ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश देने वाले जज ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई

ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश देने वाले जज ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई

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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे का आदेश देने वाले सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता ज़ाहिर की है.
आदेश सुनाते हुए सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा, “इस साधारण से सिविल मामले को असाधारण सा बनाकर डर का माहौल पैदा किया गया.”
अपने आदेश में उन्होंने लिखा है, “डर इतना है कि हर समय मेरे परिवार को मेरी और मुझे अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता रहती है.”
रवि कुमार दिवाकर ने अपनी माँ का ज़िक्र करते हुए कहा, “मेरी माता जी ने मुझे मना किया कि मैं कमिशन पर ना जाऊं क्योंकि इससे मेरी सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है.”
दरअसल, सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतज़ामियां मस्जिद की ओर से सुझाव दिया गया था कि वह (जज रवि कुमार दिवाकर) ख़ुद भी कमीशन की कार्रवाई के लिए ज्ञानवापी जा सकते हैं ताकि निष्पक्षता बनी रहे. इसके जवाब में जज रवि कुमार दिवाकर ने यह बातें कहीं.
अपने आदेश में जज रवि कुमार दिवाकर ने अजय कुमार मिश्र के साथ, विशाल सिंह नाम के विशेष एडवोकेट कमिश्नर और अजय प्रताप सिंह को अधिवक्ता आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है.
कोर्ट ने यह भीआदेश दिया है कि अजय कुमार मिश्र और विशाल सिंह संयुक्त रूप से कमीशन की कार्रवाई देखेंगे.अपने आदेश में सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने ज़िला प्रशासन के रवैये पर भी तीखी टिप्पणी की.उन्होंने कहा, “ज़िला प्रशासन अदालत के आदेश को लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. अगर ज़िला प्रशासन ने कमीशन की कार्रवाई में रुचि ली होती तो कमीशन की कार्रवाई अब तक पूरी हो गई होती.”
रवि कुमार दिवाकर ने बताया कि महिला याचिकाकर्ताओं ने भी अपनी अर्ज़ी में ज़िला प्रशसन के असहयोग का ज़िक्र किया था.
प्रशासन के रवैये पर नाराज़गी जताते हुए जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा, “ऐसा लगता है कि ज़िला प्रशासन के अधिकारी अपने अहंकार और घमंड के कारण अदालत के आदेश का अनुपालन करवाना उचित नहीं समझते हैं.”
ताला तोड़ने का आदेश
गुरुवार को अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अगर मस्जिद का ताला बंद कर दिया गया है तो ज़िला प्रशासन को पूरा अधिकार होगा की वो ताला खुलवाकर या तुड़वाकर कमीशन की कार्रवाई करवाए.
निरीक्षण कराने की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी ज़िला मजिस्ट्रेट, पुलिस कमिश्नर की होगी. उत्तर प्रदेश डीजीपी और मुख्य सचिव को भी निर्देश हैं कि वो कार्रवाई की निगरानी करें.
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh