भूमि पूजन समारोह 5 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा करेंगे
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. राष्ट्रभक्ति, वीरता और आत्मबलिदान की अनुपम प्रतिमूर्ति महारानी अवंतीबाई लोधी की आदमकद मूर्ति शीघ्र ही अवंतीबाई लोधी इंटर कॉलेज, श्यामो, आगरा के प्रांगण में स्थापित की जाएगी। इस पावन कार्य का शुभारंभ 5 अप्रैल 2025 को प्रातः 11:00 बजे केंद्रीय राज्यमंत्री बी.एल. वर्मा जी भूमि पूजन के साथ करेंगे।
आदमकद मूर्ति स्थापना का भव्य निर्णय
इस गौरवमयी आयोजन के विषय में कॉलेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री महाराज सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि रानी अवंतीबाई की 6 फुट लंबी एवं 6 फुट ऊँची मूर्ति पीतल की धातु से तैयार करवाई जाएगी। यह मूर्ति न केवल उनके अमर बलिदान का प्रतीक होगी, बल्कि विद्यार्थियों में देशभक्ति और साहस का भाव भी जागृत करेगी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस कॉलेज का भूमि पूजन 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह द्वारा किया गया था, और तब से यह संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है।
सभी जनप्रतिनिधियों को आमंत्रण
श्री महाराज सिंह राजपूत ने समाज के सभी लोगों से आग्रह किया कि वे इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनें और कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें।
शौर्य की अमिट गाथा – रानी अवंतीबाई लोधी
भारत के स्वाधीनता संग्राम में रानी अवंतीबाई लोधी का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। जब 1857 की क्रांति की ज्वाला पूरे देश में धधक रही थी, तब मध्य प्रदेश के रामगढ़ की शासिका रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध शस्त्र उठाए। अपने अदम्य साहस और रणकौशल से उन्होंने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिए।
लेकिन जब चारों ओर से शत्रुओं ने घेर लिया और पराजय निश्चित जान पड़ी, तब स्वाभिमानी रानी ने आत्मसमर्पण करने के बजाय स्वदेश प्रेम में अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका बलिदान आज भी राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देता है।
✍ संपादकीय टिप्पणी – गौरवशाली इतिहास की जीवंत विरासत
रानी अवंतीबाई लोधी की यह मूर्ति सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, बल्कि भारतीय स्वाभिमान, नारी सशक्तिकरण और स्वतंत्रता संग्राम की अमर ज्योति का प्रतीक होगी। उनके साहस और बलिदान को स्मरण कर हम आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देंगे कि स्वतंत्रता और सम्मान के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता।
आगरा में यह ऐतिहासिक स्थापना केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि समाज में आत्मगौरव और राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण भी करेगी। यह पहल न केवल शिक्षा और संस्कारों के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि भविष्य में ऐसे और भी प्रेरणादायक कार्यों की राह प्रशस्त करेगी।
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