सिविल सोसाइटी ऒफ आगरा ने राजधानी लखनऊ में संगोष्ठी आयोजित कर सरकार का ध्यान इस ओर खींचा
-कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने भी किया समर्थन, यूपी सरकार जल्द राजस्थान सरकार से वार्ता कर हल निकाले
आगरा/लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आयोजित एक संगोष्ठी में आगरा जनपद की दो प्रमुख नदियों, उटंगन और खारी के जलविहीन हो जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। सिविल सोसाइटी ऒफ आगरा ने राजधानी लखनऊ में यह संगोष्ठी आयोजित कर यूपी सरकार का ध्यान उस ओर खींचा, जिसमें राजस्थान सरकार द्वारा इन नदियों के जल प्रवाह को रोका लिया गया है। यह आयोजन शीरोज हैंगआउट के सहयोग से किया गया।
कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह राजपूत ने संगोष्ठी में आगरा के इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस मसले पर राजस्थान सरकार से संवाद करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कावेरी जल विवाद की तर्ज़ पर अंतर्राज्यीय जल बंटवारे की नीति का पालन कर उत्तर प्रदेश के हिस्से का पानी सुनिश्चित किया जाए। श्री राजपूत ने राणा सांगा स्मारक से जुड़े खनुआ बांध के जल शून्यता पर भी गहरी चिंता जताई।
तीन दशकों से चल रहा जल संकट
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा बीते कई वर्षों से आगरा के जल संकट को लगातार उजागर करती आ रही है। संगोष्ठी सोसाइटी की ओर से सचिव अनिल शर्मा और वरिष्ठ सदस्य एवं पत्रकार राजीव सक्सेना ने बताया कि उटंगन और खारी, दोनों ही नदियां राजस्थान के करौली जनपद से निकलती हैं और आगरा के भूजल रिचार्ज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेकिन राजस्थान द्वारा जल प्रवाह रोके जाने के बाद से आगरा के फतेहपुर सीकरी, अछनेरा, अकोला, खेरागढ़, शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट समेत कई अन्य विकास खंडों में पानी का संकट खड़ा हो गया है। इन विकास खंडों में जल स्तर इतना नीचे गिर गया है कि हैंडपंप और नलकूप वर्षों पहले ही सूख चुके हैं।
सीमा के कई स्मारकों पर भी संकट
संगोष्ठी में सोसाइटी की ओर से बताया गया कि फतेहपुर सीकरी स्मारक समूह का अभिन्न हिस्सा तेरह मोरी बांध और उटंगन नदी पर स्थित ऐतिहासिक खनुआ बांध, जो राणा सांगा की स्मृति से जुड़ा है, अब जलविहीन हो गए हैं। ये स्मारक न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
संगोष्ठी में की गई ये मांगें और ये सुझाव दिए
संगोष्ठी के माध्यम से निम्नलिखित मांगें उत्तर प्रदेश सरकार और जनप्रतिनिधियों से की गईं-
उटंगन और खारी नदियों पर स्थिति स्पष्ट करने हेतु प्रमुख सचिव (सिंचाई विभाग) से रिपोर्ट मांगी जाए। राजस्थान सरकार से अनधिकृत रुप से रोके गये जल के बारे में वार्ता की जाए। केंद्र सरकार से अंतरराज्यीय जल बंटवारे की नीति के अनुपालन हेतु हस्तक्षेप की मांग की जाए। तेरह मोरी और खनुआ बांध को पुनः जलयुक्त करने हेतु कार्ययोजना बनाई जाए। स्मारकों और जलाशयों की बदहाली को सुधारने के लिए सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।
ड्रोन मैपिंग आधारित पीपीटी प्रस्तुत
संगोष्ठी की शुरुआत ड्रोन मैपिंग आधारित पीपीटी प्रेजेंटेशन से हुई, जिसमें उटंगन नदी के हैड पर स्थित राणा सांगा स्मारक, खनुआ बांध तथा तेरह मोरी बांध के दृश्य शामिल किए गए। यह पहली बार है जब इन नदियों और उनके आसपास के क्षेत्र का व्यवस्थित प्रलेखन किया गया।
इस पीपीटी को 15 मिनट के वॉयस ओवर के साथ तैयार किया गया है जिसमें सिविल सोसाइटी की ओर से अनिल शर्मा (सचिव), राजीव सक्सेना (वरिष्ठ पत्रकार) ललित राजोरा (वन्यजीव फोटोग्राफर), सुधीर नारायण ( ग़ज़ल गायक – वॉइस ओवर), यथार्थ अग्निहोत्री (डायरेक्टर व संपादन), असलम सलीमी (प्रेस फोटोग्राफर) आदि ने योगदान दिया है।
रेहावली बांध का सर्वे हो चुका, सरकार कार्यवाही करे
संगोष्ठी में यह भी बताया गया कि आगरा की जिला पंचायत अध्यक्ष और सिंचाई बंधु की अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया के प्रयासों से रेहावली गांव में एक नया बांध प्रस्तावित किया गया था और इसकी सर्वे प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसकी रिपोर्ट सौंप कर इस संकट की जानकारी दी है, लेकिन अगली कार्रवाई अभी लंबित है।
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