Agra News: उपभोक्ता अदालत का बड़ा फैसला, ट्रेन हादसे में दोनों पैर गंवाने वाले युवक को बीमा कंपनी ने सौंपा 66 लाख से अधिक का चेक

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आगरा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (प्रथम) ने एक अहम फैसले में नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए परिवादी को बीमा दावा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह की पीठ ने कंपनी को 50 लाख रुपये बीमा राशि छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही इलाज खर्च, मानसिक पीड़ा और वाद व्यय के लिए कुल 2 लाख 20 हजार रुपये अतिरिक्त हर्जाना भी लगाया गया।

आयोग के आदेश के अनुपालन में बीमा कंपनी द्वारा 66 लाख 16 हजार 439 रुपये का चेक आयोग में जमा कराया गया, जिसे आयोग के अध्यक्ष द्वारा पीड़ित को सौंपा गया।

मामला दयालबाग स्थित बसेरा रेजीडेंसी निवासी प्रांजल गुप्ता से जुड़ा है। प्रांजल ने 29 मार्च 2019 को नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से 50 लाख रुपये की दुर्घटना बीमा पॉलिसी ली थी। 27 दिसंबर 2019 को कालिंदी एक्सप्रेस से यात्रा के दौरान हाथरस जंक्शन के पास ट्रेन से गिरने के कारण वह गंभीर हादसे का शिकार हो गए। इस दुर्घटना में उनकी दोनों टांगें कट गईं और वे 80 प्रतिशत स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए।

हादसे के बाद प्रांजल गुप्ता ने बीमा क्लेम प्रस्तुत किया, लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि पॉलिसी लेते समय उन्होंने अपनी पुरानी बीमा पॉलिसी की जानकारी छिपाई और वार्षिक आय गलत दर्शाई, जो पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन है। इस निर्णय से आहत होकर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (प्रथम) में वाद दायर किया।

मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने बीमा कंपनी के तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि पॉलिसी बेचते समय ग्राहक को यह शर्त बताई गई थी कि पूर्व पॉलिसी होने पर क्लेम अमान्य होगा। साथ ही आय में मामूली अंतर (4.55 लाख रुपये और 5 लाख रुपये) को क्लेम खारिज करने का आधार नहीं माना जा सकता। आयोग ने कहा कि पॉलिसी की शर्तों के अनुसार दोनों पैरों के नुकसान की स्थिति में 100 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान अनिवार्य है।

आयोग ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को 50 लाख रुपये बीमा राशि के साथ छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज, इलाज खर्च के लिए एक लाख रुपये, मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए एक लाख रुपये और वाद व्यय के रूप में 20 हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया। इस फैसले को उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh