जुबैर को नहीं मिली जमानत, FIR में नई धाराएं और जोड़ी गईं

जुबैर को नहीं मिली जमानत, FIR में नई धाराएं और जोड़ी गईं

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पटियाला हाउस कोर्ट ने ‘फैक्‍ट-चेकर’ मोहम्‍मद जुबैर को 14 दिनों की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस का अनुरोध स्‍वीकार करते हुए शनिवार को फैसला सुनाया। अदालत ने जुबैर की ओर से दायर जमानत याचिका भी खारिज कर दी। इससे पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला लंच तक सुरक्षित रख लिया था। दिल्‍ली पुलिस की तरफ से स्‍पेशल पब्लिक प्रोसीक्‍यूटर अतुल श्रीवास्‍तव ने बताया कि जुबैर के खिलाफ FIR में नई धाराएं जोड़ी गई हैं। अब IPC की धारा 120B और 201 तथा FCRA की धारा 35 के तहत भी जांच होगी। पुलिस के अनुसार ‘जिस दिन जुबैर फोन लेकर स्‍पेशल सेल के ऑफिस आए, उसका एनालिसिस किया गया। पता चला कि उस दिन से पहले तक वह दूसरा सिम यूज कर रहा था। जब उसे नोटिस मिला, तो उसने वही सिम निकाला और नए फोन में डाल दिया। देखिए यह आदमी कितना चालाक है!’
पाकिस्‍तान, सीरिया से जुबैर को पैसा आया…
दिल्‍ली पुलिस ने कोर्ट में कहा क‍ि ‘अगर आप दूसरे देश के व्‍यक्ति से दान वगैरह लेते हैं तो यह उल्‍लंघन है। CDS एनालिसिस के अनुसार उन्‍होंने (जुबैर) रेजर गेटवे के जरिए पाकिस्‍तान, सीरिया से पैसा लिया है जिसके बारे में और जांच की जरूरत है।’ पुलिस की दलीलों के जवाब में जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पूरी कवायद ‘दुर्भावना’ के चलते की जा रही है। उन्‍होंने IPC की धारा 153A और 295 में दर्ज पहली FIR पर भी सवाल उठाए। ग्रोवर ने पूछा कि ‘क्‍या मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना अपराध है? क्‍या फोन को रीफॉरमेट करना अपराध है, या चालाक होना अपराध है?
इंडियन पीनल कोड के तहत इनमें से कुछ भी अपराध नहीं है। अगर आप किसी को पसंद नहीं करते तो ठीक है लेकिन आप उस व्‍यक्ति को चालाक बताकर संदेह नहीं कर सकते।’
कहां-कहां से पैसे आए?
दिल्‍ली पुलिस ने एक बयान में बताया कि ‘रेजरपे’ से मिले एक जवाब के एनालिसिस से पता चला कि ऐसे कई लेन-देन हुए, जिनमें या तो मोबाइल फोन नंबर भारत के बाहर का था या आईपी पता बैंकॉक, ऑस्ट्रेलिया, मनामा, नॉर्थ हॉलैंड, सिंगापुर, विक्टोरिया, न्यूयॉर्क, इंग्लैंड, रियाद क्षेत्र, शारजाह, स्टॉकहोम, अबू धाबी, वाशिंगटन, कंसास, न्यू जर्सी, ओंटारियो, कैलिफोर्निया, टेक्सास, लोअर सैक्सोनी, बर्न, दुबई और स्कॉटलैंड समेत बाहरी शहरों और विदेशों का था।
पुलिस की दलीलों पर क्‍या बोलीं ग्रोवर?
जुबैर की तरफ से पेश हुईं वरिष्‍ठ एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने श्रीवास्‍तव की दलीलों पर कहा कि ‘इस केस में विभिन्‍न अदालतों की ओर से बनाई गईं गाइडलाइंस का माखौल बनाया जा रहा है।’
ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट 2018 का है। वह ट्वीट एंड्रॉयड फोन से किया गया, मगर इन्‍होंने लैपटॉप सीज कर लिया। जुबैर की वकील ने कहा कि ‘मेरा फोन किसी बाइक सवार ने छीन लिया था। कोई हैरानी की बात नहीं। 2021 में शिकायत दर्ज कराई। दस्‍तावेज मौजूद हैं।’ ग्रोवर ने कहा कि एक फिल्‍म सीन को सेंसिटिव बताकर पेश किया जा रहा है, वैसे ट्वीट्स अब भी ट्विटर पर हैं। 40 साल तक फिल्‍म से कोई दिक्‍कत नहीं हुई और अब एक फॉलोवर वाले अनाम अकाउंट के टैग करने पर केस हो गया।
अदालत ने दिल्‍ली पुलिस से पूछा कि आप किस आधार पर और न्‍यायिक हिरासत चाहते हैं। स्‍पेशल पब्लिक प्रोसीक्‍यूटर ने डोनेशंस का जिक्र किया और कहा कि उन्‍हें विदेशी चंदों के बारे में और जानकारी के लिए जुबैर के फोन की जरूरत है। श्रीवास्‍तव ने कहा कि समय बेहद महत्‍वपूर्ण है। अदालत ने जब पूछा कि कितना समय चाहिए तो श्रीवास्‍वत ने कहा कि बैंक ट्रांजेक्‍शंस वह नाम दिखाते हैं जहां रकम आई। उन्‍होंने कहा कि हमें 3-4 दिन चाहिए।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh