Agra, Uttar Pradesh, India. आज हम बात कर रहे हैं श्री दिगम्बर सिंह धाकरे की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़ा लेकिन प्यार से। मन में कोई खटास नहीं। कोई पछतावा भी नहीं। किसी पर कोई आरोप नहीं। सोशल मीडिया पर अपनी बात कही और काम में लग गए। राजनीतिक का यह नैतिक स्वरूप प्रायः दिखता नहीं है लेकिन आगरा में दिखाई दिया। दिल बड़ा दिखाते हुए पार्टी से किनारा कर लिया और चुनाव की कंटकाकीर्ण डगर पर कदम बढ़ा दिए हैं। श्री दिगम्बर सिंह धाकरे ने दो वर्ष 10 माह 21 दिन बाद भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने जनता को यह संदेश भी दे दिया- ‘टिकट उनके हाथ में था, उन्होंने जिसको चाहा दिया और वोट आपके हाथ में है।’
आगे बढ़ने से पहले फेस पर उनकी पोस्ट का अवलोकन करते हैं-

पोस्ट नम्बर-1
भाजपा के साथियों से दो वर्ष 10 माह 21 दिन में मिले प्यार, आशीर्वाद और शिक्षा के लिए उनको हृदय की अनंत गहराइयों से धन्यवाद।
पोस्ट नम्बर-2
खेरागढ के मेरे देवतुल्य आत्मीय जनो, मैं टिकट की लड़ाई में पिछड़ा हूँ, चुनाव की लड़ाई में नहीं। टिकट उनके हाथ में था उन्होंने जिसको चाहा दिया और वोट आपके हाथ में है।
पोस्ट नम्बर-3
खेरागढ़ के मेरे देवतुल्य स्वजनो, मैं देर रात आगरा आ गया हूँ। आपके आशीर्वाद से चुनाव लड़ेंगे और पूरी दमदारी से लड़ेंगे। मां भगवती की कृपा से चुनाव जीतेंगे।

श्री दिगम्बर सिंह धाकरे की इन फेसबुक पोस्ट से समझा जा सकता है कि वे किस तरह के व्यक्तित्व हैं। भाजपा में शामिल हुए तो आगरा से भाजपा सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल के करीबी बन गए। प्रो. बघेल केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री बने तो भी उन्हीं के साथ रहे। उन्हें भाजपा ने एनजीओ प्रकोष्ठ बृज क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया गया। प्रकोष्ठ की आगरा में बैठक भी की थी।
श्री धाकरे ने खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से टिकट मांगा था। उनका नाम भी चला। अंतिम दौर में पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाह को टिकट मिला। खेरागढ़ से भाजपा के महेश गोयल विधायक हैं। 2017 के चुनाव में उनकी मुकाबला भगवान सिंह कुशवाह से हुआ था। राजनीति का चरित्र देखिए कि भाजपा ने उन्हें ही अपना प्रत्याशी बना दिया।
खैर, हम बात कर रहे हैं दिगम्बर सिंह धाकरे की। उन्होंने पांच साल पूर्व आगरा के मेयर का चुनाव बसपा की टिकट पर लड़ा था। वे चुनाव में पराजित हो गए लेकिन मन नहीं। वे नई ऊर्जा के साथ राजनीति में सक्रिय रहे। भाजपा में आ गए। सत्तादल की राजनीति करने के बाद भी व्यवहार नहीं बदला। वे सबको अपना बनाने की कला में तो माहिर हैं हीं।
हमने उनसे कई बार बात करने का प्रयास किया लेकिन हर बार फोन व्यस्त रहा। चुनाव के परिणाम क्या होंगे, यह तो 10 मार्च को पता चलेगा, लेकिन वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, ऐसा फेसबुक पोस्ट से पता चलता है। अरे हां, श्री दिगम्बर सिंह धाकरे ने खेरागढ़ क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाली पोस्ट भी डाली हैं। साथ में फोटो भी हैं। खास बात यह है कि भाजपा संबंधी पुरानी पोस्ट हटाई नहीं हैं। यह वह दौर है जब कोई पार्टी छोड़ता है तो तमाम तरह की तोहमत लगाता वह भी पांच साल तक मलाई मारने के बाद। श्री दिगम्बर सिंह धाकरे के मामले में उल्टा है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ये दिगम्बर सिंह धाकरे भी गजब आदमी है।
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