साल 2020-21 में जब कोरोना ने दुनिया को अपनी आगोश में लिया तो बाहर निकलने के तमाम रास्ते बंद हो गए। ऐसे में लोगों ने आभासी दुनिया का सहारा लिया। स्मार्टफोन का इस्तेमाल पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया। बच्चों से लेकर नौजवान और बूढ़े सभी मोबाइल फोन की स्क्रीन में डूबते चले गए।
कोरोना खत्म होने के बाद ‘साइबर मीडिया’ ने इस बारे में एक रिसर्च की। जिसमें 88% भारतीय जोड़ों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन की वजह से उनके रिश्ते में तनाव आ रहा है।
सेहत से लेकर वेलबीइंग पर स्मार्टफोन के नकारात्मक असर की खूब बात की जाती है। इससे बचने के तमाम उपाय भी सुझाए जाते हैं। लेकिन रिश्ते में उभर आए इस कांटे को कैसे दूर किया जाए, इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए आज ‘रिलेशनशिप कॉलम’ में रिश्ते में स्मार्टफोन के असर और इससे बाहर निकलने के उपायों की बात करेंगे।
रोमांस किलर बन रहा है स्मार्टफोन, वजह है टेक्नोफेरेंस
शादीशुदा जोड़ों और साथ रहने वाले रोमांटिक पार्टनर्स की जिंदगी में स्मार्टफोन रोमांस किलर का काम कर रहा। रिलेशनशिप कोच डॉ. अंजलि इसके पीछे टेक्नोफेरेंस को वजह बताती हैं। जिसकी वजह से दो पार्टनर्स के बीच डिजिटल डिवाइस एक दीवार सी बन जाती है।
सोशल मीडिया कनेक्शन से ज्यादा जरूरी फिजिकल टच
सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से कनेक्ट होने, चैटिंग, फोन पर बात करने या वीडियो कॉलिंग से रिश्ते को फायदे संभव हैं लेकिन यह फिजिकल टच का विकल्प नहीं बन सकते। ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि पार्टनर्स फोन को मीडियम बनाने की जगह फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट में आएं।
क्योंकि जब दो पार्टनर्स एक-दूसरे के फिजिकल टच में आते हैं तो इससे हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होता है। पार्टनर्स को खुशी महसूस होती है। उनका दिमाग संकेत करता है कि पार्टनर की मौजूदगी अच्छी और खुशी देने वाली है। दोनों में प्यार स्वतः गहरा हो जाता है।
-एजेंसी
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