सभी कष्ट हरने वाला भक्तांबर स्रोत का 37 दिवसीय अनुष्ठान, बाबा कालीदास ने किया शुभारंभ

RELIGION/ CULTURE

भक्तों को अमर बनाता है भक्तामर स्तोत्र: जैन मुनि मणिभद्र महाराज

विश्व कल्याण की कामना के साथ भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु

 

Agra, Uttar Pradesh, India. विख्यात जैन संत एवं नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज के सानिध्य में 37 दिवसीय भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का शुभारंभ शुक्रवार को हो गया। राजामंडी के जैन स्थानक, महावीर भवन में इसका शुभारंभ हरियाणा के सांपला से आए संत बाबा कालिदास महाराज ने किया। उन्होंने स्थापित कलश की रुद्राक्ष माला से पूजन कर स्थापित किया।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बाबा कालिदास महाराज ने कहा कि आज समाज में जो विकृतियां आई हैं, उनसे धर्म ही बचा रहा है और बचा सकता है। धर्म ही व्यक्ति को जीवन जीने कि दिशा देता और सत्कर्म की प्रेरणा देता है। इसलिए सत्कर्म करते रहने चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में संत कालिदास ने बताया कि उनके श्री शिव शक्ति बाबा कालीदास धाम, सांपला आश्रम में वर्ष 2007 से विश्व शांति अखंड महायज्ञ लगातार कराया जा रहा है। उनका संकल्प है कि उनके जीवन काल में हमेशा यह यज्ञ होता रहे। इस यज्ञ से विश्व में शांति कायम रहती है।

उल्लेखनीय है कि 47 साल से बाबा ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया है। वे दिन में केवल दो बार नारियल का पानी ग्रहण हैं। बाबा 21 किलो से अधिक की रुद्राक्ष की मालाएं धारण करते है।

जैन मुनि डा.मणिभद्र ने पत्रकारों को बताया कि भक्तामर स्तोत्र णमोकार मंत्र की तरह बहुत प्रभावशाली होता है, उससे मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान की अनूठी महिमा है। इस स्तोत्र से युगाधिदेव श्री आदिनाथ भगवान की स्तुति की जाती है। प्रत्येक शब्द में, प्रत्येक गाथा में अनेकानेक सिद्धियुक्त मंत्र हैं। इनके शब्दों का श्रवण और पठन करने से विभिन्न प्रकार की आधि – व्याधियां दूर हो जाती हैं।

समन्वयक विवेक कुमार जैन के अनुसार भक्तामर स्तोत्र की रचना मानतुंग आचार्य जी ने की थी। इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्रोत्र भी है, यह संस्कृत में लिखा गया है। प्रथम अक्षर भक्त पर होने के कारण ही इस स्तोत्र का नाम भक्तामर स्तोत्र पड़ गया। भक्ताबंर स्तोत्र में 48 श्लोक है। हर श्लोक में मंत्र शक्ति निहित है। जो सभी का कल्याण करते हैं।

कानपुर से आए विधायक प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष सलिल बिश्नोई ने कहा कि उन्होंने भक्तामर स्तोत्र का स्वयं अनुभव किया है। उससे उनके अनेक संकट दूर हुए हैं और आत्मिक शांति मिली है। इस प्रकार के अनुष्ठान आज ही नहीं, हमेशा प्रासंगिक रहे हैं और रहेंगे।

भक्तामर स्तोत्र संपुट महासाधना के प्रथम दिवस के प्रथम गाथा के लाभार्थी होने का लाभ सुलेखा सुरेश सुराना परिवार ने लिया।शुक्रवार के आयोजन में नरेश चपलावत,मुकेश जैन, अशोक जैन गुल्लू, शशि जैन, अनिल जैन, संदेश जैन, उज्जवल जैन, रंजीत सुराना,वैभव जैन सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh