संविदा विद्युतकर्मी के भ्रष्टाचार का विरोध करना पत्रकारों को पड़ा भारी, दो पत्रकारों पर दर्ज हुआ फर्जी मुकदमा
क्षेत्र में विद्युतकर्मीयों के भ्रष्टाचार का आलम कि लोगों का जीना दूभर, भ्रष्टाचार का पत्रकारों ने विरोध किया तो दो पत्रकारों पर दर्ज हुआ फर्जी मुकदमा
आगरा। जनपद के थाना क्षेत्र कागारौल में तैनात एक संविदा विद्युतकर्मी के कथित भ्रष्टाचार का विरोध करना दो क्षेत्रीय पत्रकारों को महंगा पड़ गया। आरोप है कि उक्त संविदाकर्मी की पुलिस से मिलीभगत के चलते दोनों पत्रकारों पर बिना किसी प्राथमिक जांच के झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया। इस प्रकरण को लेकर पत्रकारों में भारी रोष व्याप्त है।
शुक्रवार को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विष्णु सिकरवार की अध्यक्षता में एक आपात बैठक आयोजित की गई, जिसमें भारी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। पत्रकारों ने एक सुर में घटना की निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए। बैठक के बाद पत्रकारों ने थाना कागारौल पहुँचकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रभारी निरीक्षक को ज्ञापन सौंपा। पत्रकारों ने निष्पक्ष जांच कर मुकदमा वापस करने की मांग की है।
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विष्णु सिकरवार ने बताया कि विधुत विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पार कर चुका है। विधुत विभाग के कर्मचारियों द्वारा पीड़ित व्यक्ति भटकता रहता है और उन्हें पत्रकारों से ही न्याय दिलाने की उम्मीद होती हैं। जब कोई पत्रकार विधुत विभाग की खबरें लिखकर भ्रष्टाचार का उजागर करते हैं तो उन्हें झूठे मुकदमों में फसाया जाता हैं।
जिलाध्यक्ष ने साफ कहा कि पत्रकारों के साथ किसी तरह का अत्यचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा पुलिस प्रशासन से ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ईंट से ईंट बजा देगा,चाहे पत्रकारों के न्याय के लखनऊ दिल्ली तक दौड़ कर आंदोलन करना पड़े।
उन्होंने यह भी स्प्ष्ट किया एक तरफ प्रदेश के डीजीपी पत्रकारों की रक्षा के लिए तरह-तरह की घोषणा कर रहे हैं इधर क्षेत्रीय पुलिस पत्रकारों के साथ अपनी कमियों को छुपाने के लिए द्वेश पूर्ण भाव से फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि संविदाकर्मी नागेंद्र इंदौलिया पर उपभोक्ताओं से अवैध वसूली और मनमानी के आरोप पहले से ही चर्चा में थे। हाल ही में उससे जुड़ी दो ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं, जिसमें कथित रूप से रिश्वत के लेन-देन की बातें सामने आई हैं। पत्रकारों का दावा है कि इन ऑडियो साक्ष्यों के सार्वजनिक होने के बाद ही कर्मचारी ने दबाव बनाने के उद्देश्य से पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया।
फर्जी मुकदमे की वापसी की मांग, नहीं तो पुलिस कमिश्नर से करेंगे मुलाकात: विष्णु सिकरवार
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुकदमे की निष्पक्ष जांच कर उसे निरस्त नहीं किया गया, तो संगठन पुलिस कमिश्नर और बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों से मिलकर दोषी पुलिसकर्मियों और भ्रष्ट संविदाकर्मी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग करेगा। साथ ही राज्य स्तर व देश स्तर पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई।
संगठन ने कागारौल पुलिस पर संविदा विद्युतकर्मी से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए इसे ‘गंभीर और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला’ बताया है। पत्रकारों का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश करने वालों को ही फर्जी मुकदमे में फंसाया जाएगा, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है। स्थानीय स्तर पर गर्माया माहौल
फिलहाल यह मामला कागारौल कस्बे से लेकर पत्रकारिता जगत तक चर्चा का विषय बना हुआ है। सभी की निगाहें अब पुलिस और प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं।
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