चीन द्वारा भारत को घेरने की कोशिशों के जवाब में भारत ने आक्रामक विदेश नीति दिखाते हुए विएतनाम के साथ अहम समझौता किया है। वियतनाम के साथ हुए लॉजिस्टिक करार के तहत दोनों देश एक-दूसरे के मिलिट्री बेस का इस्तेमाल कर सकेंगे। यानी इनके युद्धपोत, एयरक्राफ्ट इत्यादि एक दूसरे के बेस पर रुक सकेंगे और रिफ्यूलिंग जैसी सुविधाएं ले सकेंगे। आपको बता दें कि अमेरिका, फ्रांस और रुस के बाद वियतनाम ही ऐसा देश है जिसके साथ भारत ने ये अहम करार किया है। भारत और वियतनाम ने बुधवार को रक्षा साझेदारी पर ज्वाइंट विजन स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के बाद भारत और वियतनाम अब सामरिक-साझेदार हो गए हैं।
भारत और विएतनाम में संबंध
भारत और वियतनाम दोनों ही देशों के चीन (China) के कड़वे संबंध रहे हैं। ऐसे में चीन के पड़ोसी देश के साथ ये सामरिक समझौते भारत की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। आपको बता दें कि चीन का भारत और विएतनाम, दोनों ही देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। भारत में ये विवाद एलएसी (LAC) से जुड़ा है, तो वियतनाम के साथ समुद्री सीमाओं को लेकर विवाद है। इन दोनों ही देशों का चीन के साथ युद्ध भी हो चुका है। वियतनाम (Vietnam) दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रीय सीमांकन को लेकर चीन (China) के साथ विवादों में घिरे छह देशों में से एक है।
करार में क्या है खास?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बुधवार को वियतनाम के अपने समकक्ष जनरल फान वान गियांग से की गई वार्ता के बाद भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक ‘विज़न’ दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। इसके मुताबिक दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौता रक्षा सहयोग के दायरे और पैमाने को और बढ़ाया जाएगा। ये करार काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय युद्धपोतों और सैन्य विमानों को वियतनामी ठिकानों पर रुकने, ईंधन भरने और आपूर्ति लेने की अनुमति देता है।
-एजेंसियां
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