Agra, Uttar Pradesh, India. नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स आगरा के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल साफ सफाई की व्यवस्थाओं को देखने के लिए शहीद स्मारक पहुंचे। वहां पहुंचने पर सफाई होती दिखी मिली। सफाई कर्मी झाड़ू लगा रहे थे। सुरक्षा कर्मचारी तैनात थे। मुख्य द्वार पर आगरा विकास प्राधिकरण का एक नया बोर्ड भी लगा हुआ है। एक सफाईकर्मी ने बताया कि सफाई का ठेका एक कंपनी को दे दिया गया है। सफाई व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है। काफी संख्या में लोग शहीद स्मारक में आराम करते दिखे। चैम्बर ने शहीद स्मारक की सफाई को लेकर आगरा विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा था। इसी का असर हुआ है।
चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने शहीद स्मारक के पीछे जाकर देखा तो वहां के पार्क की हालत पूर्ववत ही थी। पत्थर टूटे हुए थे। फव्वारे भी बंद मिले। पूरे पार्क की हालात बहुत ही खराब थी। अगर इस पार्क में कटाई छंटाई कर दी जाए तो यह आकर्षण का केंद्र बन सकता है। मनीष अग्रवाल ने बताया पार्क में शहीदों की कई प्रतिमाएं लगी हुई हैं पर किसी भी प्रतिमा के आगे न तो उनका नाम लिखा है और न ही उनके बारे में कोई जिक्र किया गया है। मनीष अग्रवाल ने आशा प्रकट की है कि शीघ्र ही आगरा विकास प्राधिकरण उनके आगे उनका नाम व विस्तृत विवरण लिखेगा ताकि शहीदों के बारे में पूरी जानकारी नई पीढ़ी को हो सके।
चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी एवं काले पानी के राजनीतिक बंदी स्वर्गीय ठाकुर राम सिंह की स्मृति में यहां पर एक वाचनालय की स्थापना हुई है। इसका मुख्य उद्देश्य यहां आने वाले लोगों को शहीदों के बारे में पढ़ने का अवसर और उनके याद में बनाई गई प्रदर्शनी स्थल को देखने का है। साथ ही समाचार पत्रों का भी पठन करना है। वाचनालय की हालत देखकर उन्हें अत्यंत अफसोस हुआ। शहीदों के बारे में प्रदर्शनी केंद्र बंद मिला। किताबों के ऊपर धूल जमी हुई मिली और गंदगी का आलम मिला। मात्र दो युवा अखबार पढ़ते मिले।
इस संबंध में वहां के व्यवस्थापक बुजर्ग मदन मोहन ने अध्यक्ष मनीष अग्रवाल को बताया कि यहां पर 14 समाचार पत्र हिन्दी व अंग्रेजी के आते थे। 1500 से 2000 शहीदों के बारे में जानकारी हेतु किताबें रखी हुई थी। जब ताला खुलवाया गया तो अव्यवस्थित रूप से किताबों का ढेर मिला। उसे चादर से ढक दिया गया था। इस पर धूल जमी हुई थी।
प्रदर्शनी स्थल का भी यही बुरा हाल था। उसमें भी ताला लगा हुआ था। बड़ी संख्या में शहीदों के चित्र टंगे थे और शायद इस इंतजार में कि कोई दिन ऐसा आएगा कि लोग आएंगे जब इन चित्रों पर चढ़ी धूल साफ होगी। बंद कमरा खुलेगा, सफाई होगी और एक बार फिर शहीद स्मारक का यह पुस्तकालय गुलजार होगा।
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