फिर संदेह में यूपी लोकसेवा आयोग, APO भर्ती के 80% से ज़्यादा पद कर दिए आरक्षित – Up18 News

फिर संदेह में यूपी लोकसेवा आयोग, APO भर्ती के 80% से ज़्यादा पद कर दिए आरक्षित

REGIONAL

प्रयागराज। यूपी लोकसेवा आयोग (UPPSC) की भर्तियों में पारदर्शिता लगता है दूर की कॉड़ी हो गई है। आरक्षण नियमों का पालन नहीं होने पर यूपी पीसीएस- 2021 की भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजे हाईकोर्ट से रद्द होने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि अब 21 अगस्त को होने वाली एपीओ (APO) यानी असिस्टेंट प्रॉसिक्यूशन आफिसर की भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद छिड़ गया है.

आरटीआई से सामने आई जानकारी के मुताबिक़ यूपी लोक सेवा आयोग ने चार साल बाद इस पद पर निकली भर्तियों में 80 फीसदी से ज़्यादा पदों को आरक्षित कर दिया है, जबकि नियम यह है कि किसी भी भर्ती में 50 फीसदी से ज़्यादा का आरक्षण नहीं हो सकता है.

एपीओ की परीक्षा को लेकर छिड़ा विवाद

जिलों में सरकार की तरफ से मुकदमों की पैरवी करने के लिए सहायक अभियोजन अधिकारियों यानी एपीओ की नियुक्ति की जाती है. इस पद पर भर्ती यूपी लोक सेवा आयोग की तरफ से की जाती है. तकरीबन चार साल बाद आयोग ने पिछले दिनों चवालीस पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक़ आयोग ने चवालीस में से छत्तीस पद आरक्षित कर दिए. यानी अस्सी फीसदी से ज़्यादा पद आरक्षित कर दिए गए.

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने आरटीआई से जो जानकारी हासिल की, उसके मुताबिक़ कुल चवालीस पदों में से अनुसूचित जाति के लिए आठ, अनुसूचित जनजाति के लिए तीन, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए इक्कीस और ईडब्लू एस कैटेगरी के लिए चार पद आरक्षित किये गए है.इस तरह चवालीस में से छत्तीस पद आरक्षित हो गए हैं. ऐसे में सामान्य वर्ग के लिए सिर्फ आठ पद ही बचे हुए हैं.

पचास फीसदी से ज़्यादा का आरक्षण नहीं दिया जा सकता

पूरी भर्ती में महिलाओं को बीस फीसदी हॉरिजेंटल रिजर्वेशन दिया गया है. इस तरह महिलाओं के लिए पूरी भर्ती में आठ पद आरक्षित हैं. आरटीआई से जानकारी हासिल करने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय के मुताबिक़ आरक्षण की यह प्रक्रिया मनमानी है और जल्द ही इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई जाएगी. दूसरी तरफ आरक्षण मामलों के जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील अग्निहोत्री  त्रिपाठी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक़ किसी भी भर्ती या एडमिशन में पचास फीसदी से ज़्यादा का आरक्षण दिया ही नहीं जा सकता.

2019 में हुए संशोधन के मुताबिक़ गरीबों के लिए दस फीसदी विशेष आरक्षण की व्यवस्था की गई है.उनके मुताबिक़ यह मामला बैकलाग की भर्तियों का भी नहीं है. उनके मुताबिक़ अदालत में यह आरक्षण क़ानून की कसौटी पर कतई खरा नहीं उतर पाएगा. यूपी लोक सेवा आयोग इस मामले में चुप्पी साधे हुआ है और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.आयोग के ज़िम्मेदार लोगों का सिर्फ यही कहना है कि सब कुछ नियम के मुताबिक़ ही है.चवालीस पदों पर भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा इक्कीस अगस्त को है. यह परीक्षा प्रयागराज और लखनऊ में ही होनी है. भर्ती के लिए 64390 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है.

Dr. Bhanu Pratap Singh