सील फैक्ट्री में मीट पैकिंग का भंडाफोड़ होने पर याकूब परिवार समेत भूमिगत

सील फैक्ट्री में मीट पैकिंग का भंडाफोड़ होने पर याकूब परिवार समेत भूमिगत

REGIONAL


मेरठ में बसपा नेता और पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी और उसके परिवार की घेराबंदी के लिए पुलिस का कानूनी डंडा चलना शुरू हो गया है। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के तेवर देखकर याकूब परिवार समेत भूमिगत हो गया है। पुलिस का कहना है कि मुकद्दमा दर्ज करने के बाद चार्जशीट की तैयारी कर दी है। जिसके बाद याकूब और उनके परिवार पर गैंगस्टर भी लगाया जाएगा। पुलिस अब उसकी संपत्ति की भी जांच शुरू कराने की तैयारी में है। पुलिस ने बताया कि याकूब की तलाश में दबिश दी गई है।
सील लगी फैक्ट्री में मीट पैकिंग कराने का भंडाफोड़ होने पर पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी व उसकी पत्नी संजीदा बेगम, बेटे इमरान, फिरोज को पुलिस ने मुकद्दमे में नामजद कर लिया है।
एसएसपी प्रभाकर चौधरी का कहना है कि याकूब और उसका परिवार गैंग बनाकर अवैध तरीके से मीट फैक्ट्री चला रहे थे। जिसके सबूत पुलिस ने जुटा लिए है। फैक्ट्री में अवैध तरीके से मीट पैकिंग हो रही थी, जिससे घातक संक्रमण फैलने का खतरा बना था। जल्द ही चार्जशीट लगाकर गैंगस्टर लगाने की तैयारी में पुलिस जुट गई है।
20 दिन से चल रहा था काम
पुलिस के मुताबिक 20 दिन से फैक्टरी में तेजी के साथ काम चल रहा था। सवाल है कि रात में ट्रक फैक्ट्री में आते थे, रात भर काम चलता था। इसकी भनक किसी को नहीं लगी। चर्चा है कि याकूब ने सांठगांठ करने के बाद ही फैक्ट्री में मीट पैकिंग का काम चलाया था। पुलिस की जांच में दो महीने पहले से फैक्ट्री शुरू थी।
जम्मू कश्मीर और बिहार के लोग करते थे फैक्ट्री में मीट की पैकिंग
पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मीट फैक्ट्री में जम्मू कश्मीर और बिहार के लोग रातभर पैकिंग करते थे। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों ने बताया है कि करीब 20 दिन से फैक्ट्री में मीट पैकिंग का काम जोरशोर से चल रहा था। सवाल उठता कि फैक्ट्री में लोकल से ज्यादा बाहर के लोग काम करते हैं ताकि उनका किसी से संपर्क न हो सके।
एसपी देहात केशव कुमार ने बताया कि पकड़े गए दस आरोपियों में से चार लोग जम्मू कश्मीर और दो लोग बिहार के निवासी हैं। आरोपियों से पुलिस समेत सभी विभाग के अधिकारियों ने पूछताछ की है। जिसमें उन्होंने बताया कि याकूब की फैक्ट्री में 20 से अधिक लोग मीट पैकिंग का काम कर रहे थे। बाहरी लोगों को मीट फैक्ट्री में इसलिए रखा गया है कि ताकि फैक्ट्री की कोई बात बाहर तक न जाए। बाहरी मजदूर दिनरात वहां पर रहते थे और रात में पैकिंग का काम करते थे।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh