Chaudhary charan singh

‘जो जमीन को जोते-बोये वो जमीन का मालिक है’ कहने वाले चौ. चरण सिंह की की आज पुण्यतिथि है, पढ़िए अनसुनी बातें

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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का आज 29 मई को स्मृति दिवस है। वे भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। वे किसानों के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध हैं।

आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठापूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमो को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था|।929 में चौधरी चरण सिंह मेरठ आ गए। मेरठ आने के बाद इनकी शादी जाट परिवार की बेटी गायत्री देवी के साथ सम्पन्न हुई। गायत्री देवी का परिवार रोहतक ज़िले के ‘गढ़ी ग्राम’ में रहता था। यह वह समय था जब देश में स्वाधीनता संग्राम तीव्र गति पकड़ चुका था। चरण सिंह स्वयं को देश की पुकार से अलग नहीं रख पाए। इन्होंने वक़ालत को त्यागकर आन्दोलन में भाग लेने का मन बना लिया। उस समय कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी थी। चरण सिंह भी कांग्रेस के सदस्य बन गए। कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल कार्यकर्ता के रूप में स्थापित हुई। 1937 के विधानसभा चुनाव में इन्हें सफलता प्राप्त हुई और यह छत्रवाली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। स्वाधीनता के समय जब उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली की जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।

चौधरी चरण सिंह जी का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद पिता चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढ़ी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें हृदय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। यूपी में ‘जो जमीन को जोते-बोये वो जमीन का मालिक है’ का क्रियान्वयन चरण सिंह ने किया। उनके लिए किसान का दुःख अपना दुःख होता था।

चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें  लिखी जिसमें ‘ज़मींदारी उन्मूलन’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, ‘प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद्’ आदि प्रमुख हैं।

आपकी विरासत कई जगह बंटी| आज जितनी भी जनता दल परिवार की पार्टियाँ हैं, उड़ीसा में बीजू जनता दल, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाएटेड, ओमप्रकाश चौटाला का लोकदल, अजित सिंह का ऱाष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी, ये सब चौ. चरण सिंह की विचारधारा से बने हैं।

23 दिसंबर 2020 को उनकी 118वीं जयंती मनायी गयी। उनके उत्तराधिकारी अजित सिंह का गत माह कोरोना से निधन हो गया चौधरी साहब की तीसरी पीढ़ी के रूप में जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पर्दापण हुआ है| देखना है कि बाबा की विचारधारा ‘जो जमीन को जोते-बोये वो जमीन का मालिक है’ का कितना क्रियान्वयन कर पाते हैं। चौधरी चरण सिंह ने कहा था-  “देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है।” देखना है कि जयंत चौधरी इस बात को सत्य साबित कर पाएँगे या नहीं।

राजीव गुप्ता, आगरा