कवि व्‍यास ने लिखा था, यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है

कवि व्‍यास ने लिखा था, यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है

साहित्य

भारत में स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और ‘जय हिंद’ का नारा देने वाले सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है. आज उनके जन्म दिवस को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मनाया जा रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था.
नेताजी को भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में उनके खास योगदान के लिए जाना जाता है. नेताजी के जन्मदिवस को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है.
पढ़ें, गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा सुभाष चंद्र बोस पर लिखी कविता-

है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।

अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।।

यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है।
जो रक्त कणों से लिखी गई, जिसकी जय हिंद निशानी है।।

प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था ।
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था।।
यह वीर चक्रवर्ती होगा, या त्यागी होगा सन्यासी।
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी।।

सो वही वीर नौकरशाही ने,पकड़ जेल में डाला था ।
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था।।

बाँधे जाते इंसान, कभी तूफान न बाँधे जाते हैं।
काया ज़रूर बाँधी जाती, बाँधे न इरादे जाते हैं।।

वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था, जो मौका पाकर निकल गया।
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया।।

जिस तरह धूर्त दुर्योधन से, बचकर यदुनन्दन आए थे।
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के, पहरेदार छकाए थे ।।

बस उसी तरह यह तोड़ पींजरा, तोते-सा बेदाग़ गया।
जनवरी माह सन् इकतालिस, मच गया शोर वह भाग गया।।

वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे, ये धूमिल अभी कहानी है।
हमने तो उसकी नयी कथा, आज़ाद फ़ौज से जानी है।।
–(साभार-कविता कोश)

 

Dr. Bhanu Pratap Singh