स्ट्रेसभरी शहरी जिंदगी में नींद न आना कॉमन समस्या है। ऐसे में लोग बिना सोचे-समझे नींद की दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट्स काफी खतरनाक होते हैं।
शहरी लाइफस्टाइल, फास्टफूड का अत्यधिक इस्तेमाल और स्ट्रेस, नींद ना आने के प्रमुख कारण हैं। ये समस्या लोगों को इतना अधिक प्रभावित कर रही है कि वे नींद की दावाइयां लेने को मजबूर हैं। शुरुआती समय में तो ये गोलियां लोगों को सुकून देती हैं, लेकिन लंबे वक्त के लिए इनका सेवन सेहत पर काफी बुरा असर डालता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना नींद की दवाओं के 35 मिलीग्राम के स्टैंडर्ड डोज लेने से दिल के दौरे का खतरा 20 प्रतिशत बढ़ जाता है जबकि साल में करीब 60 नींद की दवाएं लेने से यह रिस्क 50 प्रतिशत हो सकता है। नींद की दवाओं में मौजूद तत्व- Zolpidem को दिल की बीमारियों की वजह बताया है।
कोमा में जाने का खतरा
जो लोग रोज एक गोली लेने के बजाए उससे ज्यादा गोलियां खाते हैं, उनके कोमा में जाने का खतरा होता है।
याद्दाश्त बिगड़ना
लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने से याद्दाश्त कमजोर हो जाती है।
बनने लगते हैं थक्के
नींद की गोलियां नर्वस सिस्टम को कमजोर कर देती हैं। इससे नर्वस सिस्टम संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रक्त नलिकाओं में थक्के भी बन जाते हैं।
शिथिल हो जाता है स्नायु तंत्र
नींद की गोलियां स्नायु तंत्र को शिथिल कर देती हैं। इन गोलियों में जो तत्व होते हैं, उनके खराब साइड इफेक्ट्स होते हैं।
रुक सकती है सांस
इन दवाइयों का सेवन उनके लिए भी खतरनाक है, जो नींद में खर्राटे लेते हैं क्योंकि खर्राटों के बीच कभी-कभी सांस रुक जाती है जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।
लंबे समय तक नींद की दवाएं दिल के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। जो दिल के मरीज होते हैं, उनमें आगे चल के सांस फूलने की शिकायत हो सकती है।
-डॉ. सुदर्शन कुमार विजय, राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट, लखनऊ
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