सबसे बड़ी जरूरत आपसी प्यार, एकता व सहयोगः संत बाबा प्रीतम सिंह
पंजाबी कोई जाति नहीं, खत्री वास्तव में क्षत्रियः नगर सेठ पूरन डावर
आपस में विचार करें तो माध्यम पंजाबी भाषा होना चाहिएः डॉ. रेणुका डंग
नरेंद्र मथारू ने अपना हॉस्पिटल पंजाबी समाज के लिए समर्पित किया
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा में पंजाबी समाज, सिख समाज व खत्री समाज ने बड़ी पहल की है। तीनों समाज के लोग एकजुट हो गए हैं। एक डायरेक्टरी बनाई जा रही है। इसमें में पंजाबी समाज, सिख समाज व खत्री समाज के प्रत्येक व्यक्ति का विवरण होगा। उद्देश्य है जरूरत पड़ने पर एकदूसरे की मदद की जा सके और सर्वसमाज का मिलकर भला करें। यह भी कहा गया कि जब भी आपस में मिलें तो पंजाबी में बातचीत करें।
गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा में पंजाबी समाज, सिख समाज व खत्री समाज के गणमान्य व्यक्तियों के एक सभा संत बाबा प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें आपसी एकता, आपसी प्यार व एक दूसरे के किस तरह से हम काम आ सके, कैसे जरूरतमंद लोगों की मदद तक हमारे हाथ पहुंच सकें, कैसे समाज के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो और कैसे एक प्लेटफार्म पर आकर अपनी बात रख सकें, इन पहलुओं पर गंभीरता से मनन किया गया। पंजाबी समाज की एक डायरेक्टरी बनाई जा रही है। इसके लिए क्यू.आर. कोड का विमोचन किया गया। इस क्यू.आर. कोड को स्कैन करके भी फार्म भरा जा सकता है।
संत बाबा प्रीतम सिंह जी ने गुरबाणी का उदाहरण देते हुए एक पिता एकस के हम। आज के समय की जो सबसे बड़ी जरूरत है वह है आपसी प्यार, आपसी एकता व सहयोग। हमें हर हाल में एकजुट रहना है। उन्होंने पंजाबी भाषा में सबको संबोधित किया।
नगर सेठ पूरन डाबर ने कहा कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक हमारी मदद के हाथ कैसे पहुंचें, इस पर अपने गहन विचार रखें। सभी को एक सूत्र में कैसे पिरोया जाए, इस बात पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पंजाबी कोई जाति नहीं है। जो लोग पंजाब से आए, पंजाबी कहलाए। उन्होंने यह भी कहा कि खत्री वास्तव में क्षत्रिय हैं। डायरेक्टरी के संबंध में कहा कि जब तक डाटा नहीं होगा, कोई काम हो नहीं सकता है। 2047 तक भारत विकसित देशों की सूची में होगा और इसके लिए हर समाज के हर व्यक्ति को सहयोग देना होगा।
यह पूछे जाने पर पंजाबी समाज को संपन्न माना जाता है लेकिन समाजसेवा में कुछ ही लोग सक्रिय क्यों हैं, श्री पूरन डावर ने कहा कि बहुत से लोग अपने स्तर पर सेवा कार्य कर रहे हैं। डायरेक्टरी बनेगी तो पता चलेगा कि कौन क्या कर रहा है। आगरा के जो लोग बाहर रहते हैं, उनका नाम भी समायोजित किया जाएगा।
वीर महेंदर पाल सिंह ने समाज के लिए एक स्कूल, हॉस्पिटल आदि की जरूरत पर बल दिया ताकि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कायम रह सके।
आहार विशेषज्ञ डॉ. रेणुका डंग ने कहा के सर्वप्रथम हम जब भी आपस में मिल विचार करें तो उसका माध्यम पंजाबी भाषा होनी चाहिए जोकि पंजाबियत की सबसे बड़ी पहचान है।
संयोजक बंटी ग्रोवर ने सभा का कुशल संचालन करते हुए सभी का शानदार परिचय दिया। उपस्थित महानुभावों की खूबियां गिनाईं। अब तक की उपलब्धि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि खत्री तो यहीं के हैं, बाकी पंजाबी तो शरणार्थी के रूप में आए हैं।
चरणजीत थापर, अशोक अरोड़ा, सुनील मनचंदा, नवीन अरोरा, चंद्रमोहन सचदेवा, नरेंद्र तनेजा, संदीप अरोरा, मोहित कत्याल, विशाल अरोरा, ओम सेठ, चौधरी मंजीत सिंह, कुसुम महाजन, सुनीता मेहता, सुनंदा अरोड़ा आदि ने अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर नरेंद्र मथारू ने अपना हॉस्पिटल समाज को समर्पित करने की बात कही और हर तरीके का सहयोग देने का वादा किया।
मीडिया समन्वयक भूपेश कालरा, कांत खत्री, वंदना कक्कड़, सीमा चड्ढा, विकास कक्कड़, विकास मेहरा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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