Ayodhya Ram Mandir

बदल गई है राम नगरी अयोध्या, यहां पढ़िए पौराणिक काल से अब तक की पूरी जानकारी

NATIONAL REGIONAL RELIGION/ CULTURE

वर्तमान अयोध्या एवं प्राचीन अयोध्या की एकरूपता केवल अयोध्या की पावन भूमि व सरयू नदी ही है। सरयू नदी भी अपना पाट समय समय पर बदलती रही है। इसके अलावा अयोध्या का शेष सभी कुछ परिवर्तित हो चुका है।

प्राचीन भारत में कोसल के नाम से प्रसिद्ध नगर को सम्प्रति अयोध्या के नाम से जाना जाता है। इक्ष्वाकु से श्रीरामचन्द्र तक सभी चक्रवर्ती राजाओं ने अयोध्या के सिहासन को विभूषित किया है। प्रथम बार इसे मनु ने बसाया था जैसा कि “मनुना मान्वेंद्रेण सा पुरी निर्मितां स्वयम “उक्ति से स्वतः स्पष्ट  है।   हिन्दुओं के सात पवित्र धार्मिक तीर्थस्थलों अर्थात सप्तपुरियों में से अयोध्या प्रमुख एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि होने के कारण एवं प्राचीन समय से ही उच्च कोटि के संतों की साधना -भूमि के रूप में अयोध्या जानी जाती रही है।

पहले यह कोसल जनपद की राजधानी थी। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था। इस प्राचीन नगर के अवशेष सम्प्रति खण्डहर के रूप में परिवर्तित हो गए हैं। यह भारत के सभी प्रांतों से भी यह रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। प्रतिवर्ष  यहां लाखों पर्यटक एवं  श्रद्धालु दर्शनार्थ आते रहते है। अयोध्या को साकेत एवं अवध के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या शब्द की व्युत्पत्ति “अ “अकार ब्रह्मा, “य” यकार विष्णु एवं “ध” धकार रूद्र के स्वरूप से हुई है।  अकारो ब्रह्मा च प्रोक्तं यकारो विष्णुरुच्यते। धकारो  रुद्रयश्च  अयोध्या नाम  राजते।

वर्तमान भौगोलिक स्थिति :-  उत्तरप्रदेश राज्य के फ़ैजाबाद जिले के अन्तर्गत यह नगर सरयू नदी जो तीन ओर अयोध्या से घिरी हैं, के किनारे पर बसा हुआ अति प्राचीन नगर है।  अयोध्या का निकटतम हवाई अड्डा अमौसी, लखनऊ है जो यहां से लगभग 140 किलोमीटर दूर है।  अयोध्या का निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन पुराना फ़ैजाबाद (अब अयोध्या कैंट) है। उत्तरप्रदेश एवं भारत के अन्य प्रान्तों से यह रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। अयोध्या रेलवे स्टेशन पर मुगलसराय, वाराणसी एवं लखनऊ से सीधे गाड़ियां आती हैं। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग व अन्य राजमार्गों से भारत के समस्त प्रमुख नगरों से भी जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों द्वारा प्रदेश के समस्त निकटवर्ती प्रमुख शहरों से सीधे यहां पहुंचा जा सकता है।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्य :- स्कन्दपुराण के अनुसार “श्रीराम धनुषाग्ररथ अयोध्या सा महापुरी” है। पौराणिक ग्रन्थों में उपलब्ध अभिलेखानुसार त्रेता युग में भगवान विष्णु ने महाराजा दशरथ के पुत्र राम के रूप में अयोध्या में जन्म लिए थे, इसीलिए वेदों में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है। रामायण में इसकी स्थापना मनु द्वारा किये जाने का उल्लेख मिलता है। तत्कालीन स्थिति के अनुसार यह सरयू के तट पर बारह योजन अर्थात लगभग 145 किलोमीटर लम्बे  एवं तीन योजन अर्थात 36 किलोमीटर चौड़ाई के क्षेत्र में बसा था। बहुत समय तक यह सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही है। जैनियों के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म भी अयोध्या में ही हुआ था। वैवस्वत मनु नामक राजा के चौसठवीं पीढ़ी में महाराज दशरथ के पुत्र के रूप में भगवान राम ने यहां जन्म लिया था। मनु, इक्ष्वाकु, भगीरथ, रघु, दिलीप, हरिश्चंद्र एवं राम जैसे सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी होने का गौरव अयोध्या को प्राप्त है। राजा इक्ष्वाकु के गुरु वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी को मानसरोवर से अयोध्या तक ले आने का उल्लेख पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि इस नगर में कोई नदी न होने के कारण वशिष्ठ ने अपने पिता ब्रह्मा जी को तप द्वारा प्रसन्न किया और ब्रह्मा के वरदान से उन्होंने ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को मान सरोवर से सरयू नदी को अयोध्या तक ले आये। मुख्यरूप से अयोध्या श्रीराम की जन्म भूमि होने के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

भगवान श्रीराम की लीला के अतिरिक्त यहां श्रीहरि के अन्य सात प्राकट्य हुए थे जिन्हें सप्त हरि के नाम से जाना जाता है। त्रेतायुग में भगवान राम ने यहां अश्वमेध यज्ञ किया था। लगभग 300 वर्ष पूर्व उसी स्थल पर कुल्लू के राजा ने  एक विशाल मंदिर बनवाया जिसका इन्दौर की रानी अहिल्याबाई ने वर्ष 1784 में नवनिर्माण करवाया था।

ayodhya history

ऋषियों एवं मुनियों की पवित्र स्थली:- अयोध्या त्रेतायुग से अबतक ऋषियों एवं मुनियों की पवित्र तपस्थली रही है। इन ऋषियों एवं संतों ने ही अपनी इसी साधना स्थल पर अनेकों आश्रमों एवं मन्दिरों का निर्माण करवाया। ऐसे संतों में अनत श्री विभूषित स्वामी रामचरण दास “करुणासिंधु जी महराज”, स्वामी रामप्रसादाचार्य, स्वामी युगलानन्य  शरण जी, स्वामी मनीराम दास जी, स्वामी श्री रघुनाथ दास जी, श्री जानकीशरण एवं श्री उमापति प्रमुख हैं।

प्रसिद्ध मन्दिर एवं घाट :-   यहां निर्मित नागेश्वर मंदिर शिव जी का अत्यन्त प्राचीन मन्दिर है। अयोध्या के अन्य दर्शनीय स्थलों में श्रीराम मन्दिर, श्रीराम जन्मभूमि, हनुमान गढ़ी, लाल साहब, वाल्मीकि मन्दिर, बिड़ला मंदिर, कनक भवन, जानकी घाट, विश्व विराट विजय राघव मंदिर, बड़े हनुमान, राम शिला स्थल, तुलसी उद्यान, राज सदन, चारधाम मंदिर, देवकाली मंदिर, श्रीराम हर्षण कुञ्ज, सिद्ध हनुमान बाग राजद्वार, जैन मंदिर, श्रीराम मन्त्रार्थ मण्डपम्, काले राम  मंदिर नाटूकोट्टई  मंदिर, मणि पर्वत एवं राम पौड़ी आदि मुख्य हैं।

हनुमान गढ़ी :-अयोध्या का प्रमुख आकर्षण  केन्द्र हनुमानगढ़ी जो इसके मध्य भाग में स्थित है, को माना जाता है।  इस स्थल पर श्रीहनुमान जी का एक विशाल मन्दिर बना हुआ है, जहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शनार्थ उपस्थित होते हैं। श्रद्धालुगण यहां पर श्रीहनुमान जी की बैठी हुई मूर्ति के दर्शन करके अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति कर लेते हैं। यहाँ पूर्व में स्थित रामकोट जो अब नष्ट हो चुका है, के अवशेष  भाग पर यह मंदिर निर्मित है। इसके दक्षिण भाग में सुग्रीव टीला, अंगद टीला स्थित है।

राम जन्मभूमि :- हनुमानगढ़ी के निकट ही राघवजी का मन्दिर बना हुआ है। मुख्यतः यह भगवान रामचन्द्र जी का जन्मस्थान है। इस मन्दिर में केवल  राघवजी की मूर्ति स्थापित है माँ सीता की नहीं। यहां स्थित राम के प्राचीन मंदिर को बाबर ने मस्जिद के रूप में परिवर्तित करवा दिया था। अब उसके स्थान पर श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का मामला उच्च्तम न्यायालय के निर्णय के अनुसार बन रहा  है। जन्मभूमि के निकट कई अन्य मंदिर बने हुए हैं जैसे सीता रसोई, चौबीस अवतार, रंगमहल आनंद भवन, कोप भवन, साक्षी गोपाल आदि।

नागेश्वरनाथ मंदिर :- सरयू नदी के तट पर स्थित स्वर्गद्वार घाट पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर नाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।  इस मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। शिवरात्रि पर्व पर यहां पर विशेष पूजा -अर्चना की जाती है।

अयोध्या के घाट :- अयोध्या के पूर्व से पश्चिम की ओर चलने पर क्रमशः रामघाट, जानकी घाट, नयाघाट, रूपकला घाट, धोरहरो घाट, अहिल्याबाई घाट, जटाई घाट, शिवाला घाट, गंगा महल स्वर्गद्वार लक्ष्मण घाट, सहस्रधारा, ऋणमोचन घाट मिलते हैं। इनमें जानकी घाट अत्यन्त प्राचीन एवं प्रसिद्ध घाट माना जाता है।  अहिल्यबाई घाट पर श्रीगंगानाथ जी का मन्दिर बना हुआ  है।अयोध्या में ही प्रसिद्ध जानकी घाट एवं अनेकों अन्य मंदिर स्थित हैं। जिसमें रामघाट, दशरथघाट, भरतघाट, शत्रुघ्न घाट, लक्ष्मण घाट, मांडवी घाट, अहिल्या घाट, उर्मिला घाट, सीता घाट प्रमुख हैं। इन घाटों के उत्तर दिशा में लक्ष्मण किला स्थित है। लक्ष्मण घाट से लक्ष्मण के स्वर्ग प्रस्थान करने का प्रसंग जुड़ा हुआ है।  इसी घाट पर सहस्रधारा नामक दिव्यस्थल तथा लक्ष्मण मन्दिर स्थित है। सरयू तट पर ही वासुदेव घाट स्थित है जहां पर मनु ने मत्स्य भगवान के दर्शन किये थे।

स्वर्गद्वार घाट :-सरयू नदी के किनारे पर स्वर्गद्वार घाट स्थित है जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर स्नान, दान, पूजा-अर्चना करने से सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

लक्ष्मण किला व घाट:-  सरयू नदी के पश्चिमी भाग में घाटों एवं मंदिरों का एक विशाल समूह देखा जाता है। कनकभवन :-    हनुमान गढ़ी के निकट ही विशाल कनकभवन स्थित है जिसमें भगवान राम एवं सीता जी की स्वर्णमुकुट से सुसज्जित भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। इसे टीकमगढ़ की रानी ने वर्ष 1891 में बनवाया था। इसे श्रीराम का अंतःपुर अथवा सीताजी का महल भी कहा जाता है। कहा जाता है कि कैकेयी ने इसे सीताजी को मुंहदिखाई में भेंट किया था।   इसके अतिरिक़्त महत्वपूर्ण पौराणिक भवन जैसे वाल्मीकि रामायण भवन, दशरथ महल, लवकुश भवन, कैकेयी भवन, कोप भवन, रंगमहल, वेदभवन , सुमित्रा भवन, आनन्द भवन, इच्छा भवन यहां पर स्थित हैं।

दर्शनेश्वर- हनुमानगढ़ी के निकट ही अयोध्या नरेश का महल स्थित है और इसकी वाटिका में महादेव जी का भव्य मंदिर बना हुआ है। इसके अतिरिक़्त  लक्ष्मी नारायण मन्दिर, उदासीन मन्दिर , अवध बिहारी मंदिर, राम भरत मिलाप मंदिर, राम जन्म भूमि मन्दिर, राम कचहरी, चारधाम मंदिर, हनुमान मन्दिर व दशरथ भवन स्थित हैं।

अयोध्या में जैन मन्दिर भी अत्यधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि पांच तीर्थंकरों की जन्मभूमि पर उनके नाम से अलग अलग मंदिर बनवाए गए हैं।

प्रमुख पर्व और मेले:- श्रीराम नवमी, सावन झूला तथा श्रीराम विवाह का उत्सव यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त श्रावण शुक्ल पक्ष में श्रवण मेला  आयोजित होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है। यहां ठहरने के लिए सैकड़ों होटल, गेस्ट हाउस व धर्मशालायें  उपलब्ध हैं।

प्रस्तुतिः राधेश्याम द्विवेदी

 

Dr. Bhanu Pratap Singh