सूरत का वो हीरा व्यापारी जिसके दान से राम मंदिर में स्‍थापित हुए हैं 15 स्वर्ण द्वार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में एक लंबे इंतजार को खत्म करते हुए राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की। पीएम मोदी प्राण-प्रतिष्ठा के बाद कहा कि उस कालखंड में तो वियोग सिर्फ 14 सालों का था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ो वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। राम मंदिर के लिए लोगों ने दान किया था लेकिन सूरत के एक हीरा व्यापारी परिवार ने अयोध्या के भव्य राम मंदिर को 101 किलो सोना दान किया है। राम मंदिर में भूतल पर गर्भगृह के द्वार समेत कुल 15 स्वर्ण द्वार स्थापित किए गए हैं। राम मंदिर को 5,500 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ है।

कौन हैं दिलीप वी लाखी?

दिलीपकुमार वी लाखी का परिवार सूरत में सबसे बड़ी हीरे के व्यापारियों में से एक हैं। उनका परिवार लंबे समय से डायमंड के कारोबार में हैं। लाखी परिवार ने मंदिर के लिए 101 किलोग्राम सोने का दान किया है। इस सोने उपयोग राम मंदिर के दरवाजे, गर्भगृह, त्रिशूल, डमरू और स्तंभों को चमकाने में किया गया है। यह मंदिर ट्रस्ट को अब तक मिला सबसे बड़ा दान है। मौजूदा वक्त में सोने की कीमत करीब 68 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम है। इस तरह से देखा जाए तो एक किलो सोने की कीमत करीब 68 करोड़ रुपये हुई। कुल 101 किलो सोने की कीमत करीब 68 करोड़ रुपये हुई। इस तरह से लाखी परिवार ने राम मंदिर को सबसे अधिक का दान दिया है।

विभाजन से पहले आए थे जयपुर

डायमंड बिजनेस के परिवार से ताल्लुक रखने वाले दिलीप कुमार वी लाखी के पिता विशिनदास होलाराम भारत पाकिस्तान के विभाजन से पहले 1944 में जयपुर आ गए थे। 13 साल की उम्र में युवा दिलीपकुमार ट्यूशन लेते थे और अपने खाली समय में व्यवसाय संभालते थे। जितना अधिक वह अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होता गया, उतना ही वह अपने पिता की व्यवसायिक कुशलता, संघर्ष और मजबूत भावना से प्रभावित होता गया।

1972 में जब दिलीप की उम्र 22 साल की हुई थी, तो उनके पिता ने उन्हें मुंबई के जवेरी बाजार एक केंद्र स्थापित करने के लिए भेजा। दिलीप कुमार ने अपने पिता के भरोसे को मजबूत किया और फिर डायमंड के व्यापार में बड़ी तरक्की हासिल की। आज दिलीप कुमार लाखी के भारत के सूरत में शायद दुनिया की सबसे बड़ी हीरा पॉलिशिंग फैक्ट्री है जिसमें 6,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।

ग्राहकों की पसंद पर फोकस

दिलीप लाखी की तरक्की मेन यूएसपी है कि वे ग्राहकों की नब्ज पकड़ते हैं। ग्राहकों की लगातार बदलती जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए कंपनी नए-नए प्रयोग करती है। कंपनी में सभी प्रमुख पद लाखी परिवार द्वारा संभाले जाते हैं। दिलीपकुमार के तीन भाई मोतीराम वी. लाखी, प्रकाश वी. लाखी और दीपक वी लाखी – हांगकांग, न्यूयॉर्क और संयुक्त अरब अमीरात में कंपनी का काम देखते हैं।

गुजरात के प्रसिद्ध रामकथाकार मोरारी बापू के मोरारी बापू के अनुयायियों ने 16.3 करोड़ रुपये का दूसरा सबसे बड़ा दान दिया है। तीसरे नंबर पर गुजरात के हीरा कारोबारी गोविंदभाई ढोलकिया हैं। उन्होंने 11 करोड़ रुपये का दान दिया है। ढोलकिया डायमंड कंपनी श्री राम कृष्णा एक्सपोर्ट्स के मालिक हैं।

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh