इमरजेंसी में जान बचाने ‘ईच-वन टीच वन’ कैंपेन, उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल में हुई सीपीआर की कार्यशाला – AGRA BHARAT HINDI E-NEWS

इमरजेंसी में जान बचाने की तकनीक आप भी सीख सकते हैं

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क्या आपको नहीं लगता यह जरूरी है ?, सीपीआर से आप भी बचा सकते हैं किसी की जान

Agra, Uttar Pradesh, India.हम सभी को आपात स्थिति में जान बचाने की कोई न कोई तकनीक आनी चाहिए। इंडियन सोसायटी आॅफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (आईएसए) की आगरा शाखा सितंबर माह में ईच वन टीच वन अभियान चला रही है। अध्यक्ष डाॅ. टीसी पिप्पल, उपाध्यक्ष डॉ वंदना कालरा, सचिव डाॅ. रजनीश कुमार मिश्रा, कोषाध्यक्ष डाॅ. नमिता किशोर के निर्देशन में बेसिक लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंगलवार को सिकंदरा स्थित उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल में मेडिकल, नाॅन मेडिकल स्टाफ और तीमारदारों को कार्डियो पल्मोनरी रिसिसिटेशन सीपीआर का प्रशिक्षण दिया गया।

पुलिस कर्मी, यातायात कर्मी, बस, आॅटो चालक, परिचालक, स्कूल-काॅलेज के छात्र सभी को प्रशिक्षण लेना चाहिए। शहर में कोई भी संस्था अगर सीपीआर का प्रशिक्षण लेना चाहे तो वह उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल से सम्पर्क कर सकती है। इस दौरान डाॅ. कनिष्क, राममूर्ति, अजय, निशा, प्रियंका, गोविंद, केएम सोनी, संध्या, रंजीत आदि मौजूद थे।

30 से 40 फीसद लोगों की बच सकती है जान
आईएसए आगरा कीं उपाध्यक्ष और उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल में आईसीयू विभागाध्यक्ष डाॅ. वंदना कालरा ने बताया कि सीपीआर प्रशिक्षण से उन 30 से 40 फीसद लोगों की जान बचाई जा सकती है, जो ह्दयाघात के चलते, किसी दुर्घटना में सड़क पर या घर पर गिरकर बेहोश हो जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी कार्डियो पल्मोनरी रिसिसिटेशन यानि सीपीआर से महज एक या दो प्रतिशत लोग ही प्रशिक्षित हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम में से हर एक इसे सीखे और फिर दूसरे को सिखाए।

सीपीआर एक स्किल बेस्ड ट्रेनिंग
वहीं रीजनल हैड, वेस्टर्न यूपी, सिग्नस मेडिकेयर प्रा. लि. प्रशांत बजाज ने कहा कि यह एक स्किल बेस्ड ट्रेनिंग है, जिसे हर कोई सीख सकता है। देश की आबादी के हिसाब से 15 से 20 फीसद लोग यानि हर घर में एक व्यक्ति प्रशिक्षित होना चाहिए। किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया हो, दुर्घटना में घायल हो गया हो, कोई अभिव्यक्ति न कर रहा हो तो सबसे पहले उसे फर्श पर लिटा लें। अस्पताल पहुंचने के लिए एंबुलेंस को फोन कर दें। एंबुलेंस न आने तक छाती के बीच के हिस्से में प्रति मिनट 100 से 120 बार पांच से छह सेमी तक दबाएं। जब तक कोई और सहायता के लिए नही आए ऐसा ही करते रहें। एक्सपर्ट्स से इसका और गहन प्रशिक्षण ले सकते हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh