सोशल मीडिया इन दिनों लाइफ का हिस्सा बन चुका है। क्योंकि सुबह उठते ही आप सबसे पहले फोन में फेसबुक या इंस्टाग्राम ही यूज करते हो। सोशल मीडिया आने के बाद टेक्नोलॉजी हमेशा कठघरे में भी रहती है। यहां से डाटा लीकेज एक बड़ी समस्या बन चुका है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसी ऐप्स यूजर्स की कई निजी जानकारी भी लीक कर रही है।
Felix Krause नाम के इंजीनियर ने हाल ही में खुलासा किया था कि Instagram और Facebook में एक In-App Browser होता है जो हर निजी जानकारी पर नजर रखता है। साथ ही इस जानकारी का बाद में इस्तेमाल भी किया जाता है। 10 अगस्त को अपनी एक पोस्ट के जरिये उन्होंने इसका खुलासा किया तो इस In-App Browser पर बहस छिड़ गई। यूजर्स ने इंस्टाग्राम और फेसबुक से इसको लेकर जवाब भी मांगा।
अब क्योंकि सवाल हर बार ऐसा ही आता है तो इस बार भी Meta ने इस पर सफाई दी, लेकिन उन्होंने Codes को लेकर साफ कर दिया कि ये उनके ऐप्स में पाए जाते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि इसके लिए पहले यूजर्स से परमीशन मांगी जाती है। कोई भी जानकारी हासिल करने के लिए यूजर से पहले परमीशन मांगी जाती है। परमीशन मिलने के बाद ही उसके क्लिक्स और अन्य सभी जानकारी का डाटा हासिल किया जाता है।
अब सवाल है आखिर ऐसा Meta क्यों कर रहा है?
इसके पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं, लेकिन एक मुख्य कारण है कि Meta के बिजनेस मॉडल का मुख्य स्रोत डाटा ही है। यानी कंपनी उसी आधार पर यूजर्स के लिए आगे चीजें उपलब्ध कराती है। हालांकि विवाद तो थर्ड पार्टी वेबसाइट्स को लेकर भी है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ऐसा सिर्फ Meta ही नहीं कर रहा है। ऐसा हर कोई कर रहा है चाहे फिर Apple हो या Google। सबके पास अपना ब्राउजर है जो उसकी जानकारी हासिल करता है।
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