अनोप मंडल के 50 लाख कार्यकर्ता छह राज्यों के गांव-गांव में जैन धर्म के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार
Agra, Uttar Pradesh, India. अनूप मंडल नामक संगठन ने जैन धर्म पर सबसे बड़ा आरोप लगाया है। संगठन का कहना है- कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी भी जैनी लेकर आए हैं। अनूप मंडल के मुकनराम ने तो साफ तौर पर कहा है कि ‘जैन समाज अपनी राक्षसी गतिविधियों को बरमुडा ट्रायएंगल (उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र, जहां से जहाज गायब हो जाते हैं) के 1000 फुट नीचे से संचालित कर रहा है’। भारत के छह राज्यों में अनोप मंडल ने पैठ बना ली है। संगठन के 50 लाख सदस्य गांव-गांव में सक्रिय हैं। प्रभावशाली जैन समाज इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करवा पा रहा है। अनोप मंडल का कार्यालय राजस्थान के सिरोही जिले के शिओगंज में है। संगठन के खिलाफ कार्रवाई की आवाज उठने लगी है।
जैनों के कारण ही भूकम्प और आतंकवादी हमले
यहां प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनूप मंडल राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर सक्रिय है। संगठन के 50 लाख से ज्यादा सदस्य गांव-गांव प्रचार कर रहे हैं- विश्व व भारत में आने वाला हर मानव निर्मित संकट प्राकृतिक आपदा का एकमात्र कारण जैन लोग हैं। जैनों के कारण ही भूकंप आते हैं। जैनों के कारण बाढ़ आती है। जैनों के कारण ही आतंकवादी हमले होते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के पीछे भी जैन धर्मावलंबियों का हाथ है।
जैनों के भगवान काला जादू करके बीमारियां फैलाते हैं
संगठन का मानना है कि जैन लोग, जैन साधु और जैनों के भगवान काला जादू करके अकाल लाते हैं, बाढ़ लाते हैं, बीमारी फैलाते हैं। स्वाइन फ्लू, मलेरिया, लकवा, टायफाइड आदि की उत्पत्ति जैनों ने ही की है। उनका दावा है कि कोरोनावायरस भी जैनियों ने ही पैदा किया है। अनोप मंडल के निशाने पर सिर्फ जैन धर्मावलंबी हैं।
नहीं होती कोई कार्रवाई
पिछले 40 वर्षों में राजस्थान राज्य में इस संगठन के विरुद्ध अनेक मामले दर्ज हो चुके हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने संगठन के खिलाफ कुछ आदेश भी पारित किए हैं। कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण यह संगठन अपना विस्तार देश के अन्य राज्यों में भी कर रहा है।
150 जैन साधु-साध्वियों की मौत के पीछे अनोप मंडल तो नहीं
अब तो यह भी चर्चा है कि पिछले 10 वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में 150 जैन साधु-साध्वियों की मौत के पीछे कहीं अनोप मंडल तो नहीं है। जैनियों का कहना लहै कि अनोप मंडल को जैन समाज विरोधी गतिविधियों को चलाने के लिए कहीं न कहीं से धन आ रहा है। कोई न कोई राजनीतिक दल संरक्षण दे रहा है। जैनियों का यह भी कहना है कि अनुप मंडल हमारी आर्थिक संपन्नता से चिढ़ता है। इसी कारण भोले-भाले ग्रामीणों को लालच देकर अपने साथ कर रहा है।
इस खबर पर संपादकीय टिप्पणी
अनोप मंडल के दुष्प्रचार पर लाइव स्टोरी टाइम (www.livestorytime.com) का कहना है- दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देव (आदिनाथ) को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे और भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। तीर्थंकर परम्परा भगवान महावीर तक चलती रही जिन्होंने, ईसा से 527वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था। इतिहासकारों के अनुसार, यह पांच हज़ार वर्षों से भी पुराना धर्म है। यह भी माना जाता है कि जैन धर्म की उत्पत्ति 3000 ईसा पूर्व सिन्धु घाटी सभ्यता के समय हुई थी। जैन धर्म अहिंसा के आधार पर चलता है। जैन धर्म में चींटी को भी मारना पाप माना जाता है। जैन संत पैदल चलते हैं। ऐसे में अनोप मंडल का दुष्प्रचार समझ से परे है। इसके पीछे कोई न कोई राजनीतिक षडयंत्र हो सकता है।
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