जीव में आत्मा पृथक है। हमारे ग्रंथ, हमारे तीर्थ, सनातन संस्कृति की आध्यात्मिक धरोहर है। श्रीकृष्ण की सच्ची भक्ति से कल्याण होता है। उन्होंने कहा भक्ति नौ तरह की होती है। प्रथम भक्ति संतन सुखदाई अर्थात पहली भक्ति संतों की सेवा है। कपड़ों की धुलाई के लिए वॉशिंग मशीन में डालते हैं। यह मशीन बाजार में मिलती है लेकिन मन की धुलाई के लिए बाजार में कोई मशीन नहीं मिलती, मन की धुलाई के लिए भक्ति में डूबना पड़ता है।

ये रहे उपस्थित

कथा में सोमेश्वर दयाल दीक्षित, रोशनलाल पाराशर, भाजपा नेता केके भारद्वाज, गजेंद्र शर्मा, महेश त्यागी, मुन्ना लाल कुलश्रेष्ठ, पंडित रघुवीर दास दीक्षित, अर्जुन भक्तमाली, महावीर सिंह चाहर, किशन स्वरूप लवानियां, ईश्वरी प्रसाद, कुलदीप तिवारी,राम प्रकाश शर्मा  आदि प्रमुख  मौजूद रहे।