करदाताओं की मुसीबत: आयकर विभाग की वेबसाइट ठप, ITR अटके, अंतिम तिथि बढ़ाने की उठी मांग

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करदाताओं की मुसीबत: आयकर विभाग की वेबसाइट ठप, अंतिम तिथि बढ़ाने की उठी मांग (ITR Filing Date Extension)

अनिल वर्मा एडवोकेट बोले – पहले ही किया था आगाह, अब आम करदाता भुगत रहा है परेशानी (Taxpayers in Trouble)

डॉ भानु प्रताप सिंह 

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आयकर विवरणी (Income Tax Return – ITR) भरने की अंतिम तिथि 15 सितंबर तय की गई है, लेकिन बीते दो दिनों से आयकर विभाग की वेबसाइट (Income Tax Portal) पूरी तरह ठप पड़ी है।

इससे न केवल आयकर विशेषज्ञ (Tax Consultants) बल्कि लाखों करदाता (Taxpayers) बेहाल हो चुके हैं। हर कोई चिंतित है कि समय पर रिटर्न कैसे भरा जाएगा। अब आवश्यकता है कि अंतिम तिथि को 15 अक्टूबर तक बढ़ाया जाए ताकि करदाता राहत की सांस ले सकें।

नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स, आगरा के पूर्व अध्यक्ष और ख्यात आयकर विशेषज्ञ अनिल वर्मा एडवोकेट (Anil Verma Advocate) ने बताया कि अंतिम तिथि नजदीक होने के कारण उन्होंने अपने संजय प्लेस कार्यालय (Sanjay Place Office) में स्टाफ को सुबह आठ बजे से ही बुला लिया था। पूरा दिन लगातार आईटीआर भरने की कोशिश होती रही, लेकिन वेबसाइट ने सहयोग नहीं किया।

आयकर विभाग की वेबसाइट पर पूरे दिन यही आता रहा।

उन्होंने बताया कि यह समस्या सिर्फ आगरा तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश में व्याप्त है। देश के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त सूचनाओं में भी यही सामने आया कि वेबसाइट काम नहीं कर रही। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आयकर विभाग (Income Tax Department) की ओर से कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण भी जारी नहीं किया गया। आगरा और दिल्ली के कार्यालयों से संपर्क करने की कोशिश हुई, मगर वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला।

श्री वर्मा ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले ही इस आशंका से सरकार को आगाह किया था कि अंतिम तिथि के करीब वेबसाइट पर एक साथ अत्यधिक लोड पड़ सकता है, जिससे यह तकनीकी समस्या उत्पन्न होगी। लेकिन उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया।

भारतीयों की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि यहां अधिकांश कार्य अंतिम तिथि के आसपास ही होता है। सरकार को इस स्थिति का पहले से अंदाजा होना चाहिए था। आज यदि वेबसाइट दुरुस्त हो भी जाए तो एक दिन में इतना कार्य निपटाना संभव नहीं है। इसलिए, करदाताओं के हित में आवश्यक है कि अंतिम तिथि कम से कम एक माह के लिए बढ़ाई जाए।

संपादकीय (Editorial): अनसुनी चेतावनी और अनिल वर्मा की दूरदृष्टि

यह स्थिति दर्शाती है कि भारत में तकनीकी प्रबंधन और करदाताओं के हितों को लेकर गंभीर चूकें होती रही हैं। जब करोड़ों लोग वेबसाइट पर निर्भर हों तो उसकी कार्यक्षमता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन विभाग ने इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया।

यहां यह उल्लेखनीय है कि अनिल वर्मा एडवोकेट (Anil Verma Advocate) ने पहले ही इस संकट की आशंका जताई थी और अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग की थी। उनकी यह दूरदर्शिता प्रशंसनीय है। यदि सरकार ने समय रहते उनकी बात मानी होती तो आज लाखों करदाताओं को इस कष्ट का सामना न करना पड़ता।

हम यह उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार तुरंत संज्ञान ले और अंतिम तिथि को आगे बढ़ाकर करदाताओं को राहत प्रदान करे। इस मांग के केंद्र में केवल करदाताओं की सुविधा नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी का प्रश्न भी है।

Dr. Bhanu Pratap Singh