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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार, डॉ. भानु प्रताप सिंह बता रहे हैं क्या है उद्देश्य

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बांग्लादेश में नवरात्र से लेकर अब तक हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। मंदिर तोड़े जा रहे हैं। पूजा पांडाल ध्वस्त कर दिए गए हैं। हिन्दुओं की हत्या हो रही है। हिन्दू महिलाओं की शीलहरण किया जा रहा है। मीडिया की खबरों के मुताबिक, अब तक एक दर्जन से अधिक हिन्दुओं की हत्या की जा चुकी है। 23 हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है। सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया है। लूटपाट तो हो ही रही है। हर ओर अत्याचार है। बांग्लादेश सरकार अल्पलंख्यक हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर पा रही है। हिन्दू पलायन कर रहे हैं। बांग्लादेश से आ रहे वीडियो दिल दहलाने वाले हैं।

यह हाल तब है जबकि 26 और 27 मार्च को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के आमंत्रण पर बांग्लादेश गए थे। बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रमों में भाग लिया। मंदिरों में जाकर पूजा की। यह इस बात का संकेत थे कि हिन्दुओं का ध्यान रखना है। उन्होंने 2022 में बांग्लादेश और भारत के संबंधों को 50 वर्ष पूर्ण होने पर शेख हसीना को भारत आने का भी न्योता दिया है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बांग्लादेश को पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति भारत ने ही दिलाई थी। भारत ने 16 दिसम्बर, 1971 की शाम पांच बजे पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश बांग्लादेश बनाया था। ऐतिहासिक जीत के लिए तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘अभिनव चंडी दुर्गा’ की उपाधि दी थी।

सब जानते हैं कि 1947 में धार्मिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ। मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान बनाया गया। तब पाकिस्तान के दो हिस्से थे- पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान यानी आज का बांग्लादेश। इस हिस्से की सतत रूप से उपेक्षा की जा रही थी क्योंकि राजनीतिक भागीदारी नहीं थी। इसके चलते पूर्वी पाकिस्तान को स्वतंत्र करने की मांग उठने लगी। इसके बाद पांच मार्च, 1971 को पाकिस्तान सेना ने ऑपरेशन सर्च लाइट शुरू कर दिया। इसके बाद तो हर ओर हिंसा होने लगी। करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई। वैसे पाकिस्तान सरकार ने 26 हजार मौतें ही स्वीकार की थीं। लाखों महिलाओं के साथ अनाचार हुआ। पाकिस्तानी सेना के कैम्प में महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। उन्हें सेक्स वर्कर बनाया गया। मुस्लिम ही मुस्लिमों को काट रहे थे। पाकिस्तान सेना के अत्याचार से परेशान करीब 80 लाख लोग भारत की सीमा में प्रवेश कर गए।

पाकिस्तान को लग रहा था कि पूर्वी पाकिस्तान में उथल-पुथल के पीछे भारत का हाथ है। उसने भारत पर हमला कर दिया। बस, इसके बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जवाबी हमला किया। 13 दिन के युद्ध के बाद 16 दिसम्बर, 1971 को पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त करा लिया गया। 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने बिना शर्त समर्पण कर दिया था। इस कारण भारत की इस जीत को ऐतिहासिक माना जाता है। इससे पहले 25 मार्च, 1971 से ‘मुक्ति संग्राम’  चल रहा था, जिसे बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है।

बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी नामक संगठन हिन्दुओं की हत्या कर रहा है। इस संगठन की जड़ें पाकिस्तान में हैं। उद्देश्य एक ही है बांग्लादेश से हिन्दुओं को भगाना और उनकी संपत्ति पर कब्जा करना। कुछ ऐसा ही काम जम्मू एवं कश्मीर में हो चुका है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब बांग्लादेश के दौरे पर गए थे तब जमात-ए-इस्लामी ने ही हिंसा की थी। 1941 में जमात-ए-इस्लामी की स्थापना हुई थी। उस समय पूर्वी पाकिस्तान में 70 प्रतिशत मुस्लिम और 28 प्रतिशत हिन्दू थे। वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने के बाद वहां हिन्दुओं की आबादी 28 प्रतिशत से 13.5 प्रतिशत हो गई। 2011 की जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश में अब सिर्फ 8.5 प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। इन्हें भी भगाने में लगा हुआ है जमात-ए-इस्लामी। यह संगठन 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के साथ था। पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर शांति वाहिनी बनाई थी। इसी संगठन ने 1950 में बांग्लादेश से हजारों हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया था।

बांग्लदेश में पांच शक्तिपीठ हैं। सिल्हैट जिले में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर महालक्ष्मी, और जयंती परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती, शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर अर्पणा, खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर यशोरेश्वरी, चटगांव जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर भवानी शक्तिपीठ है। ये शक्तिपीठ भी आततायियों के निशाने पर हो सकते हैं। यशोरेश्वरी शक्तिपीठ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूजा की थी।

मुझे लगता है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार रोकने के लिए भारत सरकार को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। बांग्लादेश को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि भारत ने ही उसे पाकिस्तान के वीभत्स अत्याचारों से मुक्ति दिलाई है। आखिर एकतरफा दंगा क्यों क्यों? यह भी अचरजभरी बात है कि बांग्लादेश के घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध रखी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आशा थी कि वे कुछ बोलेंगी लेकिन न जाने किस “खेला” की प्रतीक्षा में हैं। आपको स्मरण दिला दूं कि वर्ष 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर में दो आतंकवादी मारे गए थे।  तब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में आकर कहा था- अगर ये एनकाउंटर फर्जी साबित नहीं हुआ तो वो राजनीति छोड़ देंगी। जांच में एनकाउंटर सही साबित हुआ और ममता बनर्जी ने राजनीति नहीं छोड़ी।

डॉ. भानु प्रताप सिंह

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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