सुझावों को कार्य रूप में लाने के लिए जयपुर में होगी बैठक
मावलंकर भवन दिल्ली में हुई बैठक, संगठन के विस्तार पर चर्चा
New Delhi, Capital of India. पांच विश्वविद्यालयों में कुलपति पद को सुशोभित करने वाले प्रोफेसर के.एस. राना अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय परामर्शक निर्वाचित हुए हैं। वे महाराणा प्रताप राष्ट्रीय शोध पीठ के महानिदेशक भी हैं। मावलंकर भवन दिल्ली में हुई बैठक में उन्होंने समाज हित में अनेक सुझाव दिए। निर्णय किया गया कि राजस्थान शीघ्र ही प्रो. राना का अभिनंदन किया जाएगा।
राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक ठा. उदयभान सिंह राजावत, प्रदेश महासचिव शक्ति सिंह राजावत के साथ सामाजिक चर्चा हुई। समाज कल्याण और विकास के साथ-साथ संगठन विस्तार तथा सशक्तिकरण के अनेकानेक पहलुओं पर प्रो. राना ने सुझाव व प्रस्ताव पेश किए, जो इस प्रकार हैं-
- महाराणा प्रताप देश दुनिया में हमारे गौरव के प्रतीक रहे हैं। अतः NH ४८ दिल्ली, जयपुर, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, मुंबई मार्ग को महाराणा राजमार्ग का दर्जा दिलाने हेतु केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितन गड़करी से वार्ता की जाए।
- फ़तेहपुर सीकरी के खानवा मैदान में राणा सांगा ने विदेशी आक्रांता बाबर से ऐतिहासिक युद्ध लड़ा था। अतः उनकी मूर्ति वहाँ स्थापित की जाय तथा पार्क का नामकरण किया जाए।
3.राजस्थान में पिछले 70 वर्ष में कुछ जातियों ने core competency develop करने का काम किया है, जिसमें एक दो लोग या कुछ संस्थानों ने उस पूरी community को बदल दिया। उदाहरण के तौर पर राजपुरोहित, सीरवी समाज, बिश्नोई और पाली समाज है। ये मूलतः क्षत्रिय हैं।
राजपुरोहित समाज
यह कम्युनिटी culture से राजपूतों से मिलती है और कर्म से ब्राह्मण जैसी है। बिहार की भूमिहार कम्युनिटी जैसी ही है। 1980 के दशक तक इनमें राजपूतों की तरह नशाखोरी सहित बाकी गलत आदतें थी लेकिन इनके गुरु खेताराम ने पूरी कम्युनिटी को बदल दिया। नशा छुड़वा दिया। इनको मिठाई के व्यवसाय में लगा दिया। आज राजस्थान के अधिकांश राजपुरोहित आर्थिक रूप से सक्षम हैं। दो एमएलए भी बन जाते हैं। भारत के किसी भी कस्बे में जहां 10 हजार या ऊपर की आबादी है, वहां प्रति दस हजार के ratio में एक जोधपुर/बीकानेर स्वीट होम मिलेगा, जो इन्हीं का होगा। एक दूसरे से कंपटीशन में एक शहर में ज्यादा नजदीक मिठाई की दुकान नहीं खोलते, जिससे कि दूसरे भाई का नुकसान हो। बढ़िया कमाई कर रहे हैं।
सीरवी समाज
यह जाट समाज से मिलती कृषक कौम है जो चौधरी लिखते हैं। इनके धर्मगुरु जिनको दीवान कहा जाता है, वो राजपूत होते हैं। वर्तमान में दीवान माधो सिंह हैं। पिछले तीस वर्ष में इस कौम ने खेती से आगे जाकर कपड़े और बढ़ई के कारोबार में दक्षिण भारत में लगभग एकतरफा कब्जा कर रखा है। आर्थिक रूप से सबसे सक्षम जाति में से एक है। पाली सांसद पीपी चौधरी सीरवी है।
बिश्नोई समाज
यह ओबीसी की कम्युनिटी है, जिसके गुरु जांभोजी राजपूत थे। आबादी आधा प्रतिशथ से भी कम है। यह ज्यादातर जाटों से कन्वर्ट हुए हैं। इनके एक नेता राम सिंह बिश्नोई ने इनके हर वैध अवैध धंधे में सहायता की, जिससे यह आर्थिक रूप से सक्षम हुए। नौकरियों के अलावा तस्करी आदि से खूब पैसा कमाया। वर्तमान में पांच एमएलए हैं।
पाली समाज
इनके एक संस्थान सुमेर स्कूल ने इनको बैंकिंग एग्जामिनेशन की सामूहिक तैयारी करवाई। आज राजस्थान और गुजरात में शायद ही कोई बैंक हो जिसमें कम से कम एक जोधपुर शहर का पाली कार्मिक नहीं हो।
राजपूत गार्ड और बाउंसर क्यों
हम राजपूत बैंक गार्ड, होटल गार्ड, दस हजार मासिक की नौकरी करे नवाले निजी ड्राइवर और बाउंसर आदि हैं। इस पर विचार करने की जरूरत है।
जयपुर में होगी मंथन और अभिनंदन बैठक
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने बताया कि प्रोफेसर के.एस राना समाज विश्लेषक और विचारक होने के साथ-साथ समाज कल्याण हेतु शिरोधार्य शिक्षाविद हैं। प्रो. कृष्ण शेखर राना के पास MSc. PhD, D.Sc. (Germany ), LL.D(UK) जैसी डिग्री हैं। वे अद्भुत, सरल, सादा जीवन वाले हैं। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय में उन्हें राज्यंमत्री का दर्जा प्राप्त था। प्रो के. एस. राना के सुझावों को क्रियान्वित करने के लिए शीघ्र ही जयपुर में मंथन और अभिनन्दन बैठक की जाएगी।
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