दुर्गा शंकर मिश्र

यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविताएं सुनाकर आगरा को भावुक कर दिया, आगराइट्स को दी ये सीख

साहित्य

Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र साहित्यकार भी हैं। उन्होंने अपने साहित्य होने का परिचय द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी मूर्ति अनावरण समारोह में दिया। उन्होंने बचपन में पढ़ी माहेश्वरी जी की कविताओं को सुनकर आगरा वालों को भावुक कर दिया। उनकी कविताओं को कालजयी बताया। कहा कि वे बच्चों के गांधी थे। दुर्गा शंकर मिश्र की साहित्यिक वृत्ति पर करतल ध्वनि की गई। समारोह की अध्यक्षता प्रमुख उद्योगपति पूरन डावर ने की। बता दें कि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने कहा था कि मेरी अंतिम यात्रा में राम-नाम सत्य के स्थान पर गाया जाए- हम सब सुमन एक उपवन के।

श्री दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी से मेरी पहली मुलाकात आगरा के जिलाधिकारी के रूप में नवम्बर, 1996 में एक स्कूल के कार्यक्रम में हुई थी। जब उन्होंने अपना परिचय दिया तो मैंने तुरंत पांव छुए। मैंने कहा कि आपसे मिलकर धन्य हूँ। आज उस कवि से मिल रहा हूँ जिससे कविता पढ़ना सीखा था-

 

सूरज निकला चिड़ियां बोली

कलियों ने भी आँखें खोली

आसमान में छाई लाली

हवा बही सुख देने वाली

मैंने कक्षा एक में पढ़ी थी और आज भी याद है।

dr minishwar gupta
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण

काली-काली कूह कूह करती…

 

यदि होता किन्नर नरेश मैं राजमहल में रहता

सोने का सिंहासन होता सिर पर मुकुट चमकता..

 

वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो

सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो

तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं..

मैंने कहा कि मैं तो धन्य हो गया। यहां मंच पर बात नहीं कर सकता लेकिन आपसे मिलने के लिए एक घंटे के लिए आऊँगा। मैं घर पहुंचा। मैंने अपने प्राइवेट सेक्रेटरी से कहा कि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का आशीर्वाद लेने उनके घर जाऊँगा। मेरे प्राइवेट सेकेटरी ने कहा- कौन हैं द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी। मैंने कहा कि यह तो बड़ा गजब का काम हो गया। जिस आदमी के प्रति मेरे मन में इतना सम्मान है, जिसको पढ़कर मैंने जाना कि कविता क्या होती है, कविता ही नहीं जीवन के रहस्य को जाना, बच्ची अभी अभिलाषा कविता सुना रही थी, जिसमें तमाम उदाहरण देकर बच्चों को समझाया है कि पहाड़ क्या करता है, नदी क्या करती है, हवा क्या करती है, यह बताया है।

हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला

सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला

सन-सन चलती हवा रातभर जाड़े से मरता हूँ

ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह से यात्रा पूरी करता हूँ।

devi singh narwar
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण

तकली रानी तकली रानी

नाच रही कैसी मनमानी..

ऐसी-ऐसी कविताएं लिखने वाले द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के बारे में मेरे ऑफिस के लोगों को पता नहीं था। मैंने कहा कि पता करो, आधा घंटे में जाऊँगा। मैं उनके घर पहुंचा। वे भी इंतजार कर रहे थे। एक घंटे तक उनक साथ मेरी चर्चा हुई। साक्षरता मिशन के निदेशक, टीचर के रूप में क्या-क्या काम किया.. सारी बातें हुईं, लम्बी चर्चा हुई। मैं जब आपसे बात कर रहा हूँ तो वे सारी बातें उसी रूप में मानस पटल पर अंकित हैं। आपने यहां द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की जो मूर्ति लगाई है, बिलकुल सजीव सी है। ऐसे मनीषी कवि कभी-कभी आते हैंष

श्री दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि तुलसी ने रामचरिचमानस की रचना की है। तुलसी तो चले गए लेकिन हर घर में तुलसी हैं। घर-घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कहानी कहने के लिए बाबा तुलसी हैं। तमाम सारी मर्यादाओं को बताने के लिए, भाई-भाई, भाई-बहन, पिता-पुत्र, गुरु-शिष्य, राजा-प्रजा, राजा और मंत्री के बीच में मर्यादा है। वह बाबा तुलसी आज भी बता रहे हैं। मुझे आज ऐसी फीलिंग आ रही है जैसे मैं द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी के साथ बैठकर बात कर रहा हूँ।

उन्होँने कहा कि इसके बाद अलग-अलग मंचों पर उनसे मेरी मुलाकात हुई। जब मैंने आगरा में सतत शिक्षा अभियान शुरू किय़ा था, तो उस समय मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे। उन्हें आमंत्रित किया था। उन्होंने हां तो कही थी लेकिन आ नहीं पाए। उनके स्थान पर शिक्षा मंत्री रवीन्द्र त्रिपाठी (झांसी) आए थे। स्टेडियम में कार्यक्रम हुआ था। अहमदाबाद में युवक बिरादरी के लोगों को बुलाया था। वे एक साथ बड़े सारे अनोखे काम करते हैं। उनकी टीम ने आगरा के 40 स्कूलों में 10 हजार बच्चों को प्रशिक्षण दिया। अंत में जब कार्यक्रम हुआ तो उसकी अध्यक्षता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी से कराई थी। उनसे आग्रह किया था कि 11वां गाना आपका होगा। 10 हजार बच्चों ने एक साथ 10 गाने सुनाए। अद्भुत कार्यक्रम था। जब 11वां गाना प्रारंभ हुआ तो वे बहुत भावकु हो गए थे। उन्होंने सुनाया था- कोटि-कोटि कंठ से एकस्वर निकल रहा। द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी खड़े होकर खुद गाने लगे। ऐसी महान हस्ती की मूर्ति का अनावरण करने का अवसर मुझे मिला, मैं आपको धन्यवाद देना चाहूँ। इस मूर्ति से उनकी स्मृति हमेशा के लिए रहेगी। उन्होंने जो लिख दिया है वह कालजयी है।

dr manoj rawatकार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण

श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपने लिए नहीं, समाज के लिए जीते हैं। कोई भी शहर वहां की भौगोलिक स्थिति से नहीं बनता है, संपदा से नहीं बनता है, कोई भी शहर वहां के शहरियों से बनता है। आगरा के लोग जब काम में लग जाएंगे तो बहुत कुछ हो जागा। आपके शहर को स्मार्ट शहर को रूप में अंगीकृत किया गया है। अगर लोग स्मार्ट हो गए तो शहर स्मार्ट हो जाएगा। आप सौभाग्यशाली हैं कि ताजमहल देखने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं। यहां से लोग जो लेकर जाएं, वह देश की संस्कृति, सभ्यता को लेकर जाएं, वन संरक्षण, प्रकृति संरक्षण लेकर जाएं तो मिसाल कायम होगी। आप सबसे ही मिसाल कायम होगी। आप सब आगरा को सजाइए। उन्होंने डॉ. आरएस पारीक की सेवाओं को सराहा।

डॉ. विनोद माहेश्वरी (पुत्र द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, सीमा माहेश्वरी, डॉ. प्रांजल माहेश्वरी, डॉ. हर्षा माहेश्वरी, क्रांतिक माहेश्वरी, रिया माहेश्वरी, आहना माहेश्वरी ने दुर्गा शंकर मिश्र को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। मुकेश जैन और डॉ. ज्ञान प्रकाश को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम द्वारिका ग्रीन, रोहता, ग्वालियर रोड के पार्क में हुई। यहीं पर मूर्ति स्थापित की गई है। मंच पर रानी सरोज गौरिहार भी विराजमान थीं। उन्होंने पुस्तकों का सेट मुख्य सचिव को भेंट किया।

अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार आनंद शर्मा, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित, मनकामेश्वर मंदिर के मंहत योगेश पुरी ने किया। कार्यक्रम में  वाई के गुप्ता, डॉ. मनोज रावत, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. वत्सला प्रभाकर, श्रुति सिन्हा, डॉ. देवीसिंह नरवार, डॉ. योगेन्द्र सिंह, डॉ. खुशीराम शर्मा, उद्यमी पराग सिंघल, प्रतिभा जिन्दल आदि उपस्थित थे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वाधीनता सेनानी व नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति रानी सरोज गौरिहार ने कहा कि माहेश्वरी जी ने जीवन में सदैव बच्चों को नई दिशा देने वाली रचनाएं लिखीं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम स्वागताध्यक्ष समाजसेवी पूरन डावर ने कहा कि साहित्यकारों की इस धरती पर माहेश्वरी जी एक विशेष प्रतिभा थे, उनकी प्रतिमा को स्थापित कर हम स्वयं धन्य हुए हैं। कार्यक्रम संयोजक डा.विनोद माहेश्वरी ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।
मंच पर प्रकाशक चंद्रमोहन अग्रवाल भी मौजूद थे। द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की प्रपौत्री आहाना माहेश्वरी ने अपने बाबा की रचना प्रस्तुत की। एसएन मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल डा.प्रशांत गुप्ता, अरुण डंग, केसी जैन, आदर्श नंदन गुप्ता,चिकित्सक डा.रूपक सक्सैना, चिकित्सक डा.एमसी शर्मा, अवधेश उपाध्याय, दीपक सरीन, सुमन सुराना, रिया माहेश्वरी, कुंज बिहारी माहेश्वरी आदि ने प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। डा.मुनीश्वर गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।संचालन कवि सुशील सरित ने किया।

Dr. Bhanu Pratap Singh