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‘वक्त के सतगुरु’ के बारे में राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज ने बड़ा रहस्य प्रकट किया

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

हूजरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 2 अप्रैल 2000 को ली ग्रांड पैलेस, लुधियाना, (पंजाब भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- यदि अपना उद्धार चाहते हैं तो राधास्वामी नाम का सुमिरन करें और राधास्वामी नाम को सच्चा और पूरा झंकृत नाम मानें।

राधास्वामी नाम की क्रांति
19वीं शताब्दी में जो दूसरी धार्मिक क्रांति हुई उसने तमाम पुरानी भ्रांतियों को साफ कर दिया। उसमें जो राधास्वामी नाम की क्रांति हुई उसके करने वाले स्वामी जी महाराज और हजूर महाराज हैं। इसलिए वह दोनों ही राधास्वामी दयाल हैं। प्रीतम के रूप में स्वामी जी महाराज और प्रेमी के रूप में हजूर महाराज। गुरु के रूप में स्वामी जी महाराज और गुरुमुख के रूप में हजूर महाराज। पिता के रूप में स्वामी जी महाराज और पुत्र के रूप में हजूर महाराज।

राधास्वामी नाम खुद राधास्वामी दयाल ने प्रगट किया

तब राधास्वामी नाम स्वामी जी महाराज ने प्रगट किया हो तो और हजूर महाराज (हजूर राय सालिगराम साहब बहादुर) ने प्रगट किया हो तो, राधास्वामी नाम खुद राधास्वामी दयाल ने प्रगट किया है। जिन लोगों के दिलों में अभी भी जो थोड़े बहुत भरम हैं कि इस नाम को मानें या ना माने, सुमिरन करें या ना करें वह अपने इस धर्म को हटा लें। यदि अपना उद्धार चाहते हैं तो राधास्वामी नाम का सुमिरन करें और राधास्वामी नाम को सच्चा और पूरा झंकृत नाम मानें।

वक्त का संत सतगुरु कौन होगा

राधास्वामी मत की खूबी यह है कि यह व्यापक और व्यावहारिक मत है। यहां अपने वक्त के सतगुरु की महिमा बखान की गई है और जानना चाहिए कि वक्त का संत सतगुरु वही होगा जो राधास्वामी नाम का जाती ध्वन्यात्मक नाम मानेगा, राधास्वामी दयाल की सच्ची प्रीत और प्रतीत आपके हृदय में बसावेगा, जिसका सूत राधास्वामी दयाल से लगा होगा, जो राधास्वामी नाम की सुरीली धुन को सुनता होगा और आपको भी सुनाने की ताकत रखता होगा, जो राधास्वामी दयाल के पूर्ण अवतार स्वामी जी महाराज और परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज के चरणों की टेक आता होगा। इसके अलावा जो अन्य टेकें बंधाते हैं वह संतमत अनुयायी नहीं है।