Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। समूचे ब्रज में श्रीराधाष्टमी धूमधाम से मनाई गई। बुधवार को श्रीराधा जन्ममहोत्सव शास्त्रोक्त मर्यादाओं व परंपराओं के अनुरूप श्रद्धाभाव से देवालयों से लेकर ब्रज के हर आंगन में श्रद्धा से ओतप्रोत होकर मनाया गया। शास्त्रीय मर्यादाओं के अनुरूप श्रीराधा नाम स्मरण मात्र से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति एवं कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है। रावाल और बरसाना के अलावा अन्य देवालयों में भी राधाष्टमी की धूम रही।
ब्रह्म मुहूर्त में सुबह चार बजे श्रीराधा रानी के विग्रह का अभिषेक किया गया
बरसाना में श्रीराधारानी का जन्मोत्सव श्रद्धाभक्ति एवं सादगी पूर्वक मनाया गया। बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में श्रीराधा रानी का पंचामृत से अभिषेक किया गया। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार जन्मोत्सव में श्रद्धालुओं की संख्या नगण्य रही। पूर्व में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु श्रीराधा जी के अभिषेक के साक्षी होते थे लेकिन इस बार मंदिर के सेवायत और सुरक्षाकर्मी ही जन्मोत्सव में शामिल हुए। राधाष्टमी पर बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह चार बजे श्रीराधा रानी के विग्रह का अभिषेक किया गया। हालांकि कोरोना के कारण इस पल का साक्षी बनने के लिए इस बार देश-दुनिया के भक्त नहीं पहुंचे। चंद सेवायतों एवं ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में राधारानी का अभिषेक किया गया।
रावल में भी राधाजू का जन्मोत्सव विधिविधान के साथ मनाया गया
ब्रजाचार्य पीठाधीश्वर कृष्णाचार्य भट्ट ने बताया कि इस बार राधारानी का 5247 वां जन्मोत्सव मनाया गया है। मंदिर में 568 वां प्राकट्योत्सव मनाया गया है। दूध, दही, शहद, बूरा, इत्र, घी, गुलाब जल, गो घृत, पंच मेवा, पंच नवरत्न, केसर आदि से श्रीजी के श्रीविग्रह का अभिषेक गोस्वामी समाज के तीनों थोक के सेवायतों व गुरु पीठ सूसठ महाराज के सानिध्य में किया गया। रावल में भी राधाजू का जन्मोत्सव विधिविधान और उल्लास के साथ मनाया गया।
मंदिरों में हुआ बंधाई गायन
राधाष्टमी के मौके पर समाज गायन में राधाजी का बधाई गायन शास्त्रीय संगीतज्ञों ने किया। इस दौरान महोत्सव में राधारानी के महाभिषेक के बाद दधिकांधा भी हुआ, जिसमें उपहार लुटाए गए।
छीपी गली स्थित ठा. प्रियाबल्लभ मंदिर में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय राधा जन्ममहोत्सव के तहत बुधवार को सुबह काल दायी बधाई गायन प्रख्यात संगीतज्ञ विनोद शर्मा ने किया। श्रीजी की जन्म आरती और श्रृंगार आरती हुई। आचार्य विष्णुमोहन नागार्च , डॉ. जयेश खंडेलवाल, आचार्य ललितबल्लभ नागार्च, डॉ. श्याम बिहारी खंडेलवाल, आचार्य रसिक बल्लभ नागार्च, राम गोपाल शास्त्री ने मंगल बधाई समाज गायन किया। महोत्सव में दधिकांदा भी हुआ, इसमें रुपये, कपड़े, बर्तन, मेवा-मिष्ठान, खिलौने आदि लुटाए गए। पुरुषोत्तम शाह व अलबेली सखी ने ढाढ़ी-ढाढ़ींन नृत्य किया।
अद्भुतः श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर श्रीकृष्ण ने ’राधारूप’ में दिये भक्तों को दर्शन
श्रीराधा जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर श्रीकेशवदेव जी के अलौकिक श्रीविग्रह ने स्वयं श्रीराधा रूप में भक्तों को मनोहारी दर्शन दिये। श्रीराधा जन्माष्टमी का मुख्य आयोजन प्रातः 8 बजे श्रीगणेश, नवग्रह आदि पूजन के उपरान्त प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम श्रीराधा स्वरूप में विराजित भगवान श्रीकेशवदेव जी के सन्मुख श्रीकीरत-किशोरीजी के चल विग्रह का दिव्य जन्ममहाभिषेक किया गया। तदोपरान्त श्रीकृष्ण संकीर्तन मण्डल, जन्मस्थान के भक्तों के द्वारा श्रीकेशवदेव मंदिर से संकीर्तन के मध्य ‘चाव’ भागवत-भवन में विराजित श्रीराधाकृष्ण युगल-सरकार को अर्पित की।
उद्दाम संकीर्तन एवं वैदिक मंत्रों के मध्य श्रीराधा जन्ममहाभिषेक को श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव श्री कपिल शर्मा एवं प्रबंध समिति के सदस्य श्री गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, मंदिर के पूजाचार्य श्री विन्ध्येश्वरी प्रसाद अवस्थी, श्री ब्रह्मानन्द मिश्रा, आचार्य श्री महेश चन्द शर्मा, श्री सनातन पण्डा द्वारा श्रीराधा जन्ममहाभिषेक शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुरूप संपन्न कराया गया।
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