भारत के इतिहास में हमें अधिकांशतः मुगल काल के बारे में पढ़ाया जाता है। पाठ्य पुस्तकें बाबर, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब की शान से भरी हुई हैं। अकबर को महान के रूप में प्रख्यापित किया गया है। अकबर ने जो हिन्दुओं के उत्पीड़न वाले काम किए हैं, उनके बारे में नहीं पढ़ाया जाता है। इसी तरह से आततायी, क्रूर, कट्टर और हिन्दुओं का दुश्मन नम्बर एक औरंगजेब के बारे में ऐसी-ऐसी बातें गढ़ी गई हैं कि आश्चर्य होता है। जैसे कि औरंगजेब अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुरान की नकल करता था और टोपियां सीता था। औरंगजेब को तो ‘जिन्दा पीर’ तक बताया गया है।
औरंगजेब ने मंदिरों को ध्वस्त किया। काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करके मस्जिद बनाई। औरंगजेब ने सत्ता प्राप्ति के लिए हर तरह की क्रूरता की। अपने भाई मुरादबख्श, दारा शिकोह और शाह शुजा को मरवा दिया। इतना ही नहीं, अपने अब्बू बादशाह शाहजहां को आगरा किले के मुसम्मन बुर्ज में सन 1658 से 1666 तक कैद रखा। यहीं उसकी मृत्यु हुई। उसने हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया। हिन्दुओं को जबरिया मुस्लिम बनाया। सिक्कों पर कलमा खुदवाया। इस तरह के घटनाक्रमों के बारे में बहुत मामूली जानकारी दी गई है।
इसी कट्टर मुस्लिम बादशाह औरंगजेब ने वीर गोकुल सिंह यानी गोकुला जाट की हत्या अंग-अंग कटवाकर की। इसके तत्काल बाद केशवराय मंदिर (श्रीकृष्ण जन्मस्थान, मथुरा) को तुड़वाकर मस्जिद खड़ी कर दी, जिसे ईदगाह कहा जाता है। यह घटना एक जनवरी, 1670 को आगरा में पुरानी कोतवाली के चबूतरे पर हुई। औरगंजेब केशवराय मंदिर को तब तक नहीं तुड़वा पाता जब तक कि वीर गोकुल सिंह जाट जीवित रहते। इसलिए पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के रक्षक वीर गोकुल सिंह की हत्या क्रूरता से कराई। गोकुल सिंह के चाचा उदय सिंह की खाल खिंचवा ली। वह भी इसलिए कि गोकुल सिंह और उदय सिंह ने हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था। वीर गोकुल सिंह ने मुगल शासन के खिलाफ किसान क्रांति का अलख जगाया। इसका भी कारण था। मुगल सिपाही लगान वसूली के नाम पर अत्याचार कर रहे थे। हिन्दुओं की बहन बेटियों के साथ खुलेआम दुष्कर्म कर रहे थे। लगान न देने पर हिन्दुओं के पशुओं को खोल ले जाते, बहन-बेटियों को उठा ले जाते। हिन्दुओं को धर्मपरिवर्तन के लिए मजबूर करते।
यह पुस्तक ऐसे वीर गोकुल सिंह के बलिदान की महागाथा है जिनके साथ इतिहासकारों ने अन्याय किया। गोकुला जाट के लिए एक पंक्ति तक नहीं लिखी। औरंगजेब की झूठी शान बनाए रखने के लिए वीर गोकुल सिंह का नाम किताबों से तो गायब कर दिया लेकिन आम जनता के मस्तिष्क पटल से गायब नहीं कर सके। किंवदंतियों में गोकुल सिंह आज भी जीवित हैं और सदा रहेंगे। इस पुस्तक में कई रहस्योद्घाटन भी किए गए हैं। वीर गोकुल सिंह का आगरा में वास्तविक बलिदान स्थल खोजा गया है। गोकुल सिंह के वंशज आज भी गांव में रहते हैं।
एक वर्ष तक तमाम पुस्तकों का अध्ययन और स्थलों के निरीक्षण के बाद ‘हिन्दू धर्मरक्षक वीर गोकुला जाट’ (हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए 1 जनवरी, 1670 को बलिदान देने वाले वीरवर गोकुल सिंह व उदय सिंह के बलिदान और वीरांगनाओं के जौहर की रोमांचक गाथा, जो इतिहास के पन्नों से गायब है) पुस्तक तैयार की है। पुस्तक प्रकाशन में योगदान किया जा सकता है। इन पुस्तकों का वितरण विद्यालयों में किया जा सकता है ताकि नई पीढ़ी अवगत हो सके। यह भी समाज, धर्म और देश की सेवा है।
पुस्तक बुक कराने के लिए 300 रुपये गूगल-पे या पेटीएम करें, स्क्रीन शॉट के साथ अपना पता भेजें।
9412652233
डॉ. भानु प्रताप सिंह
-प्रबंधन विषय में हिन्दी माध्यम से पीएचडी करने वाले देश में प्रथम
-भारत सरकार की संस्था ‘द सर्वे ऑफ इंडिया’ ने वर्ष 2008 में हिन्दी के लिए कार्य पर देश में नौवां स्थान दिया
-उत्तर प्रदेश सरकार के क्षेत्रीय अभिलेखागार में दो पुस्तकें सूचीबद्ध
एमआईजी/ए-107, शास्त्रीपुरम, सिकंदरा-बोदला रोड, आगरा- 282007
मो. 9412652233, 8279625939
[email protected]
हिन्दू धर्मरक्षक वीर गोकुला जाट-5: डॉ. भानु प्रताप सिंह के साथ तिलपत गढ़ी के दर्शन कीजिए
- रामपुर में AAP सांसद संजय सिंह बोले, भाजपा की ज़ब्त हो रही है ज़मानत, INDIA गठबंधन की बन रही है सरकार - April 24, 2024
- Agra News: पूर्व मंत्री उदयभान सिंह के नाती का मामला, पीड़िता ने पूछा- बुलडोजर बाबा क्या भाजपा नेताओं की हरकतों पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे? - April 24, 2024
- Agra News: फतेहपुरसीकरी में बागी विधायक बाबूलाल को लेकर मंथन में जुटी भाजपा, लाभ-हानि का किया जा रहा आकलन - April 24, 2024