प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात के भुज जिले के एक कार्यक्रम में पहुंचे। यहां पहुंचने पर पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया। यहां से उन्होंने कई क्षेत्रों के लिए 53,400 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उद्घाटन भी किया। इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को भी संबोधित किया। यहां से उन्होंने दुश्मन देश पाकिस्तान को एक बार फिर साफ शब्दों में चेतावनी दी है।
उन्हीं की भाषा में दिया जाएगा जवाब
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारतीयों का खून बहाने वाले लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा। मैंने सेना को खुली छूट दे रखी है। भारतीयों पर आंख उठाने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
सुख-चैन की रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही: पीएम मोदी
दुश्मन देश पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सुख-चैन की जिंदगी जियो, रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही। उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान के लोगों को अपने देश को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए आगे आना होगा। उनके युवाओं को आगे आना होगा।’
15 दिन तक किया इंतजार: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की है। ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी नीति को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है। जो भी हमारे खून को बहाएगा, उसे इसी तरह का जवाब मिलेगा। किसी भी कीमत पर उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर मानवता को बचाने और आतंकवाद को खत्म करने का मिशन है। हमने 15 दिनों तक इंतजार किया कि क्या पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम उठाएगा, लेकिन शायद आतंकवाद ही उनकी रोजी-रोटी है। जब उन्होंने कुछ नहीं किया, तो मैंने अपने सशस्त्र बलों को खुली छूट दे दी।’
कच्छ की महिलाओं ने पीएम मोदी को दिया सिंदूर का पौधा
पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत की प्रतिक्रिया के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। उन्होंने कच्छ सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन भेजे। 1971 के युद्ध के दौरान कच्छ की बहादुर महिलाओं ने भुज रनवे को 72 घंटे में मरम्मत करके पाकिस्तान के दुष्प्रचार को परास्त कर दिया। वे महिलाएं मेरे पास आईं और मुझे आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्होंने मुझे सिंदूर का पौधा भी उपहार में दिया। इसे प्रधानमंत्री आवास में लगाया जाएगा।’
कच्छ से मेरा पुराना रिश्ता: पीएम मोदी
इसके पहले जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कच्छ से मेरा रिश्ता पुराना रहा है। कच्छ के लोगों और उनके आत्मविश्वास ने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया है। जब नर्मदा का पानी पहली बार कच्छ पहुंचा, तो वह दिन कच्छ के लिए दिवाली से कम नहीं था। यह एक अभूतपूर्व उत्सव था। सौभाग्य से आप सभी ने मुझे ऐसा होने का कारण बनने का मौका दिया।’
-साभार सहित
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