शोक की छाया में स्थगित हुआ लक्ष्य पत्रिका विमोचन समारोह
दुर्गा विसर्जन के दौरान दर्दनाक हादसा
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा। लोधी क्षत्रिय एंप्लाइज एसोसिएशन ‘लक्ष्य आगरा’ द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला आठवां लक्ष्य पत्रिका विमोचन एवं प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह इस वर्ष 12 अक्टूबर को सूरसदन, आगरा में निर्धारित था। लेकिन इस आयोजन को स्थगित करना पड़ा, क्योंकि समाज पर एक गहरा शोक छा गया।
दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान खुशीयपुर, खैरागढ़ के 12 युवक उटांगन नदी में लापता हो गए। अब तक कुछ युवकों के शव बरामद कर उनका अंतिम संस्कार किया जा चुका है, जबकि कुछ की खोज अब भी जारी है। इस हृदयविदारक दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र और समाज को स्तब्ध कर दिया है।
आपात बैठक में लिया गया निर्णय
4 अक्टूबर को लंबरदार रेस्टोरेंट, आवास विकास, सिकंदरा रोड पर लक्ष्य की कार्यकारिणी एवं सदस्यों की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि कार्यक्रम दिसंबर माह में आयोजित किया जाएगा।
संगठन ने कहा कि यह आगरा जनपद की सबसे बड़ी त्रासदी है और लक्ष्य परिवार पूरी तरह से पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है। संगठन के सदस्यों ने एक स्वर में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्य
बैठक में मीडिया प्रभारी एवं सांस्कृतिक मंत्री महावीर सिंह वर्मा ने जानकारी दी। बैठक में संस्थापक इंजीनियर रतिराम, अध्यक्ष इंजीनियर किशोरी सिंह, महामंत्री लक्ष्मण सिंह, सुरेश चंद्र राजपूत, कोमल सिंह लोधी, मीना राजपूत, डॉ. ए. के. सिंह, जवन सिंह राजपूत, ऑडिटर बी. पी. सिंह, रेलवे इंजीनियर वाई. पी. सिंह, भीम सिंह लोधी, सावरेन सिंह एवं नरेंद्र सिंह आदि गणमान्य सदस्य मौजूद रहे।
संपादकीय
समाज का असली बल एकता और संवेदना में निहित है। आगरा में हुई यह दुर्घटना केवल कुछ परिवारों का शोक नहीं, बल्कि पूरे समाज की पीड़ा है। जब युवा—जो राष्ट्र की ऊर्जा हैं—अचानक इस तरह की विपत्ति का शिकार बनते हैं, तो यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि हमारे उत्सवों में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
लक्ष्य परिवार ने जिस संवेदनशीलता और परिपक्वता के साथ अपना आयोजन स्थगित किया, वह सामाजिक चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह निर्णय केवल संगठन की परंपरा नहीं, बल्कि मानवता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आज आवश्यकता है कि समाज ऐसी घटनाओं से सबक लेकर, युवाओं की सुरक्षा और जीवन मूल्यों के प्रति नई चेतना जगाए। श्रद्धांजलि केवल शब्दों से नहीं, बल्कि व्यवहार से दी जानी चाहिए — जिम्मेदारी से, संवेदना से, और सामूहिकता से।
डॉ भानु प्रताप सिंह
✍️ — संपादकीय डेस्क
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