आगरा: विश्व सुलेखन दिवस हर साल 14 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है, सुलेख और कैलीग्राफी को प्रोत्साहन देना। आज इसकी झलक सदर स्थित साधना कला केंद्र में देखने को मिली। साधना कला केंद्र में बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी कैलीग्राफी सिखाते हुए नजर आए। साधना कला केंद्र में सभी लोगों ने मिलकर आज विश्व सुलेखन दिवस यानी वर्ल्ड कैलीग्राफी डे को मनाया।
कैलीग्राफी सीख रही एक पेरेंट्स की मां ने बताया कि हम सबको याद है कि जब स्कूल में पढ़ते थे तो टीचर हमारी लिखाई को बेहतरीन बनाने पर जोर देते थे। कहते है लिखाई से व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। सुलेख और श्रुतलेख का तब खास महत्व था। सुलेख यानि जो दिया है उसे सुंदर अक्षरों में लिखना, और श्रुतलेख का अर्थ है जो टीचर बोल रहे है, उसे अच्छे अक्षरों में लिखना। हम सब की लिखाई को इसी तरह गढ़ा गया।
पर आज तो हाथ के पंजे में समा जाते छोटे से मोबाइल में टाइप की भी जरूरत नहीं रही, बोलते जाओ छपता जायेगा। इसीलिए शायद विश्व सुलेखन दिवस मनाना जरुरी है। इसके माध्यम से बच्चों को बेहतरीन तरीके से लिखने के तरीके पर जोर दिया जाता है।
साधना कला केंद्र में मौजूद एक छात्रा ने बताया कि आज कैलीग्राफी पूरी तरह एक आर्ट है और इसको सीखने में हर व्यक्ति रुचि भी दिख रहा है। वहीं कैलीग्राफी सीख रही रूपाली ने बताया कि कैलीग्राफी दो तरह की है एक मॉडर्न और एक असिएंट। पुराने समय में हमारे जितने भी ग्रंथ और वेद लिखे गए वह भी कैलीग्राफी आर्ट का ही नतीजा है आप जितने अच्छे से कैलीग्राफी करेंगे उतना ही आपका लेखन सुंदर बनेगा। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर कुछ कंप्यूटर पर ही टाइप नहीं होता बल्कि जब हम उसे लिखते हैं तभी वह प्रकाशित होता है। इसीलिए लेखन जरूरी है।
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