आगरा। आगरा की 102 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शनिवार को श्री कृष्ण लीला महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो गया। गौशाला प्रांगण स्थित हनुमान जी मंदिर में मुकुट पूजन और श्री गणेश जी की सवारी के साथ नौ दिवसीय महोत्सव की शुरुआत की गई।
बैंड-बाजों की अगुवाई में निकली शोभायात्रा ने पूरे मार्ग को भक्तिमय कर दिया। नगर के प्रमुख मार्गों से गुज़रती गणेश जी की सवारी में शामिल श्रद्धालुओं पर जगह-जगह पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया।
इन लोगों ने किया मुकुट पूजन
मुकुट पूजन का अनुष्ठान विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, लीला समिति के संरक्षक डॉ. विजय किशोर बंसल, गौशाला समिति के महामंत्री सुनील सिंघल, नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के अध्यक्ष संजय गोयल, अध्यक्ष मनीष अग्रवाल और लीला संयोजक शेखर गोयल सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा विधिपूर्वक संपन्न कराया गया।
शोभायात्रा जीवनी मंडी, बेलनगंज, कचहरी घाट, रावतपाड़ा, सुभाष बाजार, जौहरी बाजार, कस कसेरट बाजार, छिली ईंट घटिया, सिटी स्टेशन, धूलियागंज, बेलनगंज तिकोनिया से होते हुए पुनः गौशाला प्रांगण में संपन्न हुई।
आज कंस की दुहाई सवारी
समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि रविवार, 26 अक्टूबर को पारंपरिक “कंस की दुहाई सवारी” निकाली जाएगी। इस सवारी में कंस के राजा बनने, पूतना, अघासुर और बकासुर जैसे दानवों का प्रदर्शन होगा। इसके अलावा, एक विशेष झांकी में कंस द्वारा महाराज अग्रसेन को कारागार में डालने का प्रसंग भी दिखाया जाएगा।
विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह लीला महोत्सव आगरा की आत्मा में बस चुका है। यह आयोजन न केवल भक्ति का उत्सव है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक पहचान का भी जीवंत प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि महोत्सव के दौरान मानव सेवा कार्य भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें विशाल रक्तदान और स्वास्थ्य शिविर शामिल हैं।
लीला महोत्सव का कार्यक्रम इस प्रकार है:
26 अक्टूबर (रविवार): कंस की दुहाई सवारी
27 अक्टूबर: देवकी-वसुदेव विवाह, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं मयूर नृत्य
28 अक्टूबर: नंदोत्सव, पूतना उद्धार एवं डांडिया नृत्य
29 अक्टूबर: काले खां, मदन मोहन लीला एवं फूलों की होली
30 अक्टूबर: श्रीकृष्ण बलराम गोचरण यात्रा, माखन चोरी एवं कालीदह लीला
31 अक्टूबर: मीराबाई चरित्र लीला (प्रथम मंचन)
1 नवंबर: गिरिराज पूजन एवं छप्पन भोग
2 नवंबर: वीर अभिमन्यु चक्रव्यूह लीला
3 नवंबर: अक्रूर गमन, कंस वध एवं आतिशबाजी
4 नवंबर: श्रीकृष्ण-बलराम की शोभायात्रा
5 नवंबर: द्वारकापुरी एवं रुक्मिणी मंगल लीला (मेहंदी सहित)
6 नवंबर: श्री खाटू श्याम जी भजन संध्या एवं मनमोहक झांकी।
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