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विश्व की पहली सर्जिकल स्ट्राइक शिवाजी महाराज ने की, आगरा किला में हुए अपमान ने हिंदवी स्वराज स्थापना की प्रेरणा दी

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हिंदवी स्वराज्य की स्थापना में आगरा की भूमिका विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर आगरा कॉलेज के गंगाधर शास्त्री भवन में आज एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने शिवाजी को भारत का अद्भुत सम्राट और योद्धा बताया। व्याख्यान का विषय “हिंदवी स्वराज की स्थापना में आगरा की भूमिका” था।

मुख्य वक्ता केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुलकर्णी ने कहा कि विश्व की पहली सर्जिकल स्ट्राइक शिवाजी महाराज ने की थी। उन्होंने छापामार युद्ध का विकास किया। प्रत्यक्ष युद्ध के स्थान पर उन्होंने छिपकर युद्ध लड़ने के कौशल को विकसित किया, यही वर्तमान में सर्जिकल स्ट्राइक है। प्रो कुलकर्णी ने कहा कि शक्ति के साथ युक्ति का प्रयोग करने वाले शिवाजी अदभुत योद्धा थे। औरंगजेब ने शिवजी को धोखे से आगरा किले में बंदी बना लिया था तब शिवाजी ने मुगलों को समाप्त करने का प्रण लिया था और इस भारतवर्ष में हिंदी भी स्वराज की स्थापना का सपना देखा था। प्रो कुलकर्णी ने कहा कि सूरज जैसा बनना है तो सूरज जैसा जलना होगा।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता।

आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि भारत को कभी भी कोई पूर्ण रूप से विजित नहीं कर पाया। हम कभी किसी से पूर्णतः परास्त नहीं हुए है। शिवाजी ने मुगलों को दक्षिण भारत में कभी घुसने नहीं दिया। उन्होंने अष्टनायकों के माध्यम से अपनी प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन किया। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिवाजी की नीति से भारत आगे बढ़ सकता है। गुरिल्ला युद्ध के जनक वीर शिवाजी ने मुगलों की बड़ी सेना को सदैव परास्त किया। आगरा से शिवाजी का पुराना संबंध है। औरंगजेब की नजरबंदी में आगरा में 101 दिन प्रवास किया था।

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यात्रा संयोजक अंबादास ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रवाद की भावना और देश के लिए जीना और मरना युवाओं को शिवाजी के जीवन से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिवाजी ने अपने राज्य को कभी मराठा साम्राज्य नहीं बोला, उन्होंने सदैव हिंदवी स्वराज्य कहा। उन्होंने नारा लगवाया कि जो जीता वो सिकंदर नहीं वरन् जो जीता वो छत्रपति शिवाजी। अंबा दास में बताया कि यह यात्रा 28 नवंबर को महाराष्ट्र के रायगढ़ किले से प्रारंभ हुई है और 7 दिसंबर को इंद्रप्रस्थ दिल्ली में समाप्त हो जाएगी।

 

कार्यक्रम की भूमिका अभाविप के प्रांत संगठन मंत्री मनीष राय ने बताई। प्रोफे अमित अग्रवाल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। प्रो. रीता निगम ने व्याख्यान का संचालन किया।

इससे पूर्व व्याख्यान का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया तथा हिंदवी स्वराज यात्रा का स्वागत किया। विचार गोष्ठी में प्रो मनोज रावत, प्रो. के डी मिश्रा, प्रो. विवेक भटनागर, प्रो. राजेश जौहरी, डॉ. बी के अग्रवाल, डॉ. नीरज मनचंदा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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