1984 में जो सिखों के साथ जो हुआ, उसे ‘नरसंहार’ कहा जाना चाहिए: दिलजीत – Up18 News

1984 में जो सिखों के साथ जो हुआ, उसे ‘नरसंहार’ कहा जाना चाहिए: दिलजीत

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सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ ने कहा है कि साल 1984 में जो सिख दंगा हुआ था उसे वास्तव में ‘नरसंहार’ कहा जाना चाहिए। दिलजी अपनी अगली फिल्म ‘जोगी’ को लेकर चर्चा में हैं जो साल 1984 हुए सिख दंगे पर बेस्ड है। दिलजीत का जन्म भी उसी साल जनवरी में हुआ था। उन्होंने कहा है कि जब से वह पैदा हुए हैं, इस बारे में ही सुनते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे आज भी इसी के साथ जी रहे हैं।

इसके बाद देश भर में भड़क उठी थी हिंसा

बता दें कि यह दंगा भारत में तब शुरू हुआ था जब 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही बॉडीगार्ड्स ने हत्या कर दी थी जो सिख थे। बहुत सारे सिख देशभर में मारे गए और हर तरफ इसे लेकर हिंसा भड़क उठी थी। अली अब्बास जफर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘जोगी’ में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख कम्युनिटी के खिलाफ भड़की हिंसा की कहानी है। बताया जाता है कि इस हिंसा में सबसे अधिक दिल्ली के अंदर हत्याएं हुई थी और तब सिख अपने घर के अंदर भी सुरक्षित नहीं थे।

मैं जब से पैदा हुआ हूं तभी से इस बारे में सुनता रहा हूं

दिलजीत दोसांझ ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘हमें इसे दंगा नहीं कहना चाहिए, बल्कि इसके लिए सबसे उचित शब्द नरसंहार है। जब लोगों के बीच दो तरफा लड़ाई हो तो इसे दंगा कहा जा सकता है। मेरे हिसाब से इसे नरसंहार कहा जाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि यह केवल एक-दो या फिर कुछ लोगों के साथ हुआ। मैं जानता हूं कि यह घटना सामूहिक रूप से हम सबके साथ घटी है। अगर मैं कुछ घटनाओं के बारे में बात करूं तो यह पर्सनल होगा। हमने इस फिल्म में सामूहिक रूप से इस बारे में बात की है। मैं जब से पैदा हुआ हूं तभी से इस बारे में सुनता रहा हूं और आज भी उन यादों के साथ ही जी रहे हैं।’

दिलजीत ने कहा, यह कोई नई कहानी नहीं है

उन्होंने कहा, ‘यह कोई नई कहानी नहीं है। यह फिल्म भी वही कहानी कहने जा रही है जिसे सुनते हुए हम बड़े हुए हैं। वहां जो कुछ भी हुआ था वह हर किसी को देखना चाहिए। हमने हमेशा ही पॉजिटिविटी का संदेश दिया है। गुरुद्वारा जहां हम आशीर्वाद लेते हैं और लंगर जहां हम सभी एकसाथ बैठकर खाना खाते हैं, हर चीज पॉजिटिविटी का संदेश देती है। हम सभी को इतिहास के बारे में जानकारी होनी चाहिए। सिनेमा एक मीडियम है जहां हल्की-फुल्की और फन लविंग फिल्में हम बनाते हैं, लेकिन इतिहास के ऐसे मुद्दों पर भी फिल्में बनानी चाहिए।’

तीन दोस्तों की कहानी और चारों तरफ दंगे की आग

इस फिल्म में दिलजीत अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो कि शुक्रवार से नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध होगी। इस फिल्म में लड़ते हुए तीन दोस्तों की थ्रिलिंग और इमोशनल जर्नी होगी। इन तीन दोस्तों की भूमिका दिलजीत के अलावा मोहम्मद जीशान आयूब और हितेन तेजवानी होंगे। कुमद मिश्रा और अमायरा दस्तूर भी काफी मजबूत किरदार में नजर आएंगी। फिल्म को अली अब्बास के साथ हिमांशु किशन मेहरा ने मिलकर प्रोड्यूस किया है।

Dr. Bhanu Pratap Singh