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तबला वादक और ENT सर्जन डॉ. एके भट्टाचार्य ने जब आगरा में क्लीनिक खोला तो झाड़ू-पोंछा खुद करते थे

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‘लीडर्स आगरा’ और तपन फाउंडेशन ने जन्मदिन पर किया सम्मानित

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. लीडर्स आगरा और तपन फाउंडेशन द्वारा ‘चलें शहर को समर्पित बुजुर्ग विभूतियों के घर, उनका अभिनंदन और चरण वंदन करने’ अभियान चलाया जा रहा है। शनिवार को चिकित्सा जगत के स्तम्भ एवं आगरा के प्रथम नाक, कान, गला रोग के  विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. ए.के भट्टाचार्य का अभिनंदन किया। करीब 83 साल के डॉ. भट्टाचार्य अभी भी मरीजों का परीक्षण करते हैं। अधिकांश मरीज उनके अनुभव के आधार पर उनसे ही परीक्षण कराने को प्रमुखता देते हैं। वे विख्यात तबला वादक भी हैं।

कालीबाड़ी स्थित आवास पर लीडर्स आगरा के पदाधिकारी पहुंचे। उन्हें मुख्य अतिथि, पूर्व पार्षद और समाजसेवी शिरोमणि सिंह ने अभिनंदन पत्र भेंट करके सम्मानित किया। सुनील जैन, स्वीटी चौहान, आयुषी गुप्ता ने इलायची की माला पहना कर और डॉ. अशोक कुशवाहा, रवि गिड़वानी, राजू सविता धर्मेन्द्र बघेल ने शाल ओढ़ा कर अभिनंदन किया।

 इस अवसर पर शिरोमणि सिंह, सुनील जैन, स्वीटी चौहान, रोबिन जैन, राहुल वर्मा ने “तपन सम्मान ” से उन्हें सम्मानित कर प्रतीक चिन्ह भेंट किया।  संयोगवश उनके जन्मदिन पर लीडर्स आगरा परिवार ने उनको शुभकामनायें देकर उनके दीर्घ जीवन क़ी कामना की।

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लीडर्स आगरा के महामंत्री पूर्व पार्षद सुनील जैन ने बताया कि डॉ. भट्टाचार्य का नाम देश-प्रदेश में सम्मानित और गौरवशाली चिकित्सकों में शुमार है। वर्ष 1971 से कालीबाड़ी क्षेत्र स्थित अपने क्लीनिक पर आज भी मरीजों का परीक्षण करते हैं। शहर के प्राचीन कालीबाड़ी में काली मंदिर के उपासक भी हैं और उसका प्रबंधन भी देखते हैं। वे बहुत अच्छे तबला वादक भी हैं। चिकित्सकों के समारोहों के अलावा वे देश के विभिन्न संगीत सम्मेलनों में अपने तबला वादन का जादू बिखेर चुके हैं। यानि चिकित्सा, धर्म और संगीत से उनका गहरा जुड़ाव है।

डॉ. एके भट्टाचार्य ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और बताया कि आधुनिक दौर मे बुजुर्गो का स्थान घर -मंदिर में भगवान के रूप में होना चाहिए, न कि वृद्धाश्रम में। उन्होंने युवाओं से कहा- घरों के संस्कार के लिए काम करें, न कि पैसे के पीछे दौड़ लगाएं। उन्होंने अपना स्मरण बताते हुए कहा-  उन्होंने जब क्लिनिक खोला तो, उसमें झाड़ू -पोंछा भी खुद किया। देश में आज आधुनिकता का दौर है, लेकिन हमें अपनी परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए। लीडर्स आगरा ने घर-घर जाकर बुजुर्गों के सम्मान की जो परंपरा कायम की है, वह बहुत सराहनीय है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh