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एडीए के निशाने पर दहतोरा के 400 मकान, 32 साल से मजे ले रहे सांसद-विधायक, MLA डेविड के पत्र पर डेढ़ साल में कुछ न हुआ

REGIONAL

ग्रामीणों को 1991 से आंखें दिखा रहा आगरा विकास प्राधिकरण

विधायक विपिन कुमार डेविड के पत्र पर डेढ़ साल में भी कुछ न हुआ

अपने मकान बचाने के लिए ग्रामीण धरने पर बैठे, बयानबाजी शुरू

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा विकास प्राधिकरण और दहतोरा निवासियों के बीच पिछले 32 वर्ष से तनातनी है। तब से कितने ही सांसद और विधायक बदल गए, कई सरकारें आई और चली गईं, समस्या वहीं की वहीं है। दहतोरा निवासी हर सरकार में बात रखते हैं, फाइल चलती है और बंद हो जाती है। आगरा विकास प्राधिकरण जब तोड़फोड़ के लिए आता है तो ग्रामीण फिर से एकत्रित हो जाते हैं, हल्ला-गुल्ला मचता है और प्रकरण शांत हो जाता है। कुछ महीनों या साल बाद फिर से वही समस्या खड़ी हो जाती है।

एक बार तो किसानों ने पत्रकार वार्ता कर कहा था कि अगर एडीए ने मकान तोड़े तो वे मुसलमान बन जाएंगे। इसी प्रकरण में यूपी की कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य भी एक बार ग्रामीणों के बीच आई थीं। तमाम तरह के आश्वासन दे गई थीं। समस्या वहीं की वहीं बनी हुई है।

कोई नई बात करने से पहले एक नजर पूरे प्रकरण पर डालते हैं। इस बारे में एटा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक विपिन कुमार डेविड ने उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविन्द शर्मा को 20 जुलाई, 2022 को एक पत्र लिखा। उन्हें पूरी जानकारी दी। डेढ़ वर्ष बाद भी इस पत्र पर कुछ नहीं हुआ है। इस पत्र को हम यथावत प्रकाशित कर रहे हैं ताकि हर कोई वस्तुस्थिति से अवगत हो सके।

सिकन्दरा आवासी योजना का गजट अन्तर्गत धारा 4 दिनांक 30/01/1989 तथा 24/07/1989 को किया गया था। इसके उपरान्त धारा 6 व धारा 17 का गजट दिनांक 05/09/1989 तथा 11/04/1990 को किया गया था। दिनांक 03/06/1990. 13/03/1991, 30/03/1991 तथा 14/05/1991 को उपरोक्त योजना का कब्जा लिया था तथा दिनांक 18/09/1991 को अभिनिर्णय घोषित किया था।

प्रार्थीगणों ने अपनी-अपनी भूमि को अर्जन से मुक्त करने के सम्बन्ध में दिनांक 20/12/2001 को प्रार्थना पत्र दिये थे जिस पर शासन ने अपने शासकीय पत्र दिनांक 15/01/2001 के माध्यम से श्री श्यामबाबू आदि नि०- ग्राम दहतोरा जिसमें विभिन्न खसरा नं० थे प्रार्थियों का खसरा नं0 16/3 143, 140 सम्मिलित थे, में सैकड़ों भवन निर्मित बताये गये थे। इस सम्बन्ध में शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया था था कि विकास प्राधिकरण की बैठक दिनांक 15/05/1993 में किये गये निर्णय एवं शासनादेश दिनांक 10/11/1989 के सम्बन्ध में स्थिति रपष्ट कर तदनुसार कार्यवाही की जाये। परन्तु उपाध्याय आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा क्या कार्यवाही की गई, इससे प्रार्थीगणों को अवगत नहीं कराया। इसके उपरान्त आगरा विकास प्राधिकरण की अधिशासी अभियन्ता द्वारा प्रार्थीगणों को दिनांक 14/02/2008 को पत्र भेजा था जिसमें सिकन्दरा आवासीय योजना के अन्तर्गत ग्राम दहतोरा के खसरा नम्बरों को अधिग्रहीत भूमि रियायती दरों 2175 रु० प्रति वर्गमी० पर भूमि दिये जाने पर किसानों से सहमति मांगी थी परन्तु किसानों ने अपनी अर्थिक कमजोरी  के कारण 1375 रुपये प्रति वर्गमी० की दर से भूमि दिये जाने का अनुरोध किया था। आगरा विकास द्वारा प्रार्थीगणों के प्रार्थना पत्रों पर कोई अग्रिम कार्यवाही नहीं की।

दिनांक 24/03/2014 को शासनादेश आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 द्वारा समस्त उ०प्र० के लिए पुराने भू-अर्जन अधिनियम के क्रम में चल रही भू-अधिग्रहण की कार्यवाही के सम्बन्ध में निम्नानुसार स्पष्टीकरा किया था जिसके पैरा नं0 2 के उप-पैरा नं0 2 में स्पष्ट किया है जिसके अनुसार अधिनियम 1894 की धारा 11 के अन्तर्गत अभिनिर्णय किया था परन्तु इस अधिनियम के प्रारम्भ से 5 वर्ष या अधिक पूर्व प्रारम्भ किया गया है किन्तु भूमि का भौतिक कब्जा नहीं लिया गया है जबकि उक्त योजना का अभिनिर्णय दिनांक 18/09/1991 को घोषित किया गया था अभिनिर्णय घोषित करने के बाद आज तक करीब 30 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं जिस पर अभी तक भौतिक कब्जा नहीं लिया है जबकि मौके पर सम्पूर्ण खसरा सं0 16/3, 140, 143 की भूमि आबादी से आच्छादित है और मौके पर कई वर्ष पुराने मकान बने हुये हैं। इस शासनादेश व अन्य प्रार्थना पत्रों की छायाप्रति संलग्न है।

 

आगरा विकास प्राधिकरण आगरा द्वारा सिकन्दरा आवासीय योजना से सम्बन्धित किसानों के साथ वार्ता हुई है परन्तु विकास प्राधिकरण आगरा ने कोई अन्तिम आदेश नहीं किया है। इससे किसानों में रोष और भय व्याप्त है कि प्राधिकरण किसानों की भूमि पर जबरदस्ती कब्जा  न कर लें। नियमानुसार प्रार्थीगणों की भूमि पर प्राधिकरण का अब कोई कब्जा करने अधिकार नहीं है।

यह कि भूमि अर्जन एवं पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम की धारा 101 में भी स्पष्ट अंकित है कि कब्जा लेने की तारीख से 5 वर्ष तक की अवधि तक भूमि उपयोग में नहीं ली जाती है तो उसे वह भूमि, भूमि के स्वामियों व उनके विधिक वारिसों को नियमानुसार वापस की जायेगी, परन्तु उक्त प्रार्थीगणों की भूमि पर अभिनिर्णय / कब्जा के 30 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी आज तक कब्जा नहीं लिया गया और आज मौके पर खसरा सं0 16/3, 66, 140. 142, 143, 144, 137, 138 तथा 17 पर घनी आबादी बसी हुयी है और गरीब किसान निवास करते हैं।

इसलिए प्रार्थीगण न तो भूमि का विकास शुल्क दे सकते हैं और न ही अन्य जगह पर भूखण्ड ले सकते हैं। उक्त भूमि प्रार्थीगणों की पैतृतक सम्पत्ति है और प्रार्थी के परिवार के लोग निवास करते हैं। आगरा विकास प्राधिकरण ने प्रार्थियों की आर्थिक स्थिति को देखते हुये खसरा सं० 18 व 143 जिनको विस्थापित किया गया था उनकी आवासों को मुक्त करने के लिए दिनांक 20.04.2011 को उप सचिव उ०प्र० शासन लखनऊ को सन्दर्भित किया है (भेजा है) जिसका पत्रांक संख्या 27/8/884/11 है। अतः आपसे निवेदन है कि आवासों को मुक्त कराने की कृपा करें।

यह कि वादग्रस्त भूमि का आगरा विकास प्राधिकरण आगरा द्वारा सर्वे किया था। सर्वे के दौरान मौके पर सभी लोग काबिज मिले, जिसको प्राधिकरण की टीम ने अपने नक्शे में दर्शाया है और मौके पर कोई जगह खाली नहीं है।

यह कि प्रार्थीण की भूमि खसरा संख्या 18/3 व 143 में आगरा विकास प्राधिरण द्वारा 100 फीट रोड़ निकाल दिया है जिसमें 2548.77 वर्गमी० भूमि रोड के लिए ले ली है और मौके पर प्राधिकरण का रोड मौजूद है। इस प्रकार प्राधिकरण द्वारा प्रार्थी को रोड के लिए ली गयी 2548.77 वर्गमीट भूमि के बदले न कोई जमीन दी है और न कोई प्रतिकर दिया है जो पूर्णतः गलत व नियम विरुद्ध है। अतः श्रीमान जी से विनम्र निवेदन है कि प्रार्थीगणों की भूमि को अधिग्रहण से मुक्त कराने की कृपा करें।

दहतोरा आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आता है। जब से यह समस्या है, तब से कई  नेतागण विधायक बन गए, पर समस्या का समाधान नहीं हुआ है। एक नजर विधायकों की सूची पर डालते हैं-

 

2023 बेबीरानी मौर्य, भाजपा, विधायक एवं कैबिनेट मंत्री।

2017 हेमलता दिवाकर कुशवाहा, भाजपा, पूर्व विधायक, वर्तमान में महापौर आगरा।

2012 कालीचरण सुमन, बसपा, पूर्व विधायक। (वर्तमान में भाजपा में शामिल)

2007 डॉ. धर्मपाल सिंह, जनमोर्चा, पूर्व विधायक, वर्तमान में एत्मादपुर से विधायक (भाजपा)।

2002 सेठ किशनलाल बघेल, बसपा, सरकार में मंत्री भी रहे। (स्वर्गवास हो चुका है।

1993 चौ. उदयभान सिंह, भाजपा, पिछली भाजपा सरकार में राज्यमंत्री रहे।

1991 विजय सिंह राणा, जनता दल (स्वर्गवास हो चुका है)

 

ये रहे सांसद

2019 राजकुमार चाहर, भाजपा

2014 चौ बाबूलाल, भाजपा

2009 सीमा उपाध्याय, बसपा (अब वे मौका देखकर भाजपा में आ गई हैं और हाथरस जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।)

2004 राज बब्बर समाजवादी पार्टी

1999 राज बब्बर समाजवादी पार्टी

1998 भगवान शंकर रावत, भाजपा

1996 भगवान शंकर रावत, भाजपा

1991 भगवान शंकर रावत, भाजपा

 

ये रहे मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव

कल्याण सिंह

मायावती

रामप्रकाश गुप्ता

राजनाथ सिंह

अखिलेश यादव

योगी आदित्यनाथ

 

फिर से खतरा, धरना शुरू

गत रात्रि में आगरा विकास प्राधिकरण के इंजीनियर कब्जा लेने आ गए। लोगों ने विरोध किया। वे चले गए। अनिष्ट की आशंका देखते हुए धरना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ए.डी.ए. द्वारा  दशकों से उत्पीड़न किया जा रहा है। लगभग चार पांच सौ मकान अधिग्रहण से पूर्व के बने हुए हैं। उन पर ए.डी.ए. जबरन कार्यवाही करना चाहता है। जबकि ग्रामीणों ने जमीन का मुआवजा नहीं लिया है। ए.डी.ए. के उत्पीड़न के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश है किसी भी कीमत पर अपने घरों को उजड़ने नहीं देंगे।

संजीव लोधी ने कहा कि जहां भाजपा की सरकार गरीबों को आशियाना दे रही है वहीं ए.डी.ए. द्वारा दशकों पुराने भवनों को तोडकऱ गरीब किसानों को बेघर किया जा रहा है। उन्होने कहा कि आज गरीब मजदूर किसान ठंड़ में सुबह से धरने पर बैठने पर मजबूर हैं। ग्रामीण अंतिम सांस तक अपने मकानों की लड़ाई लड़ते रहेंगे।

प्रमुख रूप से दुलीचंद, डॉ. सुनील राजपूत, हरिकिशन लोधी, शेरसिंह, गिरिश शर्मा, राजेश लोधी, भीमसेन, मोहनदास, ओमप्रकाश, दीवान सिंह, रामसिंह, राजकुमार, सीताराम, शंभूदयाल, मोहन, राजवती, सरिता देवी, रानी राजपूत, विजय कुमारी, लक्ष्मी, नरौता देवी, अशरफी, सविता देवी आदि एवं भारी संख्या में अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।

 

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