अमर उजाला आगरा की ओर से रिपोर्टिंग करने गए डॉ. भानु प्रताप सिंह का अनुभव
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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6 दिसंबर, 1992, इसी दिन अयोध्या का विवादित ढांचा ढहा दिया गया था। घटना के 31 साल बाद प्रतिक्रियाओं का उबाल कम हुआ है। एक सवाल मन में बार-बार कौंधता है कि क्या 6 दिसंबर को ‘हनुमान ज़ी’ ने भी कारसेवा की थी? कारसेवक आज भी रोमांचित हैं। कारसेवा करके वे स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं।
6 दिसंबर, 1992 को अमर उजाला आगरा के रिपोर्टर के रूप में मैं अयोध्या में था। अयोध्या की ओर जा रही हर बस, ट्रेन, ट्रैक्टर में थे तो बस कारसेवक। इनमें अधिकांश आरएसएस के स्वयंसेवक थे। वे ट्रेन में ही शाखा लगा रहे थे। अयोध्या की तंगगलियों में लाखों कारसेवक थे।
6 दिसंबर को हर कोई विवादित ढांचे की ओर भागा जा रहा था। आरएसएस के स्वयंसेवक ढांचे की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध थे। घेरा बनाए हुए थे। योजना यह थी कि कारसेवक आएंगे, सरयू की रेत ढांचे की और चढ़ाएंगे और आगे बढ़ जाएंगे। सारी योजना धरी रह गई। कारसेवक ढांचे पर टूट पड़े। देखते ही देखते ढांचा मिट्टी में मिल गया। कारसेवक एक- एक ईंट उठा ले गए।
अयोध्या में वानर भरपूर हैं। हनुमानगढ़ी ही या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का ढांचा या सीता रसोई या जनकमहल। कारसेवा के दौरान हनुमानजी के स्वरूप में प्रसिद्ध वानर कहीं गायब हो गए। अयोध्या में मौजूद कारसेवक मानते हैं कि हनुमानजी के प्रतीक वानर विभिन्न रूपों में कारसेवा कर रहे थे। इसी कारण किसी को दिखाई नहीं दिए। ढांचा ढहने के बाद वानर (बंदर) फिर से प्रकट हो गए थे।
फतेहपुर सीकरी से सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर का कहना है- राम के परमसेवक हनुमान जी कृपा से ही विवादित ढांचा ढह गया। हनुमान जी की इस महिमा पर संदेह की कोई गुजाइश नहीं है। हनुमान जी के नाम से ही सारे काम सिद्ध हो जाते हैं। अयोध्या में तो साक्षात हनुमान विराजमान थे।
इस बारे में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चौ. उदयभान सिंह कहते हैं- मैं भी कारसेवा करने अयोध्या गया था। कार सेवा के दौरान मुझे भी बंदर नहीं दिखाई नहीं दिए। लगता है वे कारसेवकों में विलीन हो गए थे। इस तरह बंदरों ने भी कारसेवा की। सौभाग्य है कि मुझे कारसेवा का मौका मिला।
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अशोक तिवारी कहते हैं- अगर अप्रत्यक्ष रूप से हनुमानजी का सहयोग न मिलता तो कारसेवा कैसे हो पाती? राम की महिमा राम ही जानें। नादान लोग ही हनुमान जी की शक्ति पर संदेह कर सकते हैं। 6 दिसंबर की घटना को याद करके मुझे रोमांच होने लगता है।
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