‘50 Shades of लव’ के लोकार्पण में रुद्रा की मां प्रभजोत कौर हुईं भावुक, कहा- अब गर्व ज्यादा होता है कि मैं रुद्रा की मां हूँ
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. रुद्रा को मैंने बचपन से देखा है। सीधी-सादी सी बच्ची। मैं उसे पत्रकार प्रभजोत कौर और मीतेन रघुवंशी की होनहार पुत्री के रूप में जानता हूँ। बचपन में जन्मदिन के केक भी कटवाए हैं। कालचक्र ऐसा घूमा कि घर आना-जाना न्यूनतम हो गया। 31 मई, 2024 को जब रुद्रा रघुवंशी के काव्य संग्रह का विमोचन हुआ तो आश्चर्यित हो गया। साथ ही खुशी भी हुई। आश्चर्य इसलिए कि जिस रुद्रा को हम बच्ची समझते हैं, वह तो साहित्यकार निकली। वह नवांकुर अवश्य है लेकिन कविताओं में प्रेम, लव, अहसास, आइना और न जाने क्या-क्या है। मेरी भविष्यवाणी है कि नन्हीं रुद्रा आगरा जगत के साहित्यकारों के लिए नई सनसनी है। भविष्य में वह मंच पर आकर साहित्यकारों को चुनौती भी दे सकती है।
रुद्रा रघुवंशी इस वर्ष 10वीं कक्षा में आई है। नवांकुर कवयित्री रुद्रा रघुवंशी की प्रथम पुस्तक ‘50 Shades of लव’ का प्रकाशन हुआ है। पुस्तक का लोकार्पण धूमधाम से हुआ। इस दौरान रुद्रा रघुवंशी ने जो कुछ कहा वह उल्लेखीय है। रुद्रा ने कहा- कविता लिखना आसान नहीं है। मैं अपनी 50 कविताएं बहाती हूँ और न जाने कितनी ढहाती हूँ। पीयूष पांडे अंकल ने मुझे ब्लेसिंग भेजीं और गोरख पांडे के हवाले से कहा कि कविता लिखना कोई बड़ा काम नहीं है। मगर बटन लगाना भी कोई बड़ा काम नहीं है, पर उससे पैंट-कमीज बेकार हो जाती है।
रुद्रा ने अपनी एक कविता सुनाई-
पहले दिल बिखरा था, अब टूट गया है,
पहले कोई रूठा था, अब छूट गया है।
पहले हमारे इश्क की हर गली में मिसालें दी जाती थीं,
अब उसी गली में बदनाम हैं हम।
पहले हम थे अब मैं हो गए हैं,
पहले बातें थी अब सिर्फ शांति है।

रुद्रा की मां प्रभजोत कौर रघुवंशी के साथ मैंने अमर उजाला में काम किया है। वे तेजतर्रार पत्रकार हैं। हर किसी पर हावी हो जाना उनका स्वभाव है और इस कारण उन्हें कष्ट भी उठाना पड़ता है। पुस्तक लोकार्पण के समय वे भावुक हो गईं। नयनों से अश्रुपात होने लगा। लगता है भारत देश की सभी मां ऐसी ही होती हैं। दुःख में तो आँसू सबके आते हैं लेकिन खुशी के अवसर पर अश्रु सिर्फ माताएं बहाती हैं और वह भी मुस्कारते हुए। कुछ ऐसा ही दृश्य दिखाई दिया।
प्रभजोत ने बड़े ही गर्व के साथ कहा कि आज हमें रुद्रा के माता-पिता के रूप में जाना जा रहा है। पहले खुशी होती थी कि मैं इतनी सुंदर बेटी की मां हूँ और अब गर्व ज्यादा होता है कि मैं रुद्रा की मां हूँ।
साहित्य सृजन रुद्रा के रक्त में है। उसके परिवार के राजेंद्र रघुवंशी और जितेंद्र रघुवंशी को कौन नहीं जानता है। रुद्रा के दादा जितेद्र रघुवंशी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में वर्षों पढ़ाया है। उनके नाम की पट्टिका आज भी लगी हुई है। यहीं पर प्रभजोत और मीतेन विद्याध्ययन करते थे। दोनों में प्रेम हुआ और विवाह हो गया। इसी के परिप्रेक्ष्य में मुख्य अतिथि, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने चुटकी ली, जिसका समर्थन प्रभजोत ने किया। फिर निष्कर्ष निकाला गया कि इसी कारण रुद्रा की कविताओं में प्रेम का प्रस्फुटन हुआ है।

‘50 Shades of लव’ का लोकार्पण
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में ‘सृजनात्मक लेखन व आज के युवा’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें युवा लेखकों को सृजनात्मक लेखन के लिए प्रेरित किया गया। इसी कार्यक्रम में नवांकुर कवयित्री रुद्रा रघुवंशी की प्रथम पुस्तक ‘50 Shades of लव’ का विमोचन किया गया।
जो मन में आए लिखनाः प्रो. एसपी सिंह बघेल
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने रुद्रा की कविताओं में आइना, अहसास, लव आदि शब्दों के समावेश पर चुटकी ली- कहीं मम्मी-पापा पर तो नहीं लिख दी है। आशा जताई कि पुस्तकों की श्रृंखला निकलेगी। यह भी सीख दी कि कविता लेखन में मात्रा, छंद आदि के चक्कर में न पड़ें। जो मन में आए लिखना, स्वांतः सुखाय के लिए लिखना।
प्रो. प्रदीप श्रीधर ने क्या कहा
कार्यक्रम अध्यक्ष और विद्यापीठ के निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने अवगत कराया कि रुद्रा के दादा ने संस्थान में सालों अपनी सेवाएं दीं। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए वह अपने परिवार की साहित्यसेवा की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने छोटी उम्र में ही अपनी कविताओं के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति का प्रयास कर सभी के मन को झकझोरा है। उन्होंने जहां मां के लिए कविता लिखी है, तो नारी सशक्तिकरण और निर्बाध रूप से स्वतंत्र सोच आदि विषयों पर हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से कविताएं लिखी हैं। उनका भविष्य उज्ज्वल है।

डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने क्या कहा
जानी-मानी कवयित्री डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने अपनी कविताओं के माध्यम से सृजनात्मक लेखन और युवाओं के अंतरसंबंधों को परिलक्षित किया। उन्होंने कहा कि युवा तकनीक और ऊर्जा का शानदार मिश्रण है। इसे सकारात्मक दिशा में लगाकर राष्ट्र हिंत के लिए अच्छा काम किया जा सकता है। युवा अपने कौशल से प्राचीन विधाओं को नई तकनीकों से जोड़कर अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं।
शैलबाला अग्रवाल ने क्या कहा
मुख्य अतिथि शैलबाला अग्रवाल ने कहा कि रुद्रा ने इतनी छोटी सी उम्र पुस्तक लाकर मुझे मेरी याद दिला दी। मैंने उनके दादा से प्रेरित होकर साहित्य सृजन प्रारंभ किया था। युवाओं की क्षमताओं और कौशल को देख तसल्ली होती है कि हमारे देश की डोर सही हाथों में है।
इन्होंने किया रुद्रा सम्मान
प्रो. श्रीधर, जाने-माने होम्योपैथ और अनेक रिकॉर्ड धारी डॉ. पार्थसारथी शर्मा, प्रो. बृजेश चंद्रा (लिफाफा भी दिया), मनीष अग्रवाल, बृजेश शर्मा, निखिल प्रकाशन के मोहन मुरारी शर्मा आदि ने रुद्रा को सम्मानित किया।
उल्लेखनीय उपस्थिति
कार्यक्रम के संयोजक डा. अमित कुमार सिंह थे। साहित्यिक संचालन संचालन डॉ. रमा ने किया। प्रो. लवकुश मिश्रा, निर्मला दीक्षित, डॉ. जेएन टंडन, अरविंद शर्मा गुड्डू, शकील अहमद, रोहित कत्याल, डॉ. केशव शर्मा, अपूर्व शर्मा, रविंद्र रघुवंशी, आशा रघुवंशी, मितेन रघुवंशी, सुखवीर कौर, जसवीर सिंह, दिगंबर सिंह धाकरे, गौरव शर्मा, अंकुश गौतम, तन्मय गुप्ता, रचना गौतम, पवन गुप्ता, डॉ. पल्लवी आर्या, डॉ. राजेंद्र दवे, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. मोहिनी दयाल, डॉ. वर्षा रानी, डॉ. चारु अग्रवाल, कंचन कुशवाहा, डॉ. संदीप सिंह, विशाल शर्मा आदि मौजूद रहे।
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