जमानत मिलने के बाद बोले मनीष कश्यप, बिना डरे आगे भी पत्रकारिता करता रहूंगा

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नई द‍िल्ली। यूट्यूबर मनीष कश्यप 9 महीने बाद जेल से जमानत पर बाहर आ गए हैं. जेल से बाहर भारी संख्या में जुटे समर्थकों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया. मनीष कश्यप ने कहा कि वह काला पानी की सजा काट कर बाहर आए हैं. वह बिना डरे आगे भी पत्रकारिता करते रहेंगे.

पिछले 9 महीने से जेल में बंद यूट्यूबर मनीष कश्यप शनिवार को जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं. जेल से बाहर आते ही मनीष के समर्थकों ने उनका माला पहनाकर स्वागत किया. उन्हें कंधे पर बैठाकर नारे लगाए और आरती उतारी. इसके बाद खुली जीप में सवार होकर मनीष कश्यप काफिले के साथ आगे बढ़े. जेल से बाहर आने के बाद मनीष कश्यप ने कहा कि मैं काला पानी की सजा काटकर बाहर आया हूं.

मैं अगर डर गया तो ये लोग समझेंगे कि एक पत्रकार को डरा दिया है, इसलिए मैं आगे भी पत्रकारिता करता रहूंगा. जेल के बाहर भारी भीड़ देखकर उत्साहित मनीष कश्यप ने कहा- ये वो लोग हैं जिन्हें उम्मीद है कि बिहार में एक दिन बदलाव आएगा.

यूट्यूबर पर ये हैं आरोप

मनीष कश्यप पर आरोप था कि उन्होंने तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया. जिसके बाद वहां रह रहे बिहार के मजदूरों में पैनिक सिचुएशन क्रिएट हुआ. वीडियो शेयर करने के बाद लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ती गईं. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU ने यूट्यूबर के खिलाफ मामला दर्ज किया.

केस दर्ज होने के बाद मनीष कश्यप बिहार छोड़कर फरार होने का आरोप लगा था. इधर लगातार छापेमारी के बाद भी वह जब नहीं मिले तो बेतिया जिले में स्थित उनके घर पर 18 मार्च को दूसरे मामले में कुर्की जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी. इस बीच, मनीष कश्यप ने उसी दिन स्थानीय थाने में सरेंडर कर दिया . इसके बाद EOU ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की और जेल भेज दिया. चूंकि मामला तमिलनाडु से जुड़ा था तो तमिलनाडु पुलिस भी उसे वहां ले गई थी. मनीष कश्यप कई महीने तक तमिलनाडु के जेल में भी बंद रहे.

शुक्रवार को ही मिल गई थी जमानत

मनीष कश्यप को शुक्रवार को ही जमानत मिल गई थी. लेकिन कागजात में गड़बड़ी की वजह से उन्हें एक दिन और जेल में रहना पड़ा. जेल प्रशासन को जो कागजात मिले थे, उसमें नाम में अंतर था. दरअसल, मनीष कश्यप का वास्तविक नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है, लेकिन शुक्रवार को जेल प्रशासन को जो आदेश मिला था, उसमें त्रिपुरारी कुमार लिखा हुआ था. इसके बाद शनिवार को कोर्ट आदेश में नाम सुधार के साथ जब कागजात पहुंचा तो बेऊर जेल प्रशासन ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया है.

– एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh