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आगरा से देश में 65 फीसदी जूते की आपूर्ति, 1.5 लाख जोड़ी जूते का रोजाना उत्पादन, 100 मिलियन डॉलर का कारोबार फिर भी घरेलू कारखाना चलाने वाले बेचैन क्यों?

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. ठक ठक की आवाज, धड़धड़ाती मशीनें, दूध की महक और भी न जाने क्या-क्या, आगरा की लगभग हर गली-मोहल्लों में ये रोज की बात है। ये है आगरा का दशकों पुराना जूता उद्योग, जिसकी धाक देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब है। भारत की बात करें तो फुटवियर बाजार में आगरा एक प्रमुख खिलाड़ी है। वजह साफ है कि देश में जूते की कुल घरेलू आवश्यकता का 50 से 60 प्रतिशत आगरा से पूरा किया जाता है।

अपना उद्योग कल्याण समिति के महासचिव कमलदीप ने बताया कि इसके बाद भी फुटवियर उद्योग में बड़ी बेचैनी महसूस की जा रही है। ये बेचैनी जूतों के निर्माण को लेकर नहीं है, ये बेचैनी है जूता निर्माण करके उसको सही दाम पर कैसे बेचा जाए, ये बेचैनी है लगातार बन्द होते जूते कारखानों की, ये बेचैनी है छोटे और मझोले जूता निर्माताओं में यकायक आ रही हताशा की। ये बेचैनी है उस पिता की जो अपनी अगली विरासत के हाथों कमान सौंप पाने में सक्षम नहीं। जिसने अब तक इसे बनाए रखा है। और ये बेचैनी है आगरा शहर की जो मुगल काल से इस जूता निर्माण के कार्य में अनवरत चला जा रहा है। और ये बेचैनी है हम सब की। एक ऐसी बेचैनी जो लगातार जूता उद्यमियों का मोरल डाउन कर रही है। ये वो बातें हैं, वो सवाल हैं जो हर कारखानेदार के जेहन में हिलोर लेता रहता है।

श्री कमलदीप ने बताया कि इन सब स्थितियों को दूर करने के लिए हमें बात करनी होगी। इसके लिए जरूरत है शिखर पर पहुंचे ऐसे व्यक्तियों को चर्चा के मध्य लाया जाए जिन्होंने फर्श से उठकर और अर्श तक पहुंच कर आगरा के जूते को नई उंचाईयों तक पहुंचाया है। इसके ले अपना उद्योग कल्याण समिति का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य भी यही है कि जो जज्बा, जो आत्मविश्वास, जो शक्ति हमारी क्षीण हो रही है उसमें एक नवीन उत्साह और संचार की वृद्धि हो सके। इन शख्सियतों की सफलता की कहानी हम सुनें और इनसे प्रेरणा लेकर अपने इस पांरपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ाते हुए सुनहरे भविष्य का निर्माण करें।

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आगरा के जूता उद्एयोग पर एक नजर 

आगरा में करीब 150 बड़े और पांच हजार से अधिक छोटे जूता बनाने के कारखाने हैं।

देश में 65 फीसदी जूते की आपूर्ति अकेले आगरा से की जाती है।

जूता निर्यात के क्षेत्र में लगभग 28 फीसदी भागीदारी आगरा की है।

लगभग तीन लाख लोगों को इससे रोजगार मिलता है।

औसतन 10 करोड़ रुपये का कच्चा माल की हर महीने खपत हो जाती है।

घरेलू कारखानों से ही करीब 3000 करोड़ रुपये का टर्नओवर है।

आगरा में हर दिन करीब डेढ़ लाख जोड़ी जूते का उत्पादन होता है।

आगरा का कुल जूता कारोबार सालाना 100 मिलियन डॉलर से अधिक है।

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, कनाडा, रूस, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, नीदरलैंड आदि आगरा से फुटवियर आयात करने वाले देश हैं।

आगरा में जूता उद्योग को बढ़ावा देने के लिए खोले गए संस्थानों में दुनिया में लगभग हर पांचवी जोड़ी जूते आगरा के बने होते हैं।

आगरा में चमड़े के जूते को जीआई टैग भी मिल चुका है। इसका अर्थ यह है कि जूता की उत्पत्ति आगरा में हुई है।

समिति का उद्देश्य

अपना उद्योग कल्याण समिति की गैर लाभकारी संगठन है। संस्था का उददेश्य उद्योगों के हितों की बात रखना है। इसके अलावा समय समय पर संबंधित कार्यशालाएं, सेमिनार तथा उद्योगों के विकास में आने वाली समस्याओं आदि पर कार्य करना। सरकार द्वारा उद्यमियों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों की जानकारी देना। उद्योगों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराना व स्वच्छ विचार उत्पन्न करना, उद्देश्य निर्धारित करना और उद्यम के विकास के लिए सदैव तत्पर रहना।

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समिति के पदाधिकारी

संरक्षकः सीताराम

अध्यक्षः राजकुमार पारस

उपाध्यक्षः मनीष कुमार व सुनील कुमार

महासचिवः कमलदीप

कोषाध्यक्षः करतार सिंह

मीडिया प्रभारीः नितिन कुमार

प्रचार मंत्रीः सागर कुमार

संगठन मंत्रीः देशराज

संयोजकः दिनेश दास संतजी

कार्यकारिणी सदस्यः रामबाबू कैन, बलवीर सोनी, अरुण कुमार, राजेन्द्र सिंह

Dr. Bhanu Pratap Singh