webinar on agra barrage

बैराज के नाम पर आगरा के साथ क्रूर मजाक अब बर्दाश्त नहीं

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Agra, Uttar Pradesh, India. ‘जल है तो कल है’, ‘जल हमारी साझा सम्पत्ति है और हम उसका प्रयोग इस प्रकार नहीं कर सकते हैं कि अन्य लोग अपने जलाधिकार से वंचित हो जायें। ‘केवल वर्षा जल संचयन से जल समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा अपितु जल प्रबन्धन को समग्रता से समझना व लागू करना होगा। जल समस्या के समाधान के लिए केवल सरकार को ही नहीं, हमें भी अपने हिस्से के प्रयास करने होंगे। ऐसे अनेक सामयिक विचार विश्व जल दिवस (22 मार्च) के अवसर पर नेशनल चैम्बर द्वारा आयोजित वर्चुअल गोष्ठी में आये। यह भी निर्णय हुआ कि चैम्बर एक टीम गठित कर जल समस्या के समाधान के लिए निरन्तर प्रयासरत रहेगा।

वर्चुअल गोष्ठी को प्रारम्भ करते समय चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने कहा कि गिरते हुए भूगर्भ जल स्तर और पानी की निरन्तर कमी को देखते हुए हमें निरन्तर चिन्तन करना है। समाज को एकजुट कर जागृति उत्पन्न करनी होगी ताकि समस्या के कारगर समाधान के लिए चौतरफा प्रयास हो सके। भूगर्भ जल का स्तर निरन्तर गिर रहा है वह अत्यन्त चिन्ता का विषय है और समय रहते हुए हमें जागना ही होगा।

विषय की भूमिका रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन द्वारा कहा गया कि जल समस्या के समाधान के लिए वर्षा जल संचयन एक महत्वपूर्ण भाग मात्र है। केवल वर्षा जल संचयन से समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। हमें जल प्रबन्धन की समग्र नीति बनानी होगी जिसमें प्रयोग किये हुए जल की रिसाईकलिंग, नालों और सीवेज के पानी के शोधन के बाद उपयोग आदि उसके विशेष भाग होंगे। हमें वृक्ष भी ऐसे लगाने हैं जिन्हें पानी की कम आवश्यकता हो। कृषि कार्य में जो भूगर्भ जल प्रयोग में आता है। वह कुल प्रयोग में आने वाले जल का लगभग 80 प्रतिशत है। अतः कौन सी खेती की जाये जिसमें पानी कम लगे इसका भी हमको ध्यान करना होगा। ड्रिप इर्रीगेशन और स्प्रिंक्लर सिस्टम को अपनाना होगा। बड़े-बड़े पब्लिक पार्कों को बोरवेल के स्थान पर एस0टी0पी0 व नालों के शोधित जल से सिंचाई करनी होगी जैसा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश के क्रम में दिल्ली के पब्लिक पार्कों में हो रहा है।

अप्सा के अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि अप्सा द्वारा आगामी वर्ष में जल संचयन एवं हरियाली को अभियान बनाने का निर्णय लिया गया है जिसमें बच्चों की अग्रणी भूमिका होगी। चैम्बर को भी एक टास्क ग्रुप बनाकर इस अभियान को आगे बढ़ाना चाहिए।

चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने जल समस्या के समाधान की प्रभावी रणनीति को आगरा महायोजना-2031 व उसके अन्तर्गत बनने वाले जोनल प्लॉन्स का हिस्सा बनाने की मांग की और वर्षा जल संचयन के नियमों को लागू करने की बात कही।

आगरा व गाजियाबाद में रहे मुख्य नगर नियोजक व मुख्य आर्किटेक्ट वेद मित्तल ने कहा कि जल है तो कल है, बिना जल के जीवन की परिकल्पना संभव नहीं है। हमारे भारतवर्ष का भौगोलिक क्षेत्रफल विश्व के कुछ भौगोलिक क्षेत्रफल का मात्र 2 प्रतिशत है जबकि हमारी जनसंख्या विश्व की 18 प्रतिशत है और हमारे पास पेयजल के संसाधन केवल 4 प्रतिशत ही हैं। कॉलोनी और शहरों का नियोजन करते समय हमें पार्कों के लेवल को आस-पास की जमीन से नीचा रखना चाहिए ताकि वर्षा जल स्वतः वहां संचित हो सके, रेन वाटर स्ट्रक्चर बनाने चाहिए, सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट से निकलने वाला जल शोधित कर पुनः उपयोग रिसाईकलिंग के माध्यम से करना चाहिए। बड़े भवनों और कॉलोनियों में दोहरे पाइप की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि एस0टी0पी0 के शोधित जल को शौचालय में इस्तेमाल किया जा सके, जगह-जगह पर छोटे-छोटे एस0टी0पी0 बनाये जाने चाहिए। झीलों और तालाबों को पुनः जीवित करना चाहिए।

चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी ने कहा कि हमें यह निर्णय करना होगा कि जल बचाने व जल संचयन में कौन-कौन सी सरकार की जिम्मेदारियां है और कौन सी हमारी। तमिलनाडु में जिस प्रकार चमड़े के टेनरी से निकलने वाले गन्दे पानी का शोधन अनिवार्य है और शोधित पानी का पुनः उपयोग किया जाता है ऐसी ही व्यवस्था हमें भी करनी होगी। वायु मण्डल की नमी से भी जल प्राप्त किया जा सकता है और पीने के लिए जल प्राप्त कराना सरकार की जिम्मेदारी है।

प्रमुख होटल उद्यमी अरुण डंग ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जल के मामले में आगरा दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। पानी की खराब गुणवत्ता के कारण अंग्रेजों को भी आगरा छोड़ना पड़ा था और ब्रिटिश काल में भी आगरा के बहुत लोग हैजे आदि बीमारियों से पीड़ित हुए थे। बैराज का 3 बार उदघाटन हो चुका परन्तु अभी केवल उसकी परिकल्पना ही है उसे एक सच्चाई बनाना होगा।

वरिष्ठ पत्रकार एवं जलाधिकार फाउण्डेशन से जुड़े राजीव सक्सैना ने जल के उपलब्ध अनेक स्त्रोतों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि ताजमहल के आगे नगला एत्माली पर बैराज का निर्माण होना चाहिए। जोधपुर झाल विकसित होना चाहिए जो आगरा के लिए जल का एक बहुत बड़ा स्त्रोत सिद्ध होगा। घना संचुरी के पास तेरह मोरी बांध के निकट दीवार खड़ी कर दी गयी है जो हटनी चाहिए। पार्क माइनर चालू होनी चाहिए। चिकसाना डैम्ब की दुर्दशा है जिसे सुधारना होगा। ड्रेनेज मास्टर प्लॉन बनना चाहिए और नालियों का पानी सीवर लाइन में नहीं जाना चाहिए। कम्युनिटी ट्रीटमेन्ट प्लान्ट बनने चाहिए। ताजमहल के चारो ओर पोण्डिंग होनी चाहिए। फैसले बड़े दिल से करने होंगे। ब्रिटिशर ग्रीसन की आगरा के सम्बन्ध में बनायी गयी योजना के जो-जो भाग आज भी प्रासंगिक हैं उनका प्रयोग करना होगा। चैम्बर के कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।  कार्यक्रम का संचालन चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने किया। धन्यवाद अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने दिया।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh