श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के बारे में जांच के बाद अहम निष्कर्ष निकालने वाले आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद ने कहा है कि मुसलमानों को ज्ञानवापी और शाही ईदगाह मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। यह बात उन्होंने न्यूज़ एजेंसी IANS को दिए एक इंटरव्यू में कही।
केके मोहम्मद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के नॉर्थ जोन के रीजनल डायरेक्टर के तौर पर 2012 में रिटायर हो चुके हैं। केके मोहम्मद 1976 में बीबी लाल की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने बाबरी मस्जिद की खुदाई की थी।
मुसलमानों में ज्ञानवापी और शाही ईदगाह के लिए कोई भावनाएं नहीं: केके मोहम्मद
केके मोहम्मद ने ज्ञानवापी और मथुरा की शादी ईदगाह मस्जिद से जुड़े सवाल पर कहा, इन्हें हिंदुओं को सौंपना ही इस मुद्दे का एकमात्र समाधान है। सभी धर्मगुरुओं को एकजुट होकर इन संरचनाओं को हिंदू समुदाय को सौंप देना चाहिए। काशी, मथुरा और अयोध्या हिंदुओं के लिए बहुत खास हैं क्योंकि ये भगवान शिव, भगवान कृष्ण और भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े हैं। यहां बनी मस्जिदों के लिए मुसलमानों की कोई भावना नहीं है।
पढ़िए केके मोहम्मद ने क्या-क्या बताया
बाबरी में खुदाई करने वाली टीम के लीडर प्रोफेसर बीबी लाल थे। तब हमें ऐसे कई स्तंभ मिले जिन पर हिंदू मंदिरों से मिलते-जुलते शिलालेख थे। इमारत की दीवारों पर भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी थीं, जिन्हें कई जगहों पर खंडित कर दिया गया था। हमें वहां जानवरों, महिलाओं, योद्धाओं और टेराकोटा मूर्तियां भी मिलीं थीं।
मैं उस समय ASI की आर्कियोलॉजिस्ट कॉलेज से पीजी डिप्लोमा कर रहा था। हमारी टीम के सदस्यों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश की पत्नी जयश्री रामनाथन भी शामिल थीं। मैं ट्रेंच बी की खुदाई में शामिल था।
प्रो. लाल कभी भी खुदाई में मिले नतीजों को पब्लिश नहीं करना चाहते थे लेकिन हमने उन्हें लिखा। प्रो. लाल का मानना था कि नतीजे पब्लिश करने से समाज में बहुत विवाद पैदा हो जाता। वे कभी नहीं चाहते थे कि इस तरह का कोई मुद्दा तूल पकड़ ले।
हालांकि, प्रोफेसर इरफान हबीब के नेतृत्व में कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने मीडिया में बयान दिया कि डॉ. लाल और उनकी टीम को खुदाई से कुछ भी नहीं मिला। तभी प्रोफेसर लाल को जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा और निष्कर्षों को जनता के सामने लाया गया। प्रोफेसर इरफान हबीब आर्कियोलॉजिस्ट नहीं थे, केवल इतिहासकार थे।
जब 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तब मैं यह सुनकर हैरान रह गया। सीनियर IAS एन महादेवन ने तब कहा था कि सदियों पहले हुई ऐतिहासिक गलती को सुधारने के लिए हमें कोई गलती नहीं करनी चाहिए। एक ऑर्कियोलॉजिस्ट के रूप में मैं कभी भी ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की किसी भी संरचना को नष्ट करने का समर्थन नहीं करता।
केके मोहम्मद को आज भी मिल रहीं धमकियां
71 साल के आर्कियोलॉजिस्ट केके ने बताया कि उन्हें आज भी जान से मारने की धमकियों का सामना करना पड़ा है। इन दिनों वे केरल के कोझिकोड में अपने घर पर ही रहते हैं। केके ने कहा, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बैन होने से पहले तक कोझिकोड में बहुत ज्यादा एक्टिव था। जब से केके ने बाबरी मस्जिद से मिले नतीजों के बारे में बताया है, तब से वे खतरे का जीवन जी रहे हैं।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाएंगे केके
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ-साथ आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद को भी निमंत्रण मिला है लेकिन वे समारोह में नहीं जा रहे हैं। क्योंकि इन दिनों वे बीमारियों के कारण फिजिकली फिट नहीं हैं।
-एजेंसी
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