डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. ताजमहल के शहर आगरा में पांचवां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हो रहा है। इसके कर्ताधर्ता हैं फिल्म निर्देशक और लेखक सूरज तिवारी। फिल्म फेस्टिवल 3 नवम्बर को शुरू हुआ और 5 नवम्बर, 2023 को अंतिम दिन है। दूसरे दिन तो सैकड़ों विद्यार्थी पहुंचे। 10 देशों की 100 फिल्में आईं और इनमें से 30 का चयन फिल्म फेस्टिवल के लिए हुआ है। फ्रांस की जानी-मानी अभिनेत्री मैरिन बोर्गो लगातार उपस्थित हैं। ऐसे में कुछ लोग सूरज तिवारी के प्रति सौतिया डाह पाले हुए हैं। अरे भाई, पहले फिल्म फेस्टिवल में आकर देखो, फिर कुछ भी कहो।
सूरज तिवारी अकेले दम पर फिल्म फेस्टिवल का पांचवां संस्करण कर रहे हैं। आगरा विश्वविद्यालय का सहारा है। यह कोई मामूली बात नहीं है कि 10 देशों से सौ फिल्में शामिल कराई जाएं, उनमें से 30 का तीन दिन तक प्रदर्शन हो। आगरा के लेखक, साहित्यकार, गीतकार, गायक, कलाकार, नाट्यकर्मी, संस्कृतिकर्मी, संगीतकार, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, वीडियो एडिटर के लिए यह सुनहरा अवसर है। फिल्म ही ही तो जिसमें सभी विधाएं शामिल होती हैं। अगर आप नहीं आ रहे हैं तो ऐसा अवसर खो रहे हैं, जिनसे एक्टिंग और फिल्म निर्माण की तकनीक सीखी जा सकती है। अगर आप फिल्म के क्षेत्र में सक्रिय होना चाहते हैं तो फिल्म फेस्टिवल पहला पायदान है। सूरज तिवारी ने यह उपलब्घध करा दिया है। अगर आप पायदान पर नहीं चढ़ना चाहते हैं तो कोई क्या कर सकता है।
आज अंतिम दिन भी अवसर है। शाम छह बजे तक फिल्मों की स्क्रीनिंग होगी। शाम को सात बजे से समापन समारोह होगा। अवॉर्ड दिए जाएंगे। स्थान है डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार। खास बात यह है कि फिल्मों की टीम भी उपस्थित रहेगी। इनसे संवाद कर सकते हैं। अपनी जिज्ञासा शांत कर सकते हैं। कुछ टिप्स भी ले सकते हैं। फिल्म के बारे में सीखने का अवसर है फिल्म फेस्टिवल।
इन फिल्मों का होगा प्रदर्शन
ईरान, अमेरिका, बांग्लादेश, मुम्बई से होते हुए “मुम्बई टू आगरा”, गोआ से सेक्रेड फारेस्ट अमेरिका हनी, ग्वालियर से फिर आगरा तक मेरी लाडो, कोटा की हसरतें, कानपुर की पापा तुम न समझोगे, ग्वालियर की डरपोक, एटा की एल्बम दिल में एक राज़, पुणे की पिरामिड, आगरा की गुमनाम धरोहर, यू पी 80 एक क्राइम स्टोरी से लेकर अंत की फिल्में पानी की एक बूंद और अभी हालिया रिलीज़ फ़िल्म “मंडली” को देखने का अवसर है।
कुछ ऐसे हैं श्रीमान, उन्हें चाहिए सिर्फ सम्मान, भाड़ में जाए फिल्म फेस्टिवल और गोदान