Lucknow, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 की बिसात पर गन्ना किसान भी मोहरा बनाए जा रहे हैं। विपक्षी दल गन्ना किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना चाह रहे हैं, लेकिन किसान हैं कि कंधा उचका कर बंदूक गिराए दे रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण है। जो राजनीतिक दल गन्ना किसानों का बकाया भुगतान का वादा कर रहे हैं, उन्हें यह जानकर धक्का लगेगा कि योगी सरकार लगभग शत-प्रतिशत किसानों को भुगतान कर चुकी है। अब यह देखना रुचिकर होगा कि लाखों गन्ना किसान चुनाव में किस पार्टी की ओर रुख करते हैं। इस खबर को पढ़ने वाले यह जान लें कि न तो किसी पार्टी का समर्थन है और न ही विरोध। यह तथ्यात्मक रिपोर्ट आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। विधानसभा चुनाव के संबंध में इसकी मीमांसा जरूरी है।
पांच साल में बढ़ गए 12.44 लाख गन्ना किसान
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में 33 लाख गन्ना किसान थे। 2021 में बढ़कर 45.44 लाख हो गए हैं। प्रदेश में 120 चीनी मिल हैं। एक समय था जब किसान को चीनी मिल पर गन्ना तौलवाने के लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। हाथ की पर्ची मिलती थी। अगर वह खो गई तो भुगतान नहीं हो पाता था। जरूरतमंद किसान दलालों को निर्धारित एमएसपी से कम दर पर गन्ना बेचने को मजबूर हो जाता था। चीनी मिल पर गन्ना भुगतान वर्षों तक लटका रहता था। गन्ना तौलवाने से लेकर भुगतान तक बिचौलियों की चांदी थी। योगी सरकार ने इस समस्या को समझा। मार्च, 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया। ऐसे में अपर मुख्य सचिव गन्ना विभाग संजय भूसरेड्डी ने ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया। इसके बाद तो गन्ना किसान घर बैठे ही पूरी जानकारी ले रहा है।
वेब पोर्टल और गन्ना ऐप
गन्ना किसान पर्ची कलेंडर अपने सट्टे से जुड़ी सारी जानकारी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए वेबपोर्टल बनाया- www.caneup.in। एक एप्लीकेशन e-Ganna App बनाई जो हर गन्ना किसान के मोबाइल में है। मोबाइल पर किसान पर्चियों के अलावा पिछले काम वर्षों के गन्ना आपूर्ति की जानकारी भी ले सकते है। इसका लाभ यह है कि किसानों को गन्ना विभाग या चीनी मिल के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं। प्रत्येक किसान को यूजर नेम और पासवर्ड दिया गया है। सर्वे, कलेंडरिंग, आपत्ति, पर्ची आदि के बारे में एसएमएस से जानकारी मिल जाती है। अब गन्ना किसानों को पर्ची मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से जाती है।
दो टोल फ्री नम्बर
इतना ही नहीं, शासन ने किसानों की समस्या को देखते हुए 11 अंक का टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 जारी किया है। किसान उस नंबर पर कॉल कर गन्ना उत्पादन संबंधी अपनी परेशानी बता सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से समस्या का समाधान किया जाता है। टोल फ्री नम्बर पर किसानों को नई जानकारियों से भी अवगत कराया जा रहा है। शासन ने सर्वे, सट्टा कलेंडर, पर्ची आदि के लिए भी टोल फ्री नंबर 1800-103-5823 जारी किया है।
गन्ना मूल्य में वृद्धि
उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 रुपए प्रति कुंतल तक गन्ने का दाम बढ़ाने का ऐलान किया था. अब गन्ना किसानों को 325 की जगह 350 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। सामान्य गन्ने के लिए 315 रुपये के बजाय 340 रुपये प्रति कुंतल का भुगतान होगा। यह बात अलग है कि मूल्य वृद्धि चुनावी वर्ष में हुई है। किसानों की मांग 400 रुपये प्रति कुंतल करने की है।
1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये का भुगतान
गन्ना विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, गन्ना किसानों को 2020-2021 तक के सत्र का 99 फीसदी भुगतान हो चुका है। 45.44 लाख गन्ना किसानों को एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। जो भी अवशेष है, उसका भुगतान दो फरवरी, 2022 तक कर दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2018-19, 2019-20 में भी 100 फीसदी भुगतान किया गया है। पिछले पांच साल से किसानों का गन्ना बकाया नहीं है। माना जा रहा है कि इसके साथ ही गन्ना किसान का कोई मुद्दा चुनाव में नहीं रहेगा।
नौ मंडलों में गन्ना किसानों का दबदबा
सहारनपुर, मेरठ, मुरारादाबाद, बरेली, लखनऊ का उत्तरी हिस्सा, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया मंडल में गन्ना किसान बहुतायत में हैं। आगरा मंडल के मथुरा में और अलीगढ़ मंडल के अलीगढ़ में गन्ना किसान हैं। यहां किसान राजनीति भी गन्ना किसानों के इर्द-गिर्द घूमती है। भारतीय किसान यूनियन की शक्ति गन्ना किसान हैं। चूंकि गन्ना बकाया भुगतान अब कोई समस्या नहीं है, इसी कारण कोई भी गन्ना किसानों के वोटों की ठेकेदारी नहीं ले पा रहा है।
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