यूपी-मीरजापुर: भाड़े की डिग्री, मुनाफा ही मुनाफा…झोलाछाप डॉक्टरों की फौज, काट रही है मौज ही मौज – Up18 News

यूपी-मीरजापुर: भाड़े की डिग्री, मुनाफा ही मुनाफा…झोलाछाप डॉक्टरों की फौज, काट रही है मौज ही मौज

REGIONAL

 

स्वास्थ विभाग की कृपा से भाड़े की डिग्री के दम पर चल रहे हैं सैकड़ो फर्जी अस्पताल

भाड़े की डिग्री से रजिस्ट्रेशन कराकर मरीजों का खून चूस रहे निजी अस्पताल संचालक

डिग्री देने वाले चिकित्सको को सालाना दो लाख रुपए की पेशगी दे रहे संचालक

डिग्री देकर पड़ोसी जनपद में नौकरी कर रहे ज्यादातर चिकित्सक

विभागीय जांच में मौजूद रहते है चिकित्सक, जबकि कभी अस्पताल में नही आते डिग्री देने वाले डॉक्टर

मीरजापुर। विंध्याचल मंडल सहित पूरे जिले में झोलाछाप डाक्टरों नीम-हकीमों की बड़ी सधी सधाई फौज सक्रिय है। भाड़े के डॉक्टरों की डिग्री के बल पर स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से अस्पताल, नर्सिंग होम का पंजीयन कराकर चिकित्सा माफियाओं द्वारा ईलाज के नाम पर मलाई काटी जा रही है। ईलाज के साथ निजी अस्पताल के संचालकों द्वारा मरीजों को वाराणसी के निजी अस्पतालों में रेफर करके लाखों रुपए कमाए जा रहे हैं।

जानकारी के अनुसार जनपद में ऐन केन प्रकारेंण अग्निशमन, प्रदूषण कार्यालय से एनओसी तथा बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के प्रपत्र तथा डॉक्टरों के किराए की डिग्री से सीएमओ कार्यालय में निजी अस्पताल का पंजीकरण कराकर रिहायशी मकानों, लॉन व बेसमेंट आदि में अस्पताल संचालित कर मरीजों का मोटी रकम लेकर ईलाज किया जा रहा है। इसी के साथ ही चिकित्सा जगत में भारी कमीसनखोरी का नया ट्रेंड “रेफरल सिस्टम” आ जाने से तो धरती के इन भगवानों की बल्ले बल्ले हो गई है।

बताते चले की बीते कुछ सालों से जिले में पड़ोसी जनपद वाराणसी के नामी गिरामी अस्पतालों द्वारा जिले में अपने अपने शागिर्द उतार कर मरीजों के बदले भारी कमीसन देने का गोरखधंधा चलाया जा रहा है। लाखों का कमीशन, बेशकीमती उपहार, हवाई यात्रा आदि व्यवस्था देकर नीम हकीमों, झोलाछाप डॉक्टरों व दलालों के दम पर चल रहे अस्पताल संचालकों से मरीजों का सौदा किया जा रहा है। जिसकी शायद ही भनक मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री, जनप्रतिनिधियों, आला अधिकारी तथा स्वास्थ विभाग को लगी हो। हालांकि इसकी शिकायत कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं, समय-समय पर मीडिया द्वारा संबंधित अधिकारी से की गई, लेकिन जिम्मेदारों पर कोई खासा फर्क नहीं पड़ा है।

जानकारी के अनुसार भरूहना चुनार रोड पर संचालित एक हॉस्पिटल के संचालक द्वारा एक गन शॉट के मरीज को वाराणसी के निजी अस्पताल में भेज दिया गया। जहां मरीज का लाखों रुपए बर्बाद हो गया। परिजनों द्वारा अस्पताल में चढ़कर जमकर बवाल काटा गया था। जिसके बाद बिल में कटौती करने पर मामला शांत हुआ हालांकि इस अस्पताल में ये पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी कई मरीजों को संचालक द्वारा निजी अस्पताल में भेजा जा चुका है। जहां मरीजों को बिल जमा करने के लिए घर बार जमीन आदि बेचना पड़ा. कहा जाता है इस अस्पताल संचालक के पिता मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में लेखाकार के पद पर तैनात है जिसके चलते कोई भी अधिकारी अस्पताल पर कार्यवाही करने की हिमाकत नही करता।

आवाज उठाने पर सक्रिय हो जाते हैं, चमचे व चिकित्सा माफिया

मीरजापुर। जिले में स्वास्थ सेवाओं में फैली दुर्व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाने वाले व्यक्तियों की आवाज कुचलने के लिए इन नीम हकीमों की टोली व चिकित्सा माफियाओं द्वारा उनको लालच देने से लेकर झूठे आरोप में फंसाने, सामाजिक तिरस्कार के साथ ही उनका हर संभव नुकसान करवाने तक से गुरेज नहीं करते। हाल में ही भरूहना में संचालित एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा वाराणसी के डाफी स्थित एक चिकित्सा माफिया से मिलकर एक कुत्सित प्रयास की योजना बनाई थी।

मानक को दरकिनार कर जारी किए गये फायर एनओसी…..

मीरजापुर। जनपद में स्वास्थ विभाग और अग्निशमन कार्यालय की चल रही गठबंधन सरकार के दम पर सैकड़ो अस्पताल का पंजीकरण करवा कर अस्पताल संचालक मरीजों का खून चूंसने में लगे हुए हैं। निजी अस्पतालों के पंजीकरण की बात करें तो मानक के हिसाब से सबसे जरूरी अग्निशमन कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना सबसे जरूरी बताया जाता है, जनपद के नगर क्षेत्र में ही पचास से अधिक निजी हॉस्पिटल, नर्सिंग होम संचालित किया जा रहे हैं जिसमें अधिकांश का पंजीकरण मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में फायर एनओसी के दम पर कराया गया है। जिसमें व्यापक रूप से भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।

अग्निशमन अधिकारी के अनुसार अस्पतालों को फायर एनओसी जारी करते समय नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 की गाइड लाइन का पूरा ख्याल रखा जाता है। पूरी जांच पड़ताल के बाद ही अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जबकि जिले सैकड़ों ऐसे अस्पताल है जो बेसमेंट से लेकर जर्जर भवनों, रिहायशी इलाकों में संचालित किए जा रहे हैं, जहां किसी आपात स्थिति अथवा दुर्घटना के समय मरीजों का सुरक्षित निकल पाना अपने आप में ही बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। वही कुछ हॉस्पिटल तो ऐसे है की जहां दुर्घटना होने पर दमकल की गाड़ी पहुंचने के लिए कोई सुगम रास्ता भी नहीं है। ऐसे में आप सहज ही कल्पना कर सकते हैं कि आग लगने पर यहां की क्या स्थिति हो सकती है?

मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद आखिर क्यूं वाराणसी भेजे जा रहे मरीज?

मीरजापुर‌। जिले की सांसद व केन्द्र की सरकार में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के प्रयास से जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना तो कर दी गई है, जो अब अपनी पूरी क्षमता के साथ विकसित होकर मरीजों को सेवा दे रहा है। खुद कॉलेज के प्राचार्य डा आरबी कमल मरीजों के हित में पूरी मेहनत के साथ दिन रात एक कर लगे हुए हैं। इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद इन निजी अस्पतालों द्वारा कमीसनखोरी के चक्कर में मरीजों को नियम मुताबिक नजदीकी हायर सेंटर “मां विंध्यवासिनी राज्य स्वसाशी चिकित्सालय न भेजकर वाराणसी के निजी अस्पताल में भेजकर उनकी बसी बसाई गृहस्थी को मिट्टी में मिलाया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार वाराणसी के सफेदपोश चिकित्सा माफिया के सह पर इस गोरखधंधे को जहां अंजाम दिया जा रहा है, वही कुछ सफेदपोश लोगों का भी इसमें संलिप्त होना बताया जा रहा है। जो अपने आपको साशन-सत्ता से लगाय सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों, मंत्री का धौंस जमा शासन-सत्ता को भी बदनामी करने में जुटे हुए हैं

क्या बोले जिम्मेदार

सभी निजी अस्पतालों की समय-समय पर नोडल अधिकारी द्वारा जांच की जाती है। दोषी पाए जाने वाले अस्पताल संचालकों के विरुद्ध कार्यवाही कराई जाएगी।

जहां चिकित्सक नहीं मिलते उनको नोटिस देने के साथ ही कार्यवाही की जाती है, साथ ही उनको मरीजों को नजदीकी हायर सेंटर रेफर करने के लिए निर्देशित किया जाता है।

डा राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, (सीएमओ) मीरजापुर।

फायर एनओसी के लिए प्राप्त आवेदनों की गहनता से जांच करके ही अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, यदि बगैर मानक कोई एनओसी जारी हुई है तो जल्द ही जांच करके कार्यवाही की जायेगी।
अनिल कुमार सरोज
(अग्निशमन अधिकारी) मीरजापुर।

रिपोर्टर- संतोष देव गिरि

Dr. Bhanu Pratap Singh