harvijay bahiya agra

आगरा के इतिहास में शनिवार का दिन होगा खास, पढ़िए क्या होने जा रहा

NATIONAL साहित्य

इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार’ विजेता गीतांजलि श्री का आगरा करेगा नागरिक अभिनन्दन

रेत समाधि पर चर्चा के लिए देशभर के जाने- माने हिन्दी साहित्यकार जुट रहे

होटल ‘क्लार्क्स शीराज़’ में होगा रंगारंग समारोह, रंगलीला की कथावाचन प्रस्तुति

Agra, Uttar Pradesh, India. दुनिया में साहित्य के अकेले सबसे बड़े पुरस्कार ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ 2022’ की विजेता और हिंदी कथा-आकाश की दैदीप्यमान नक्षत्र सुश्री गीतांजलि श्री का आगरा विराट नागरिक अभिनन्दन करने जा रहा है। शनिवार आगामी 30 जुलाई को सायं 5 बजे होटल ‘क्लार्क्स शीराज़’ में आयोजित होने वाले एक रंगारंग समारोह में कथा सामाज्ञी का भव्य सत्कार होगा। साहित्य की किसी अंतर्राष्ट्रीय हस्ती के सम्मान में होने वाले आगरा के सांस्कृतिक संसार में इस किस्म के पहले और अनूठे कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय सांस्कृतिक संस्था ‘रंगलीला’ और ‘आगरा थियेटर क्लब’ कर रहे हैं। इस बात की जानकारी वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी अनिल शुक्ल और साहित्य रसिक व सामाजिक कार्यकर्ता हरविजय सिंह बाहिया ने दी। वे दोनों आज यहाँ एक संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित कर रहे थे।

 

कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए श्री शुक्ल ने कहा कि आगरा के सांस्कृतिक इतिहास में 30 जुलाई का दिन स्वर्णिम अक्षरों में महज़ इसलिए नहीं लिखा जाएगा क्योंकि इस दिन हम साहित्य के क्षेत्र में किसी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त भारतीय हस्ती का अभिनन्दन करेंगे बल्कि इसलिए भी कि पहली भारतीय ‘अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’  विजेता के रूप में हम आगरा वासी अभिननंदन करने वाले हैं । उन्होंने कहा कि बीते 8 अक्टूबर को ‘रंगलीला’ के ‘प्रेमचंद पुण्यतिथि’ के अवसर पर गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंश पाठ  करते सुनने का अनुभव ही आगरा के प्रबुद्धजनों को स्तब्ध कर देने वाला था। “विगत जून के महीने में जब ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ 20222’ की घोषणा हुई, तभी से नगरवासियों का उन पर दबाव था कि आगरा बुलाकर उनका नागरिक अभिनन्दन किया जाय।“

 

श्री शुक्ल ने बताया कि कार्यक्रम में सुश्री गीतांजलिश्री अपने विजेता उपन्यास ‘रेत समाधि’ के लेखन के कई सालों के अपने अनुभव को तो उपस्थित बुद्धिजनों के बीच बांटेगी ही, कार्यक्रम में मौजूद हिंदी आलोचना के शीर्ष पुरुष वीरेंद्र यादव (लखनऊ) उपन्यास के शिल्प और हिंदी कथा संसार में उसकी भाषाई-ध्वनि की नयी चेतना के विस्फोटन पर पर भी रोशनी डालेंगे। उपन्यास की विषय वस्तु और इसमें वर्णित देश-विभाजन के दौर की पृष्ठभूमि को लेखक और साहित्यकार अरुण डंग चिन्हित करेंगे।

anil shukla
पोस्टर का विमोचन करते आयोजक

इस अवसर पर बोलते हुए श्री बाहिया ने कहा कि आगामी शनिवार हमारे लिए इसलिए भी अत्यंत महत्व का साबित होने वाला है क्योंकि साहित्य के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाज़ी गयी जिस शख़्सियत का सत्कार करने के लिए हम एकत्रित होंगे उन गीतांजलिश्री जी का न सिर्फ जन्म यूपी में हुआ है बल्कि उनका बालपन और लड़कपन भी  उत्तरप्रदेश की सीमाओं के भीतर ही घूम-घूम कर पुष्पपल्लवित हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इस बीज और फूल को साहित्य के एक विराट दरख़्त के रूप में तब्दील होते देखना और उस दरख़्त की छाँव में बैठकर दरख़्त का अभिनन्दन करना सचमुच हम सभी आगरावासियों के लिए परम गौरव का दिन सिद्ध होने वाला है। उन्होंने कहा कि साहित्य पत्रिका ‘कथादेश’ (नयी दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, ‘बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी’ (‘बिमटेक,’ गौतमबुद्ध नगर) के डायरेक्टर प्रो० हरिवंश चतुर्वेदी और भारतीय मुद्रा इतिहास के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ डा० संजय गर्ग (नयी दिल्ली) जैसे इतिहासकार मूलतः आगरा की माटी की ही देन हैं। कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी वस्तुतः गीतांजलिश्री के ‘आगरा अभिनन्दन’ का देशव्यापी विस्तार होगी।

 

संवाददाता सम्मलेन में मौजूद हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक डॉ० प्रियम अंकित ने बताया कि बेशक   ‘अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ ने ‘रेत समाधि’को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है, लेकिन हिंदी भाषी पाठकों के लिये गीतांजलि श्री विगत तीन दशकों से एक जाना पहचाना नाम है। ‘हमारा शहर उस बरस, ‘माई,‘तिरोहित,‘खाली जगह,‘यहाँ हाथी रहते थे, ‘रेत समाधि जैसे उपन्यास और अनेक बेहतरीन कहानियाँ लिखकर उन्होंने पाठकों का मान-सम्मान और प्यार प्राप्त किया है।

 

संवाददाता सम्मलेन में आयोजन समिति के सदस्य बतौर मौजूद सरोज गौरिहार, प्रो० रामवीर सिंह, प्रो० नसरीन बेगम, डा० शशिकांत पांडेय, डा० ब्रजराज सिंह, डा० उमाकांत चौबे,  रामभरत उपाध्याय, ख़ावर हाश्मी, ख़लीफ़ा राकेश यादव, वत्सला प्रभाकर, रोली सिन्हा, राममोहन कपूर, वेदपाल धर, मनोज सिंह, डा० कौशलनारायण शर्मा, अभिनय प्रसाद  डा० महेश धाकड़, सुरेंद्र सिंह, सुनयन शर्मा,  आदर्शनंदन गुप्त, शंकरदेव तिवारी, संजय तिवारी, श्रीकांत पाराशर, डा० राजेश कुमार, गोपाल शर्मा, सैयद इब्राहिम ज़ैदी, कमलदीप, संजीव गौतम, सुधांशु साहिल, हिमानी चतुर्वेदी, मन्नू शर्मा, सुरेंद्र यादव आदि ने इस अवसर पर पोस्टर जारी किया।

harvijay bahiya
पत्रकारों को कार्यक्रम की जानकारी देते अनिल शुक्ला एवं अन्य।

 

बुकर पुरस्कारों’ के विषय में विस्तार से बताते हुए हिंदी साहित्य समीक्षक और ‘रंगलीला’ के संरक्षक डॉ० अखिलेश श्रोत्रिय ने कहा कि ‘बुकर प्राइज़’ की स्थापना 1969 में इंगलैंड (यूके) में की गयी थी जबकि ‘इंटरनेशल बुकर प्राइज़’ की स्थापना यूके में ही 2005 में की गयी थी।  ‘इंटरनेशल बुकर प्राइज़’ दुनिया की किसी भी भाषा में छपी किताब के इंग्लिश अनुवाद को दिया जाता है जबकि ‘बुकर प्राइज़’ इंग्लिश में छपी किताब या उपन्यास को दिया जाता है। जिन तीन भारतीय रचनाकारों को अब तक ‘बुकर प्राइज़’ से नवाज़ा जा चुका है वे अरुन्धिती रॉय (1997) / किरण देसाई (2006) /और अरविन्द अडिगा (2008) हैं।  ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज़’ हासिल करने वाली पहली भारतीय कथाकार गीतांजलिश्री  हैं।

 

इस अवसर पर संवाददाताओं से चर्चा करते हुए वरिष्ठ साहित्य आलोचक डॉ० प्रेमशंकर ने कहा कि ‘इंटरनेशनल बुकर प्राइज़’ का नाम ‘मेन बुकर इंटरनेशनल प्राइज़’ था और तब यह 2 साल के अंतराल पर दिया जाता था। सन  2015 से इसके नियमों में बदलाव करके इसे प्रति वर्ष दिए जाने का सिलसिला शुरू हुआ।  इसका मक़सद  विश्व की किसी भी भाषा की अद्वित्यीय रचना के अंग्रेजी अनुवाद को ‘प्रमोट’ करना था। गीतांजलिश्री जी के अनूठे उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सेंड’ को इस वर्ष का इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ मिला है। यह अनुवाद डेज़ी रॉकवेल ने किया है।  डेज़ी हिंदी और उर्दू की मशहूर अमेरिकी अनुवादक हैं। उन्होंने उपेन्द्रनाथ अश्क़ के गिरती दीवारें का फॉलिंग वॉल्स के रूप में,  भीष्म साहनी के ‘तमस’ और पाकिस्तानी कथाकार खादीजा मस्तूर के ‘द वीमेन कोर्टयार्ड’ सहित हिंदी-उर्दू की अनेक बेहतरीन शास्त्रीय रचनाओं के अनुवाद करके ख्याति अर्जित की है।

 

संगोष्ठी के अलावा इस भव्य समूचे कार्यक्रम का दूसरा प्रमुख आकर्षण ‘रंगलीला’ की विशिष्ट मंच प्रस्तुति ‘कथावाचन’ होगी। दर्शकों के समक्ष इस शैली में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल शुक्ल के निर्देशन में तैयार गीतांजलि श्री की चर्चित कहानी ‘प्राइवेट लाइफ़’ की मंचीय प्रस्तुति होगी। कहानी 2 पीढ़ियों के बीच के अंतर्द्वंद को ज़बर्दस्त तरीके से रेखांकित करती है।

 

मूलतः इतिहास की शोधार्थी गीतांजलि श्री के ताजमहल प्रेम की चर्चा करते हुए ‘अभिनंदन समिति’ के प्रवक्ता रामभरत उपाध्याय ने संवाददाताओं को बताया कि अपने इस बार के आगरा प्रवास की दो सम्पूर्ण रातें वह अपनी बहन और भांजी के साथ ताजमहल को निहारने में गुज़ार देना चाहती थीं लेकिन उन्हें इस बात का गहरा अफ़सोस है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रारंभिक तिथियाँ होने के चलते चन्द्रमा उनकी चाह पूरी करने को तैयार नहीं। वह कहती हैं कि इस ‘फ्रंट’ पर उन्हें मन मसोस कर आगरा छोड़ना पड़ेगा।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh