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इलाहाबाद हाईकोर्ट की खण्डपीठ आगरा में स्थापना को लेकर चल रहा आन्दोलन सत्ता और राजनीति का शिकार

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नेशनल चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष और जाने-माने आयकर अधिवक्ता अनिल वर्मा ने केन्द्री मंत्री मीनाक्षी लेखी को सौंपा ज्ञापन, बताईं महत्वपूर्ण बातें

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Agra, Uttar Pradesh, India. नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, यूपी आगरा के पूर्व अध्यक्ष और आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैनस जाने-माने आयकर अधिवक्ता अनिल वर्मा ने आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट खंडपीठ की मांग की है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट की खण्डपीठ आगरा में स्थापना को लेकर चल रहा आन्दोलन सत्ता और राजनीति का शिकार हो रहा है। जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि आगरा में ही हाईकोर्ट खंडपीठ स्थापित की जाए।1856 में ब्रिटिश सरकार ने आगरा में हाईकोर्ट की स्थापना की थी। श्री वर्मा ने इस संबंध में एक ज्ञापन केन्द्रीय विधि एवं न्यायमंत्री अर्जुनराम मेघवाल के नाम राज्यमंत्री विदेश मामले एवं संस्कृति भारत सरकार श्रीमती मीनाक्षी लेखी को सौंपा है। मीनाक्षी लेखी आगरा में भारतीय उद्योग एवं व्यापार सम्मेलन में भाग लेने आई थीं। पाठकों को पूरी बात समझ आए, इसलिए ज्ञापन को यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं।

आगरा आगमन पर नेशनल चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज एण्ड कॉमर्स यूपी आमरा आपका हार्दिक स्वागत करता है। हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि नगरी में हाईकोर्ट की खण्डपीठ की स्थापना को लेकर से चल रहा आन्दोलन सत्ता और राजनीति का शिकार हो रहा है। जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की 1000 पन्नों की जागरा के पक्ष में होने के बाद भी जिले और पास के जिलों के लगातार आन्दोलन कर रहे हैं। इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो सन 1856 में ब्रिटिश सरकार ने आगरा में हाईकोर्ट की स्थापना की थी। लेकिन स्वतन्त्रता आन्दोलन की गतिविधियों का केन्द्र आगरा होने के कारण उच्च न्यायालय का कार्यक्षेत्र इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया। 1906 में आगरा में उच्च न्यायालय की 100वीं वर्षगांठ मनायी गयी और इसमें उच्च न्याय की मांग की गयी।

सन 1971 में न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति का गठन किया गया और संघर्ष समिति ने पीठ स्थापना के लिये संघर्ष किया जिसके फलस्वरूप सन 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण तिवारी ने खण्डपीठ स्थापना का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री (स्व.) श्रीमती इंदिरा गांधी ने जस्टिस जसवंत सिंह कमेटी का गठन किया था। जसवंत सिंह आयोग ने सम्पूर्ण पश्चिम उत्तर प्रदेश का दौरा करते हुए व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठनों, समाजसेवियों, राजनेताओं, बार संगठनों के पक्षों को सुनते हुए और भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक संसाधनों को देखते हुए सन् 1904 में रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी।

सरकार द्वारा उक्त रिपोर्ट को संसद के पटल पर न रखने पर सन 1985 में खण्डपीठ स्थापना संघर्ष समिति की ओर से जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी। 1986 में सर्वोच्य न्यायालय के निर्णय के बाद रिपोर्ट को संसद के पटल पर आगरा में स्थापित करने हेतु सबसे उपयुक्त पाया गया। उस समय संसद में उपस्थित पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने भी खण्डपीठ को आगरा में स्थापित करने का समर्थन किया था। किन्तु उक्त रिपोर्ट को अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। जब वैधानिक कार्यवाही से रिपोर्ट लागू कराने का प्रयास किया गया तो बताया गया कि दो तरह के कमीशन होते हैं- ज्यूडिशियल कमीशन और पॉलिटिकल कमीशन। ज्यूडिशियल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने को सरकार बाध्य है लेकिन पॉलिटिकल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने को बाध्य नहीं है। यह सरकार के विवेक पर निर्भर करता है। अभी तक इस पर सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकी है। खंडपीठ स्थापना को लेकर आगरा की जनता व अधिवक्ता संघर्षरत है।

आज भारतीय उद्योग एवं व्यापार सम्मेलन में समस्त व्यापारी एवम् औद्योगिक संगठन खंडपीठ की स्थापना की पुरजोर मांग करते हैं। अभी भी लम्बी दूरी तयकर उच्च न्यायालय हेतु इलाहाबाद जाना पड़ता है, जिससे अधिक समय धन एवं श्रम खर्च होता है, न्याय मिलने में देरी होती है, जबकि हमारा संविधान अनुछेद 14 तथा सरकार का कहना है कि न्याय, सुलभ सस्ता और डोर स्टेप पर मिलना चाहिए। अतः पुनः प्रार्थना कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना आगरा में अतिशीघ्र करायी जाये।

नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, यूपी आगरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उद्योग एवं व्यापार की एक शीर्ष संस्था है। वर्ष 1949 से अधिक समय से निरंतर कार्यरत है। इसमें 1000 से अधिक औद्योगिक एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान जो आगरा जनपद एवं आसपास के जनपदों में स्थित सदस्य है। 25 विभिन्न प्रमुख व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठन भी चैम्बर के सम्बद्ध सदस्य हैं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh